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गैर आरएएस से आईएएस पदोन्नति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर लगाया 5 लाख रुपए का हर्जाना - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर-राजस्थान प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 5, 2024, 12:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस सेवा से आईएएस में पदोन्नति के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज करने से गैर आरएएस से आईएएस में पदोन्नति पर करीब तीन साल पहले लगी रोक भी हट गई है.

याचिका में कहा गया था कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट व उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है. वहीं अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है. पूर्व में गैर आरएएस से पदोन्नत हुए आईएएस का पद खाली होने पर राज्य सरकार इस पद को गैर आरएएस को ही पदोन्नत कर भरती है. ऐसे में राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती. यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए पदोन्नति के पदों पर भी अतिक्रमण है.

पढ़ें: कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर जनहित याचिका खारिज, एक लाख रुपए का लगाया हर्जाना

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार आरएएस के अलावा दूसरी सेवाओं के भी विशेषज्ञों की भी सेवाएं लेना चाहती हैं. इसके अलावा याचिका में दूसरी सेवाओं से आने वाले कार्मिकों की योग्यता को चुनौती नहीं दी गई है. याचिकाकर्ता एसोसिएशन चाहती है कि सिर्फ उनके संगठन के सदस्य ही आईएएस पदों पर पदोन्नत हो. याचिका में रोक के चलते पिछले करीब तीन साल से गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस सेवा से आईएएस में पदोन्नति के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज करने से गैर आरएएस से आईएएस में पदोन्नति पर करीब तीन साल पहले लगी रोक भी हट गई है.

याचिका में कहा गया था कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट व उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है. वहीं अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है. पूर्व में गैर आरएएस से पदोन्नत हुए आईएएस का पद खाली होने पर राज्य सरकार इस पद को गैर आरएएस को ही पदोन्नत कर भरती है. ऐसे में राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती. यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए पदोन्नति के पदों पर भी अतिक्रमण है.

पढ़ें: कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर जनहित याचिका खारिज, एक लाख रुपए का लगाया हर्जाना

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार आरएएस के अलावा दूसरी सेवाओं के भी विशेषज्ञों की भी सेवाएं लेना चाहती हैं. इसके अलावा याचिका में दूसरी सेवाओं से आने वाले कार्मिकों की योग्यता को चुनौती नहीं दी गई है. याचिकाकर्ता एसोसिएशन चाहती है कि सिर्फ उनके संगठन के सदस्य ही आईएएस पदों पर पदोन्नत हो. याचिका में रोक के चलते पिछले करीब तीन साल से गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

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