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पीएलपीसी बताए कि कितनी शिकायतें मिली और उनमें क्या कार्रवाई हुई: हाईकोर्ट - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल (पीएलपीसी) से जुड़े मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पीएलपीसी बताए कि कितनी शिकायतें मिली और उनमें क्या कार्रवाई हुई.

HIGH COURT HAS ASKED,  PUBLIC LAND PROTECTION CELL
राजस्थान हाईकोर्ट.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 29, 2024, 8:51 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में बने पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल की ओर से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण सहित अन्य शिकायतों व अभ्यावेदनों पर उचित कार्रवाई नहीं होने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे पीएलपीसी के सही तरीके से काम करने व उनकी मॉनिटरिंग के लिए सीनियर अफसरों की नियुक्ति करें. इसके साथ ही पीएलपीसी महीनेवार इन सीनियर अफसरों को आंकड़े सहित ब्यौरा भेजे कि उन्हें कितनी शिकायतें मिली, उन्होंने उनमें क्या कार्रवाई की और इनमें से कितनी शिकायतें गलत पाई गई.

जस्टिस अवनीश झिंगन व भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश अजमेर जिला निवासी श्रीराम की अवमानना याचिका पर दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि अदालत ने पीएलपीसी को निर्देश दिए थे कि वह प्रार्थी के अभ्यावेदन को स्पीकिंग ऑर्डर से निस्तारित करे और अतिक्रमियों को सुनवाई का मौका देते हुए मामले में कार्रवाई करे.

पढ़ेंः हाईकोर्ट में मुकदमों की लचर पैरवी, अदालत ने राज्यपाल को दिलाया ध्यान

अदालत ने आदेश की पालना दो माह में करने को कहा था. इस मामले में पीएलपीसी के सदस्य सचिव ने 9 फरवरी 2022 को अदालत को जानकारी दी थी कि याचिकाकर्ता की शिकायत व अभ्यावेदन को निस्तारित कर दिया है. साथ ही अतिक्रमण हटा दिए हैं, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि पीएलपीसी की ओर से अतिक्रमणों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और वे अभी भी मौजूद हैं. अपनी दलीलों के समर्थन में प्रार्थी पक्ष की ओर से मौके के फोटो व नक्शे भी पेश किए गए. अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए पीएलपीसी को दिशा-निर्देश दिए. वहीं, सीएस को पीएलपीसी की कार्यप्रणाली सही तरीके से होने व उसकी मॉनिटरिंग के लिए सीनियर अफसर की नियुक्ति करने के लिए कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में बने पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल की ओर से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण सहित अन्य शिकायतों व अभ्यावेदनों पर उचित कार्रवाई नहीं होने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे पीएलपीसी के सही तरीके से काम करने व उनकी मॉनिटरिंग के लिए सीनियर अफसरों की नियुक्ति करें. इसके साथ ही पीएलपीसी महीनेवार इन सीनियर अफसरों को आंकड़े सहित ब्यौरा भेजे कि उन्हें कितनी शिकायतें मिली, उन्होंने उनमें क्या कार्रवाई की और इनमें से कितनी शिकायतें गलत पाई गई.

जस्टिस अवनीश झिंगन व भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश अजमेर जिला निवासी श्रीराम की अवमानना याचिका पर दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि अदालत ने पीएलपीसी को निर्देश दिए थे कि वह प्रार्थी के अभ्यावेदन को स्पीकिंग ऑर्डर से निस्तारित करे और अतिक्रमियों को सुनवाई का मौका देते हुए मामले में कार्रवाई करे.

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अदालत ने आदेश की पालना दो माह में करने को कहा था. इस मामले में पीएलपीसी के सदस्य सचिव ने 9 फरवरी 2022 को अदालत को जानकारी दी थी कि याचिकाकर्ता की शिकायत व अभ्यावेदन को निस्तारित कर दिया है. साथ ही अतिक्रमण हटा दिए हैं, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि पीएलपीसी की ओर से अतिक्रमणों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और वे अभी भी मौजूद हैं. अपनी दलीलों के समर्थन में प्रार्थी पक्ष की ओर से मौके के फोटो व नक्शे भी पेश किए गए. अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए पीएलपीसी को दिशा-निर्देश दिए. वहीं, सीएस को पीएलपीसी की कार्यप्रणाली सही तरीके से होने व उसकी मॉनिटरिंग के लिए सीनियर अफसर की नियुक्ति करने के लिए कहा है.

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