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नीलामी से जमीन हासिल करनेवाले निजी अस्पताल भी EWS मरीजों को मुफ्त इलाज देंगे: दिल्ली सरकार - Delhi government affidavit in HC - DELHI GOVERNMENT AFFIDAVIT IN HC

Delhi government affidavit in HC: नीलामी से जमीन पाने वाले निजी अस्पताल भी EWS मरीजों को फ्री इलाज देंगे, दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की तरफ से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि निजी अस्पताल को चलाने की शर्तों में ईडब्ल्यूएस मरीजों को मुफ्त इलाज अनिवार्य है.

Delhi High Court
Delhi High Court (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 20, 2024, 9:59 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा है कि नीलामी में खरीदी गई जमीन पर बने निजी अस्पतालों को भी ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त में इलाज देना होगा. दिल्ली सरकार ने एक हलफनामा के जरिये दिल्ली हाईकोर्ट को ये सूचना दी. हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 2 सितंबर को करेगा.

दिल्ली सरकार ने कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष दाखिल हलफनामे में कहा है कि, "निजी अस्पतालों के लिए भले ही रियायती दर पर या निलामी के जरिये जमीन दी गई हैं, लेकिन दोनों ही स्थितियों में निजी अस्पतालों को तय सीमा में ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज देना अनिवार्य है."

इसी मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने भी दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि निजी अस्पतालों को चलाने की शर्तों में ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज करना अनिवार्य है.

यमुना के डूब क्षेत्र पर किसी भी अनाधिकृत निर्माण को हटाना होगा चाहे वह धार्मिक स्थल ही क्यों न होः हाईकोर्ट

कैंसर का इलाज न देने पर याचिका दायर की

दरअसल एनजीओ सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा है कि, "एक निजी अस्पताल ने कैंसर पीड़ित और गुर्दे के मरीज को इलाज देना बंद कर दिया है. याचिका में कहा गया है कि यह अस्पताल पहले मुफ्त इलाज देता था लेकिन अब नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर गया है जो नीलामी में खरीदी गई है. अस्पताल प्रशासन की दलील है कि उसने यह जमीन 2019 में 25 करोड़ रुपए में ई-नीलामी के जरिये खरीदी है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं दी गई थी. ऐसे में वे ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज देने के लिए बाध्य नहीं हैं."

जस्टिस मनमोहन ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में किया हाइब्रिड कोर्ट और स्पीच टू टेक्स्ट सुविधा का उद्घाटन

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा है कि नीलामी में खरीदी गई जमीन पर बने निजी अस्पतालों को भी ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त में इलाज देना होगा. दिल्ली सरकार ने एक हलफनामा के जरिये दिल्ली हाईकोर्ट को ये सूचना दी. हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 2 सितंबर को करेगा.

दिल्ली सरकार ने कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष दाखिल हलफनामे में कहा है कि, "निजी अस्पतालों के लिए भले ही रियायती दर पर या निलामी के जरिये जमीन दी गई हैं, लेकिन दोनों ही स्थितियों में निजी अस्पतालों को तय सीमा में ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज देना अनिवार्य है."

इसी मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने भी दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि निजी अस्पतालों को चलाने की शर्तों में ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज करना अनिवार्य है.

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कैंसर का इलाज न देने पर याचिका दायर की

दरअसल एनजीओ सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा है कि, "एक निजी अस्पताल ने कैंसर पीड़ित और गुर्दे के मरीज को इलाज देना बंद कर दिया है. याचिका में कहा गया है कि यह अस्पताल पहले मुफ्त इलाज देता था लेकिन अब नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर गया है जो नीलामी में खरीदी गई है. अस्पताल प्रशासन की दलील है कि उसने यह जमीन 2019 में 25 करोड़ रुपए में ई-नीलामी के जरिये खरीदी है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं दी गई थी. ऐसे में वे ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को मुफ्त इलाज देने के लिए बाध्य नहीं हैं."

जस्टिस मनमोहन ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में किया हाइब्रिड कोर्ट और स्पीच टू टेक्स्ट सुविधा का उद्घाटन

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