नई दिल्ली: दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर की एयर क्वालिटी इंडेक्स में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा हो रहा है, जो काफी चिंताजनक है. दिवाली में हफ्ते भर का वक्त बाकी है, लेकिन प्रदूषण ने अभी से सांसों पर मानो ब्रेक लगा दिया हो. प्रदूषण की रोकथाम को लेकर दिल्ली-एनसीआर में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान का दूसरा चरण लागू है. हालांकि, तमाम पाबंदियों के बाद भी एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधर नहीं रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि नवंबर के पहले हफ्ते में दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण स्तर 400 AQI आंकड़ा पार कर सकता है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के चलते लोगों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, दिल्ली- एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण के पीछे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही पराली की घटनाओं को जिम्मेदार बताया जा रहा है. प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई प्रमुख कारण है, जिनमें पराली जलाने की घटनाएं, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण औद्योगिक इकाइयों द्वारा किया जा रहा प्रदूषण, कंस्ट्रक्शन वर्क, मौसम आदि फैक्टर शामिल है.
हवा में प्रदूषण अगर आने वाले दिनों में बढ़ता है तो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का तीसरा चरण लागू हो सकता है. डॉक्टर बच्चों और बुजुर्गों को सुबह और शाम के वक्त घर में रहने की सलाह दे रहे हैं. प्रदूषण सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक है. ऐसे में सुबह और शाम के वक्त पार्कों में छोटे बच्चे और बुजुर्ग काफी कम दिखाई दे रहे हैं.
प्रदूषण को लेकर एक्सपर्ट्स की राय: ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक और स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राम एस उपाध्याय मुताबिक, प्रदूषण के चलते ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में काफी इजाफा हो जाता है. जिसकी वजह से शरीर में मौजूद कोशिकाओं के अंदर क्रोनिक कंडीशन उत्पन्न होती है. कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों के लिए यह कंडीशन फाउंडेशन के तौर पर काम करती है. यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना रहती है.
"दिल्ली का मौजूदा PM2.5 कंसंट्रेशन लेवल लगभग सामान्य से 25 गुना अधिक है. इससे विशेष तौर पर बच्चे काफी प्रभावित होते है. प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चों का दिमाग ठीक प्रकार से विकास नहीं हो पाता है." -डॉ. राम एस उपाध्याय, ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक
शरीर में कम होने लगता है ऑक्सीजन लेवलः प्रो. डॉ बीपी त्यागी बताते हैं, "प्रदूषण के चलते लोगों को नाक और गले की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण के नाक में जाने से राइनाइटिस और साइनस में जाने से (Sinitis) की समस्या देखने को मिलती है. प्रदूषण से गले में फेरिंजाइटिस (Pharyngitis) की परेशानी होती है. प्रदूषण में मौजूद विभिन्न प्रकार की गैसेज़ के शरीर में प्रवेश करने से ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. प्रदूषण नाक के अंदरूनी हिस्से और टॉन्सिल के ऊपर जम जाता है. इसके चलते बेचैनी होने लगती है. यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो कई प्रकार के वायरल और फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं."
बच्चे-बुजुर्गों के लिए जरूरी TIPS
- प्रदूषण के इस संकट में बच्चे, बुजुर्ग और दमा रोगी सुबह और शाम को न टहलें.
- घर से मास्क लगाकर ही बाहर जाएं. दमा रोगी इन्हेलर का नियमित इस्तेमाल करें.
- दमे के रोगी दवा नियमित समय पर लें.
गर्भवती महिलाओं के लिए डॉक्टर की सलाह: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ प्राची गर्ग बताती हैं, "प्रदूषण के चलते गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही यदि गर्भवती महिला पहले से अस्थमा या खून की कमी से ग्रसित है तो थकान का सामना करना पड़ सकता है. यदि गर्भवती महिलाओं का अस्थमा नियंत्रित नहीं है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है. प्रदूषण के चलते गर्भवती महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत का सामना भी करना पड़ सकता है. प्रदूषण से गर्भ में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है."
डॉ गर्ग के मुताबिक, पीएम 2.5 और पीएम 10 के चलते गर्भवती महिलाएं सामान्य से कम वजन के बच्चों को जन्म देती हैं. या फिर गर्भ में पल रहा बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है. प्रदूषण के दौर में गर्भवती महिलाएं विशेष तौर पर ध्यान रखें. बाहर निकलने से परहेज करें. यदि बाहर निकलना आवश्यक है तो n95 मस्क का प्रयोग करें.
दिल्ली NCR के प्रदूषित इलाके:
स्थान | एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) |
दिल्ली | 336 |
अलीपुर | 343 |
आनंद विहार | 392 |
अशोक विहार | 350 |
बवाना | 383 |
जहांगीरपुरी | 390 |
मुंडका | 368 |
नरेला | 339 |
पटपड़गंज | 345 |
पंजाबी बाग | 249 |
रोहिणी | 373 |
विवेक विहार | 363 |
वजीरपुर | 353 |
गाजियाबाद | 258 |
इंदिरापुरम | 305 |
लोनी | 308 |
वसुंधरा | 296 |
नोएडा | 204 |
ग्रेटर नोएडा | 282 |
गुरुग्राम | 244 |
फरीदाबाद | 190 |
नॉलेज पार्क | 276 |
समझें AQI क्या होता है: एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को गंभीर और 500 से ऊपर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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