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यूपी में गहरा सकता है बिजली संकट, भारी बारिश से ओबरा पावर प्लांट की 5 यूनिटें ठप - Obra Power Plant - OBRA POWER PLANT

लगातार हो रही बारिश के कारण सोनभद्र स्थित ओबरा बिजली का एक प्लांट से बिजली उत्पादन ठप हो गया है. जिससे बिजली संकट पैदा होने की संभावना है. बताया जा रहा है कोयले भीगने के कारण प्लांट बंद हुआ है.

ओबरा बिजली परियोजना
ओबरा बिजली परियोजना (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 5:41 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 6:44 PM IST

सोनभद्र: जिले में पिछले दो-तीन दिनों से हो रही भारी बारिश का असर बिजली उत्पादन पर देखने को मिल रहा है. बारिश से चलते सोनभद्र की ओबरा बिजली परियोजना में बी इकाई का उत्पादन ठप हो गया है. यूनिट बंद होने के बाद ओबरा बिजली परियोजना के अधिकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. कर्मचारी बंद यूनिट को लाइट अप करने के प्रयास में जुट गए. हालांकि अभी प्लांट को पूरी तरह चालू करने में अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है, जिसकी वजह से बिजली संकट उत्पन्न हो गया है.

कोयले के भीगने से बिजली संकटः ओबरा बिजली परियोजना में ओबरा के बी प्लांट से 200 मेगावाट की पांच इकाइयों से कुल 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. वहीं, ओबरा के सी प्लांट 660 मेगावाट की दो इकाइयों से 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. ओबरा बिजली परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक के पीआरओ अनुराग मिश्रा ने बताया कि दो-तीन दिनों से बारिश के चलते ताप बिजली परियोजना के फर्नेस (भट्ठी) में उपयोग में लाया जाने वाला कोयला भीग गया है. जिसके चलते फर्नेस को नहीं चलाया जा सका, इसलिए यह बिजली संकट उत्पन्न हुआ है. पीआरओ ने बताया कि कि ओबरा बिजली परियोजना के बी प्लांट की 200 मेगावाट की सभी इकाइयां कोयले के भीग जाने से संचालित नहीं हो पा रही हैं. सी प्लांट से 660 व 660 मेगावाट इकाइयों से अपनी पूरी क्षमता से 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा रहा है. कर्मचारी बी प्लांट को लाइटअप करने का प्रयास कर रहे है. जल्द ही बी प्लांट भी शुरू कर दिया जायेगा.

प्रदेश में बिजली संकट की संभावनाः भारी बारिश के चलते सोनभद्र में स्थित नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) कोयला खदान से गीले कोयले की खेप बिजली घरों को पहुंच रही है. जिससे बिजली संयंत्र को चालू करने में समस्या उत्पन्न हो रही है. इसी के चलते ओबरा बिजली परियोजना के बी प्लांट का उत्पादन पूरी तरह ठप है. वहीं, जिले में भी एनटीपीसी सिंगरौली और एनटीपीसी रिहन्द की भी क्रमशः 200 मेगावाट और 500 मेगावाट की यूनिट भी बंद थी. जानकारी के मुताबिक गीले कोयले के आने से बंद पड़ी इन परियोजनाओं को चलाने का प्रयास इंजीनियर कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में बिजली संकट उत्पन्न होने की संभावना है. जबकि बिजली की मांग सितंबर में भी पूरे प्रदेश में 24 से 26 हजार मेगावाट बनी हुई है.

सोनभद्र: जिले में पिछले दो-तीन दिनों से हो रही भारी बारिश का असर बिजली उत्पादन पर देखने को मिल रहा है. बारिश से चलते सोनभद्र की ओबरा बिजली परियोजना में बी इकाई का उत्पादन ठप हो गया है. यूनिट बंद होने के बाद ओबरा बिजली परियोजना के अधिकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. कर्मचारी बंद यूनिट को लाइट अप करने के प्रयास में जुट गए. हालांकि अभी प्लांट को पूरी तरह चालू करने में अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है, जिसकी वजह से बिजली संकट उत्पन्न हो गया है.

कोयले के भीगने से बिजली संकटः ओबरा बिजली परियोजना में ओबरा के बी प्लांट से 200 मेगावाट की पांच इकाइयों से कुल 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. वहीं, ओबरा के सी प्लांट 660 मेगावाट की दो इकाइयों से 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. ओबरा बिजली परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक के पीआरओ अनुराग मिश्रा ने बताया कि दो-तीन दिनों से बारिश के चलते ताप बिजली परियोजना के फर्नेस (भट्ठी) में उपयोग में लाया जाने वाला कोयला भीग गया है. जिसके चलते फर्नेस को नहीं चलाया जा सका, इसलिए यह बिजली संकट उत्पन्न हुआ है. पीआरओ ने बताया कि कि ओबरा बिजली परियोजना के बी प्लांट की 200 मेगावाट की सभी इकाइयां कोयले के भीग जाने से संचालित नहीं हो पा रही हैं. सी प्लांट से 660 व 660 मेगावाट इकाइयों से अपनी पूरी क्षमता से 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा रहा है. कर्मचारी बी प्लांट को लाइटअप करने का प्रयास कर रहे है. जल्द ही बी प्लांट भी शुरू कर दिया जायेगा.

प्रदेश में बिजली संकट की संभावनाः भारी बारिश के चलते सोनभद्र में स्थित नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) कोयला खदान से गीले कोयले की खेप बिजली घरों को पहुंच रही है. जिससे बिजली संयंत्र को चालू करने में समस्या उत्पन्न हो रही है. इसी के चलते ओबरा बिजली परियोजना के बी प्लांट का उत्पादन पूरी तरह ठप है. वहीं, जिले में भी एनटीपीसी सिंगरौली और एनटीपीसी रिहन्द की भी क्रमशः 200 मेगावाट और 500 मेगावाट की यूनिट भी बंद थी. जानकारी के मुताबिक गीले कोयले के आने से बंद पड़ी इन परियोजनाओं को चलाने का प्रयास इंजीनियर कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में बिजली संकट उत्पन्न होने की संभावना है. जबकि बिजली की मांग सितंबर में भी पूरे प्रदेश में 24 से 26 हजार मेगावाट बनी हुई है.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 6:44 PM IST
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