जयपुर : राजस्थान शिक्षा सेवक प्राध्यापक संघ (रेसला) के प्रांतीय शैक्षिक अधिवेशन में शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई. इसमें नए क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता के पद सृजित करने, 2023 के बाद की बकाया डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) का आयोजन करने और शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति देने जैसी प्रमुख मांगें उठाई गई.
जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित इस अधिवेशन में प्रदेशभर से व्याख्याता शामिल हुए. शिक्षा के विभिन्न स्तरों के बीच बेहतर तालमेल और शैक्षिक नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह अधिवेशन आयोजित किया गया. रेसला के प्रदेशाध्यक्ष गिरधारी गोदारा ने बताया कि इस शैक्षिक अधिवेशन में दो हजार से अधिक व्याख्याता उपस्थित हुए. उन्होंने मंत्री अविनाश गहलोत को सुझाव देते हुए कहा कि राजकीय विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए. साथ ही उन्होंने व्याख्याताओं से यह भी आह्वान किया कि वे हर बच्चे को बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध रहें, ताकि बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा मिल सके.
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मत्री ने दिया आश्वासन : संगठन के मुख्य महामंत्री डॉ. अशोक जाट ने भी अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि व्याख्याताओं और विद्यार्थियों के हित में उठाई गई मांगों में से किसी पर भी सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए सरकार से आवश्यक कदम उठाने की अपील करना था. इस अवसर पर मंत्री अविनाश गहलोत ने व्याख्याताओं की मांगों को उचित पटल पर रखने का आश्वासन दिया.
मुख्य मांगें
- वर्ष 2017 में व्याख्याताओं के वेतन में की गई कटौती को बहाल किया जाए.
- उपप्राचार्य न्यायालय वाद का निस्तारण किया जाए.
- 3820 नव क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता के पद सृजित किए जाएं.
- उपप्राचार्य और प्राचार्य के पदों के लिए 2023-24 और 2024-25 की बकाया डीपीसी की जाए.
- व्याख्याताओं की वरिष्ठता मेरिट के आधार पर तय की जाए.
- शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति मिले.
- माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न और समानीकरण लागू किया जाए.