नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने 1700 से ज्यादा निजी स्कूलों में चल रही नर्सरी, केजी और पहली कक्षा की दाखिला प्रक्रिया के अंतर्गत स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी को रोकने के लिए मंगलवार को एक नया फरमान जारी कर दिया है. इसके अंतर्गत मांटेसरी स्कूल, जूनियर और प्री-स्कूल की अपनी अलग-अलग ब्रांच की आड़ में स्कूल इनके लिए अलग से दाखिला प्रक्रिया का आयोजन नहीं कर सकेंगे. दिल्ली सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी करके कहा कि ये सभी स्कूल अपने मेन स्कूल का ही हिस्सा होंगे. इनके लिए स्कूल संचालक अलग से दाखिला प्रक्रिया आयोजित नहीं कर सकते हैं.
आवेदन पत्र की अंतिम तिथि 20 दिसंबर
सरकार ने ये भी कहा है कि सभी स्कूलों में दाखिले एक ही तय प्रक्रिया के माध्यम से होंगे. स्कूल संचालक अपने मेन स्कूल की मांटेसरी, जूनियर और प्री स्कूल ब्रांच के लिए दाखिला प्रक्रिया में अपनी मर्जी से बदलाव नहीं कर सकते हैं. बता दें कि दिल्ली में कुछ स्कूलों की दो से तीन प्री स्कूल यूनिट भी हैं. इन स्कूलों की अक्सर शिकायतें मिलती रहती हैं कि वे इन प्री स्कूल यूनिट के लिए अलग से दाखिले करते हैं. बता दें कि 28 नवंबर से स्कूलों में नर्सरी, केजी औऱ पहली कक्षा में दाखिले के लिए आवेदन पत्र मिलने शुरू हुए हैं. आवेदन पत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि 20 दिसंबर निर्धारित है.
ये भी पढ़ें:
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन के लिए आवेदन शुरू, जानिए क्राइटेरिया नर्सरी दाखिला: निजी स्कूलों ने जारी की दाखिले की दूसरी सूची, इन दस्तावेजों से होगा दाखिला |
"नियमों को लेकर स्पष्टता नहीं"
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम के अनुसार दिल्ली में करीब ऐसे 60 मांटेसरी स्कूल संचालित हैं, जिनके मेन स्कूल 12वीं कक्षा तक हैं. लेकिन, दाखिले के नियमों को लेकर सरकार की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है. उन्होंने बताया कि शिक्षा निदेशालय द्वारा वर्ष 1999 में एक आदेश जारी किया गया था कि एक ही सोसायटी या ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहे प्री स्कूल हर हालत में एक ही संस्थान माने जाएंगे. मांटेसरी, प्ले स्कूल, प्री स्कूल और नर्सरी स्कूल में अंतर बहुत कम है. मांटेसरी स्कूल में दो साल से अधिक उम्र का बच्चा भी हो सकता जबकि नर्सरी स्कूल में तीन साल से अधिक उम्र का ही बच्चा होना चाहिए.
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सोशल ज्यूरिस्ट के नाम से एनजीओ चलाने वाले एडवोकेट अशोक अग्रवाल कहते हैं कि स्कूल संचालक शिक्षा के अधिकार अधिनियम से बचने के लिए कई मांटेसरी स्कूलों को मेन स्कूल के नियम से ही चलाते हैं. जब मेन ब्रांच में बच्चों को दाखिले के लिए भेजते हैं तो वहां, दाखिले की मॉनिटरिंग नहीं होती है.
ये भी पढ़ें: