नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट के वजीराबाद थाने पुलिस की टीम ने अवैध रूप से तैयार किए जाने वाले ऑक्सीटोसिन इजेंक्शन से जुड़े पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. पुलिस टीम ने जानवरों पर इस्तेमाल किए जाने वाले ऑक्सीटोसिन के मैन्युफैक्चरर से लेकर डिस्ट्रिब्यूटर्स और कच्चे माल के सप्लायरों को हिरासत में लिया है. आरोपियों के कब्जे से अवैध रूप से तैयार ऑक्सीटोसिन की 200 बोतलें, 2.5 लीटर लिक्विड कच्चा माल, बॉटलिंग और पैकेजिंग उपकरण और कैमिकल के मिश्रण में इस्तेमाल होने वाले बर्तन आदि भी बरामद किए हैं.
पुलिस टीम ने इस मामले में आरोपी शिवम (19) और फ़िरोज़ खान (50) को अलग-अलग इलाकों से पकड़ा है. इस रैकेट से जुड़े बाकी लोगों की तलाश की जा रही है.
नॉर्थ जिला डीसीपी मनोज कुमार मीणा के मुताबिक अवैध रूप से ऑक्सीटोसिन के निर्माण से जुड़ा मामला बेहद ही संवदेनशील है. इस मामले में वजीराबाद थाना पुलिस टीम ने पुख्ता ग्राउंड इंटेलिजेंस और टेक्नीकल सर्विलांस के आधार पर मैन्युफैक्चरिंग और कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं के ठिकानों पर छापेमारी की. डीसीपी के मुताबिक 18 अप्रैल 2023 को कोर्ट की तरफ से नियुक्त कमिश्नर एडवोकेट गौरी पुरी की देखरेख में झड़ौदा डेयरी कॉलोनी में निरीक्षण किया गया.
यह निरीक्षण दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों पर 'सूर्यना सिब्बल और अन्य बनाम दिल्ली सरकार और अन्य के मामले में दायर याचिका के मामले में किया गया. इस मामले में दिल्ली पुलिस भी प्रतिवादियों में से एक है. इस मामले में रेस्पोंडेंट्स और याचिकाकर्ताओं को इस निरीक्षण में कोर्ट कमिश्नर्स के साथ जाने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट कमिश्नर और टीम परिसर झड़ौदा डेयरी, बुराड़ी (दिल्ली) के प्लॉट नंबर 227, 228, 229 और 230 पहुंची.
इस निरीक्षण के दौरान एसआई घनश्याम के नेतृत्व में वजीराबाद थाने की टीम और हेड कॉन्स्टेबल सुधीर भी उनके साथ थे. इस दौरान मौके से जानवरों को इंजेक्शन लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चार (4) बोतलें और एक इंजेक्शन बरामद किया गया जिसको पुलिस टीम ने जब्त कर लिया. उसके बाद सूर्यना सिब्बल (याचिकाकर्ता) की सहायक अक्षिता कुकरेजा के बयान पर वजीराबाद थाने में आईपीसी की धारा 429 और पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 (1) (सी)/12 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया और जांच शुरू की गई. जांच के दौरान डेयरी के मालिक सुरेंद्र उर्फ सुंदर (38), निवासी आजादपुर गांव (दिल्ली) से पूछताछ की गई और उनको कानून के अनुसार बाउंड डाउन (बाध्य) कर दिया गया.
इस पूरे मामले में गंभीरता को देखते हुए एसीपी/सब-डिवीजन, तिमारपुर नीरव पटेल के मार्गदर्शन और वजीराबाद एसएचओ एसीपी ईशा सिंह (आईपीएस) की खास निगरानी में टीम गठित की गई. इसमें एसआई घनश्याम, एसआई सवाई सिंह, पीएसआई अभिषेक सिंह, हेड कॉन्स्टेबल सुधीर और कांस्टेबल सोहनवीर को शामिल किया गया. इस मामले को सुलझाने में एसआई सवाई सिंह के प्रयासों को काफी अहम माना जा रहा है. इनकी तरफ से स्वेच्छा से टीम की मदद की गई और अपराधियों का पकड़वाने में पूरा मार्गदर्शन किया गया.
जांच के दौरान सुरेंद्र उर्फ सुंदर से पूछताछ की गई तो उसने कोई ठोस जानकारी नहीं दी. उसने बताया कि उसका कर्मचारी प्रदीप उक्त ऑक्सीटोसिन की बोतलें प्राप्त करता था, जो अब डेयरी छोड़ चुका है. छापेमारी के दिन से उसका मोबाइल फोन बंद जा रहा है. इस मामले का पर्दाफाश करने में लोकल लेवल पर पुलिस टीम की इंटेलिजेंस काफी अहम रही जिसने जमीनी स्तर पर खुफिया और तकनीकी निगरानी से जानकारी एकत्र की. सीडीआर का विश्लेषण करने पर कई संदिग्ध नंबरों का पता चला. इन नंबरों की जांच करने पर एक नंबर संदेह के घेरे में आया, क्योंकि उक्त नंबर की लोकेशन अलग-अलग डेयरियों पर मौजूद मिली.
