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आरडीएसओ में रिश्वतखोरी, बिल का भुगतान करने के लिए रुपये लेने वाले अफसरों के 7 ठिकानों पर CBI की रेड - Railway RDSO Bribery

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 26, 2024, 10:59 AM IST

आरडीएसओ में रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई की टीम ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होन के बाद टीम देर रात तक आरोपियों को ठिकानों पर छापेमारी की.

रिश्वतखोरी मामले में सीबीआई की टीमों ने देर रात छापेमारी की.
रिश्वतखोरी मामले में सीबीआई की टीमों ने देर रात छापेमारी की. (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ : रेलवे में ठेकेदारों से उनकी फर्मों का बिल भुगतान करने के एवज में हो रही रिश्वतखोरी का सीबीआई ने भंडाफोड़ किया है. सीबीआई ने इस मामले में रेलवे आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन ) के लेखा विभाग के एक अफसर व दो कर्मचारी समेत 7 के खिलाफ FIR दर्ज की है. इतना ही नहीं बुधवार की रात एजेंसी ने कई जगह छापेमारी भी की. सीबीआई की 4 टीमों ने लखनऊ और नोयडा में छापेमारी की. कुल 7 ठिकानों पर हुई छापेमारी में सीबीआई को कई अहम दस्तावेज मिले. सीबीआई देर रात तक छापेमारी करती रही.

लखनऊ में आरडीएसओ कालोनी में रहने वाले अब्दुल लतीफ व करीम सिद्धीकी के मकानों पर सीबीआई ने छापा मारा था. इसके अलावा वहीं कृष्णानगर में इंडस्ट्रियल कंप्यूटर्स वर्क्स के मालिक के ठिकाने समेत 5 ठिकाने पर सीबीआई पहुंची थी. नोएडा में एडीजे इंजीनियरिंग के प्रोपराटर मनीष कुमार पांडेय और पुरी इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के ठिकाने भी खंगाले गए.

दरअसल, सीबीआई को सूचना मिली थी कि आरडीएसओ में ठेका दिलाने और फर्मों के बिल भुगतान के लिए घूस ली जा रही है. इसके लिए लेखा विभाग के अधिकारी, कर्मचारी के साथ लखनऊ की फर्म इंडस्ट्रिएल कंप्यूटर वर्कस और नोएडा की पुरी इलेक्ट्रानिक्स कंपनी की मिलीभगत है. सीबीआई ने मंगलवार को इस मामले में तीन अलग-अलग Fir में आरडीएसओ अकाउंटेंट अब्दुल लतीफ, उसके भाई अब्दुल करीम सिद्दकी, अभिनव सिन्हा, इंडस्ट्रिएल कम्प्यूटर वर्क्स के मालिक, जूनियर अकाउंटेंट नासिर हुसैन, नोएडा की पुरी इलेक्ट्रानिक्स लि. के निदेशक अशोक पुंज, एडीजे इंजीनियरिंग प्रा. लि. व दो अज्ञात आरडीएसओ कर्मियों व फर्म के कर्मचारी को नामजद किया है.

सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आरडीएसओ के दो कर्मचारियों ने अपने निजी बैंक खातों में इन फर्मों के संचालक से रिश्वत की रकम जमा करवाई है. ये रकम 25 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक की है. सीबीआई का दावा है कि आरडीएसओ के वित्त एवं लेखा प्रभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने निजी फर्मों के बिल का भुगतान के लिए रिश्वत लेने के उनके पास पूरे साक्ष्य हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी ब्यूरोक्रेसी के पावरफुल पूर्व IAS अफसर के घर से 50 करोड़ रुपए चोरी, अखिलेश यादव-अमिताभ ठाकुर ने उठाए सवाल

लखनऊ : रेलवे में ठेकेदारों से उनकी फर्मों का बिल भुगतान करने के एवज में हो रही रिश्वतखोरी का सीबीआई ने भंडाफोड़ किया है. सीबीआई ने इस मामले में रेलवे आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन ) के लेखा विभाग के एक अफसर व दो कर्मचारी समेत 7 के खिलाफ FIR दर्ज की है. इतना ही नहीं बुधवार की रात एजेंसी ने कई जगह छापेमारी भी की. सीबीआई की 4 टीमों ने लखनऊ और नोयडा में छापेमारी की. कुल 7 ठिकानों पर हुई छापेमारी में सीबीआई को कई अहम दस्तावेज मिले. सीबीआई देर रात तक छापेमारी करती रही.

लखनऊ में आरडीएसओ कालोनी में रहने वाले अब्दुल लतीफ व करीम सिद्धीकी के मकानों पर सीबीआई ने छापा मारा था. इसके अलावा वहीं कृष्णानगर में इंडस्ट्रियल कंप्यूटर्स वर्क्स के मालिक के ठिकाने समेत 5 ठिकाने पर सीबीआई पहुंची थी. नोएडा में एडीजे इंजीनियरिंग के प्रोपराटर मनीष कुमार पांडेय और पुरी इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के ठिकाने भी खंगाले गए.

दरअसल, सीबीआई को सूचना मिली थी कि आरडीएसओ में ठेका दिलाने और फर्मों के बिल भुगतान के लिए घूस ली जा रही है. इसके लिए लेखा विभाग के अधिकारी, कर्मचारी के साथ लखनऊ की फर्म इंडस्ट्रिएल कंप्यूटर वर्कस और नोएडा की पुरी इलेक्ट्रानिक्स कंपनी की मिलीभगत है. सीबीआई ने मंगलवार को इस मामले में तीन अलग-अलग Fir में आरडीएसओ अकाउंटेंट अब्दुल लतीफ, उसके भाई अब्दुल करीम सिद्दकी, अभिनव सिन्हा, इंडस्ट्रिएल कम्प्यूटर वर्क्स के मालिक, जूनियर अकाउंटेंट नासिर हुसैन, नोएडा की पुरी इलेक्ट्रानिक्स लि. के निदेशक अशोक पुंज, एडीजे इंजीनियरिंग प्रा. लि. व दो अज्ञात आरडीएसओ कर्मियों व फर्म के कर्मचारी को नामजद किया है.

सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आरडीएसओ के दो कर्मचारियों ने अपने निजी बैंक खातों में इन फर्मों के संचालक से रिश्वत की रकम जमा करवाई है. ये रकम 25 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक की है. सीबीआई का दावा है कि आरडीएसओ के वित्त एवं लेखा प्रभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने निजी फर्मों के बिल का भुगतान के लिए रिश्वत लेने के उनके पास पूरे साक्ष्य हैं.

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