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चिकित्सा सचिव बताएं दस माह बीतने के बाद भी पैरवी के लिए क्यों नहीं आए वकील- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस तामिल होने के 10 महीने के बाद भी किसी के अदालत में पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है.

HIGH COURT ASKED,  LAWYERS DID NOT COME
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 29, 2024, 8:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवा संबंधी मामले में दस माह पहले चिकित्सा सचिव पर नोटिस तामील होने के बाद भी उनकी ओर से किसी के अदालत में पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव को कहा है कि वे 31 मई को व्यक्तिश: या वीसी के जरिए अदालत में पेश हों. वहीं अदालत ने इन अधिकारी को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि मामले में नोटिस तामील हुए लंबा समय बीत चुका है, लेकिन अब तक संबंधित वकील को अदालत में पेश होने के निर्देश क्यों नहीं दिए गए हैं?. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश गिर्राज प्रसाद नागर की याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि विभाग की ओर से उन्हें अभी तक इस केस की फाइल नहीं दी गई है. इस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा कि न्याय मांगने के लिए अदालत में आने वाले नागरिकों के मामलों में सरकार के ऐसे सुस्त रवैये को गंभीरता लिया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि चिकित्सा सचिव पर गत वर्ष 18 जुलाई को नोटिस तामील हो चुकी है, लेकिन दस माह बीतने के बाद भी अब तक मामले की फाइल राज्य सरकार के वकील को नहीं दी गई है.

पढ़ेंः कोर्ट आदेश के बाद भी कर्मचारी को वेतन वृद्धि व परिलाभ नहीं देने पर अफसरों को अवमानना नोटिस - Contempt Notice To Officers

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता का चयन प्रयोगशाला सहायक भर्ती-2023 में हो गया था. इसके बावजूद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति दिलाने की गुहार की है. मामले में हाईकोर्ट ने करीब दस माह पूर्व विभाग के सचिव को नोटिस जारी किए थे, जो उन पर तामील भी हो गए है. इसके बावजूद भी अब तक सरकार की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील नहीं आया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवा संबंधी मामले में दस माह पहले चिकित्सा सचिव पर नोटिस तामील होने के बाद भी उनकी ओर से किसी के अदालत में पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव को कहा है कि वे 31 मई को व्यक्तिश: या वीसी के जरिए अदालत में पेश हों. वहीं अदालत ने इन अधिकारी को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि मामले में नोटिस तामील हुए लंबा समय बीत चुका है, लेकिन अब तक संबंधित वकील को अदालत में पेश होने के निर्देश क्यों नहीं दिए गए हैं?. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश गिर्राज प्रसाद नागर की याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि विभाग की ओर से उन्हें अभी तक इस केस की फाइल नहीं दी गई है. इस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा कि न्याय मांगने के लिए अदालत में आने वाले नागरिकों के मामलों में सरकार के ऐसे सुस्त रवैये को गंभीरता लिया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि चिकित्सा सचिव पर गत वर्ष 18 जुलाई को नोटिस तामील हो चुकी है, लेकिन दस माह बीतने के बाद भी अब तक मामले की फाइल राज्य सरकार के वकील को नहीं दी गई है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता का चयन प्रयोगशाला सहायक भर्ती-2023 में हो गया था. इसके बावजूद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति दिलाने की गुहार की है. मामले में हाईकोर्ट ने करीब दस माह पूर्व विभाग के सचिव को नोटिस जारी किए थे, जो उन पर तामील भी हो गए है. इसके बावजूद भी अब तक सरकार की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील नहीं आया है.

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