इसके अलावा उसी नंबर का एसडीआर प्राप्त किया गया और यह चौहान पट्टी, सोनिया विहार, दिल्ली के पते के साथ शिवम के नाम पर रजिस्टर्ड था. इसी डिटेल को लोकल इंटेलिजेंस की ओर से वेरिफाई किया गया. इसके बाद पता चला कि शिवम नाम का एक शख्स दिल्लीभर में विभिन्न डेयरियों में अवैध रूप से तैयार ऑक्सीटोसिन की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई करता है. इस जानकारी के हासिल होने के बाद टीम ने बिना कोई समय गंवाए आरोपी के ठिकाने पर दबिश दी. पता चला कि इस प्रॉपर्टी को आरोपी शख्स के पिता ने 2013 में बेच दिया था और अब वे कहीं और बस गए हैं. टीम ने आरोपी शिवम के नया पता निकालने का हर संभव प्रयास किया जिसके पता चलने के बाद वहां स्थानीय पूछताछ में सामने आया कि आरोपी घर पर मौजूद नहीं है, लेकिन बाद में उसको दिल्ली के सोनिया विहार, पुश्ता रोड पर स्थित एक ढाबे से पकड़ लिया गया.
उसने खुलासा किया कि वह अपने घर पर ही ऑक्सीटोसिन तैयार करता है और पहले उसके पिता सुभाष भी यही काम करते थे. इसके बाद पुलिस टीम ने आरोपी के घर यानी अंबे एन्क्लेव, चौहानपट्टी, सोनिया विहार (दिल्ली) पर छापेमारी की. इस दौरान क्राइम टीम को सूचना दी गई और जगह की तलाशी ली गई. इस दौरान टीम को अवैध रूप से निर्मित ऑक्सीटोसिन की 200 बोतलें, 2.5 लीटर तरल कच्चा माल, बोतलबंद और पैकिंग उपकरण और रसायनों के मिश्रण में उपयोग किए जाने वाले बर्तन आदि बरामद किए गए.
पूछताछ के दौरान आरोपी शिवम ने बताया कि फिरोज नाम का शख्स उसको ऑक्सीटोसिन तैयार करने के लिए कच्चा माल यानी केमिकल और पैकेजिंग सामग्री/बोतलें सप्लाई करता है. उन्होंने बताया कि उसको यह मैटेरियल सरकारी स्कूल मोमिन चौक, भजनपुरा (दिल्ली) के पास से प्राप्त होता था, लेकिन उसको सही पते के बारे में जानकारी नहीं थी. इसके अलावा आरोपी फिरोज का सीडीआर, एसडीआर और लोकेशन का पता लगाया और उसके कारखाने के पते के बारे में जानकारी एकत्र की गई. लोकल इंटेलिजेंस से मिली जानकारी के बाद उसी दिन आरोपी फ़िरोज़ की फैक्ट्री पर छापा मारा गया जहां वह प्लास्टिक की बोतलें बनाता था. इन बोतलों का उपयोग तैयार ऑक्सीटोसिन को भरने के लिए किया जाता है. फ़िरोज़ से पूछताछ करने पर उसने राकेश नाम के एक शख्स (संदिग्ध से अभी पूछताछ नहीं की गई है क्योंकि बदला हुआ नाम है) का जिक्र किया. इसके बारे में बताया गया कि वह ही उसको कच्चा माल मुहैया कराता था. आरोपी राकेश का पता निकाला गया है और वर्तमान मामले में जांच जारी है. इस रैकेट में अन्य सहयोगियों की भूमिका का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है.
पुलिस की लगातार पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि आरोपी व्यक्ति पिछले 4-5 सालों से ऑक्सीटोसिन के अवैध निर्माण और आपूर्ति में संलिप्त थे और दिल्ली में कई डेयरियों में इसकी आपूर्ति कर रहे थे. अपनी पैसों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह ऐसा काम कर रहे थे. आरोपी शिवम (19) अम्बे एन्क्लेव, चौहान पट्टी (दिल्ली) का रहने वाला है जिसकी पिछली आपराधिक संलिप्तता का पता लगाया जा रहा है. फ़िरोज़ खान (50), ई-ब्लॉक, सुभाष विहार (दिल्ली) में रहता है, उसका भी क्रिमिनल रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है.
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