चंडीगढ़: नवरात्रि का इंतजार हर दुर्गा भक्त पूरे साल से करता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारंभ होता है. इस साल की शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है. 11 अक्टूबर को नवमी पूजन के बाद नवरात्रि की समाप्ति हो जाएगी. इस 9 दिन तक चलने वाले महापर्व को लेकर इस रिपोर्ट में जानिए कब और कैसे करें घटस्थापना. कैसे करें मां की पूजा.
बता दें कि इस बार माता पालकी में सवार होकर आएंगी, क्योंकि नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो रही है. नियमों के मुताबिक, गुरुवार या शुक्रवार से शुरू नवरात्रि में माता पालकी में सवार होकर आती हैं.
घटस्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. इसके लिए घटस्थापना की जाती है. पंचांग के अनुसार, 3 अक्टूबर को दोपहर को 12:20 से प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी, लेकिन घटस्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 6:20 से साढ़े सात बजे तक है. इस दौरान आप दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है, जो कि सवा 11:45 बजे से प्रारंभ होगा.
इस बार अष्टमी-नवमी एक ही दिन : इस शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और महानवमी तिथि एक ही दिन 11 अक्टूबर को है. 12 को दशहरा मनाया जाएगा. हालांकि चतुर्थी तिथि दो दिन तक रहेगी. इसलिए 9 दिवसों में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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घट स्थापना की सामग्री : घट स्थापना के लिए आपको इन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी.
आम का पत्ता या बरगद का पत्ता, अक्षत, मोली, चंदन, सिंदूर, मिट्टी का कलश, पुष्प, शहद, कपूर, धूप, गुड़, नैवेद्य, रोली, गंगाजल, लाल कपड़ा, बत्ती, कच्ची हल्दी, पान के पत्ते, नारियल, दीपक, चांदी का सिक्का.
ये है पूजा-विधि : सवेरे जल्दी उठकर और स्नान कर घर के मंदिर में गंगाजल छिड़के और दीपक जलाएं. लाल कपड़े में मां की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. इसके बाद मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें. मां को सिंदूर, अक्षत और पुष्प और गाय के दूध से बनी मिठाई अर्पित करें. इसके बाद आप मिट्टी के कलश की पूजा करें. कलश के नीचे जौ या गेहूं जरूर रखें. कलश को चंदन और मौली बांधे. इसके बाद कलश में थोड़ा धान्य डालें. थोड़ा गुड़, पुष्प, और मिठाई डालें. धूप और दीपक जलाकर दुर्गासप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें. साथ ही, इन 9 दिनों में केवल सात्विक चीजों का ही सेवन करें. साथ ही एक मिट्टी के पात्र में जौ जरूर रोपें. माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में जौ ही पहली फसल थी.
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मां को चढ़ायें ये प्रसाद : मां शैलपुत्री गाय की सवारी करती है, इसलिए उन्हें गाय से बने उत्पाद पसंद है. मां को खीर या बर्फी का भोग लगाएं. गाय के घी से बने हलवे का भी मां शैलपुत्री को भोग लगा सकते हैं.
9 दिन तक मां के 9 स्वरूपों की पूजा :
- 3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री की पूजा करें.
- 4 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की करें आराधना.
- 5 को मां चंद्रघंटा की करें पूजा.
- 6 को मां कूष्मांडा को करें प्रसन्न.
- 7 को स्कंदमाता की करें पूजा.
- 8 को करें मां कात्यायनी की पूजा.
- 9 को मां कालरात्रि को करें प्रसन्न.
- 10 अक्टूबर को होती है महागौरी की पूजा.
- 11 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री देवी की करें पूजा.