जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि आबकारी अधिनियम या अन्य नियमों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि लाइसेंसधारियों की इच्छा के बिना उनकी शराब की दुकानों का नवीनीकरण कर दिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में विभाग की ओर से जारी 13 मार्च के आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कृष्णा शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह रोक सिर्फ याचिकाकर्ताओं के प्रकरणों में ही रहेगी. याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने अदालत को बताया कि प्रदेश में करीब सात हजार 500 से अधिक शराब की दुकानें हैं. याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2023-24 के लिए दुकान संचालन के लिए लाइसेंस लिया था. इस नए वित्तीय वर्ष में करीब चार हजार से अधिक दुकानों की बोली नहीं छूटी है. याचिकाकर्ताओं की दुकानों की भी आबकारी विभाग ने बोली लगाई, लेकिन किसी ने बोली नहीं लगाई.
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वहीं, विभाग ने गत 13 मार्च को आचार संहिता का हवाला देते हुए आदेश निकाला कि जिन दुकानदारों का लाइसेंस 31 मार्च, 2024 को खत्म हो रहा है, उन्हें नए नियमों के आधार पर तीन माह के लिए रिन्यू किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि यह आदेश जारी करने से पहले विभाग ने याचिकाकर्ता दुकानदारों का पक्ष नहीं जाना. इसके अलावा उनकी इच्छा के बिना लाइसेंस को रिन्यू नहीं किया जा सकता है और वे दुकान को आगे चलाने के भी इच्छुक नहीं हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आबकारी विभाग के आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है.