जयपुर. राजधानी जयपुर समेत अजमेर और टोंक जिले में पेयजल के लिहाज से लाइफ लाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध में हालात चिंताजनक बने हुए हैं. इस बार बांध में महज 27.42 फीसदी पानी ही शेष बचा है. इससे पहले साल 2010 में मौजूदा स्थिति यानी 11.26 आर एल मीटर गेज पर जलस्तर पहुंचा था. बांध परियोजना के कंट्रोल रूम के मुताबिक फिलहाल बांध में 10.612 टीएमसी पानी बचा हुआ है. गौरतलब है कि बीसलपुर बांध का कुल भराव गेज 315.50 आर एल मीटर है, जिसमें 38.70 टीएमसी पानी भरता है. अभी बांध के जलभराव में सहायक बनास और डाई नदियों में ही पानी बचा हुआ है, जबकि खारी और बाकी के जल स्रोत सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. हालांकि, साल 2022 में बांध छलका था.
डेढ़ करोड़ से ज्यादा आबादी के लिए पेयजल का स्त्रोत है बांध : बीसलपुर बांध जयपुर, अजमेर और टोंक जिले के लाखों लोगों की प्यास बुझाता है. इस बांध में पूर्ण जलभराव में 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होती है. बांध के डूब क्षेत्र में 68 गांव आते हैं, जिसमें से 25 गांव पूर्ण रूप से और 43 गांव आंशिक रूप से डूबते हैं. इन गांवों की सिर्फ कृषि भूमि डूबती है. अभी बीसलपुर गांव को छोड़कर लगभग अन्य सभी गांवों की भूमि जलभराव से खाली हो चुकी है.
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पिछले साल बिपरजॉय लाया था राहत : राजस्थान के बांधों के लिए साल 2023 में बिपरजॉय तूफान राहत का सबब बनकर आया था. इस दौरान जून के दूसरे पखवाड़े में हुई बरसात ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. कब 17 जून को बिपरजॉय के कारण पश्चिमी राजस्थान के बांधों में जमकर पानी की आवक हुई थी. इस बार हालात यह है कि 1 से 15 जून के बीच प्रदेश के 41 बांध सूख गए हैं , तो अन्य बांधों की कुल भराव क्षमता में 15 दिन में ही दो फीसदी से ज्यादा पानी कम हो गया है. राज्य में 126 बांध ऐसे हैं, जिनका दामन सूख चुका है. इसी तरह राज्य में आंशिक भरे हुए बांधों की संख्या भी 197 तक पहुंच गई है. बांधों में अभी कुल भराव क्षमता का महज 32.55 प्रतिशत पानी ही बचा है.जो कि साल 2023 के मुकाबले में 10 फीसदी तक कम है. साल 2023 में 15 जून तक राज्य के बांधों का जलस्तर 42.96 प्रतिशत तक था.