नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने छह स्कूलों के नवनिर्मित भवनों को स्कूलों को सौंपने के लिए पीडब्ल्यूडी को बकाये रकम का भुगतान करने के आदेश पर अमल नहीं होने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह इस याचिका को मुख्यंमत्री के समक्ष रखें ताकि इस पर फैसला किया जा सके. मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये दुखद है कि दिल्ली सरकार विभागों के बीच समन्वय नहीं है. दरअसल 5 जनवरी को हाईकोर्ट ने दिल्ली के वित्त विभाग को निर्देश दिया था कि वह पीडब्ल्यूडी विभाग को बकाये रकम का भुगतान करने का निर्देश दे ताकि छह स्कूलों के नवनिर्मित भवनों को स्कूलों को सौंपे जा सकें. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट आज तक दाखिल करने का निर्देश दिया था.
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कोर्ट ने कहा था कि ये रकम दिल्ली सरकार के एक विभाग से दूसरे विभाग को जाना है, ऐसे में इसके लिए जरुरी अनुमति दो हफ्ते के अंदर ले लिए जाएं. दरअसल एनजीओ सोशल जूरिस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि इन स्कूलों के अतिरिक्त भवन बनकर तैयार हैं लेकिन बकाया रकम नहीं दिये जाने की वजह से इन भवनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया है कि मुकुंदपुर, बख्तावरपुर, लैंसर रोड, रानी बाग, रोहिणी और पंजाबी बाग में स्कूल बनकर तैयार हैं. लेकिन पीडब्ल्यूडी के बकाये रकम का भुगतान नहीं होने से अतिरिक्त क्लासरूम शुरू नहीं हो पा रहे हैं. जिससे हजारों छात्र पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार इन स्कूलों के लिए पर्याप्त क्लासरूम और बैठने की व्यवस्था नहीं कर रही है जिसकी वजह से छात्रों को पढ़ाई में समस्या आ रही है. इसकी वजह से दो सेक्शन के बच्चे एक ही सेक्शन में पढ़ने को बाध्य हैं. सीबीएसई के सर्कुलर के मुताबिक एक सेक्शन में 40 से ज्यादा बच्चे नहीं हो सकते लेकिन इन स्कूलों में सौ से ज्यादा बच्चे हो जाते हैं. इससे छात्रों की न केवल पढ़ाई बाधित होती है बल्कि दमघोंटू माहौल में स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसा कर दिल्ली सरकार संविधान की धारा 14, 21 और 21ए का उल्लंघन कर रही है.
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