बलौदाबाजार : बलौदाबाजार पुलिस ने साइबर जागरुकता अभियान चलाया. इसके तहत अपना धान बेचने आ रहे किसानों को धोखाधड़ी से बचने के लिए टिप्स दिए गए. साइबर जागरूकता अभियान के दौरान, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने विशेष रूप से धान बेचने वाले किसानों को साइबर धोखाधड़ी किन तरीकों से हो सकती है,इस बारे में बताया.
फर्जी क्यूआर कोड और लिंक से बचाव: किसानों को ये समझाया गया कि वे केवल सरकारी या मान्यता प्राप्त एप्स और वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें. किसी भी संदिग्ध लिंक या क्यूआर कोड से पैसा ट्रांसफर करने से बचें.
वेतन भुगतान में धोखाधड़ी: किसानों को जानकारी दी गई कि कभी भी किसी अनजान व्यक्ति के दिए गए बैंक विवरण पर पैसे ना भेजें. हमेशा अपनी भुगतान की प्रक्रिया को जांचे-परखे माध्यमों से ही पूरा करें.इस अभियान में साइबर अपराधियों के नए-नए तरीकों की जानकारी भी दी गई, जैसे फोन कॉल्स, मैसेज या सोशल मीडिया के जरिए धोखा देना.
साइबर हेल्पलाइन नंबर: किसानों को साइबर अपराध की शिकार होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करने की सलाह दी गई. दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में जिले के थानों और चौकियों से 56 पुलिस कर्मियों ने हिस्सा लिया.जिसमें प्रधान आरक्षक और आरक्षक शामिल थे. सभी प्रतिभागियों ने कार्यशाला से अधिकतम जानकारी प्राप्त की और इस प्रक्रिया को अपने काम में लागू करने का संकल्प लिया.
कार्यशाला के समापन पर पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने कहा हमारे प्रयासों का मुख्य उद्देश्य जांच प्रक्रिया को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाना है. फिंगरप्रिंट और NAFIS का सही इस्तेमाल हमारी जांच को नया आयाम देगा. यह कार्यशाला पुलिसकर्मियों को उन तकनीकी कौशल से लैस करेगी.जो उन्हें हर अपराध की जांच में मदद करेंगे- विजय अग्रवाल, एसपी
फिंगरप्रिंट से जुड़ी अहम जानकारी भी दी गई : कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक ने NAFIS (National Automatic Fingerprint Identification System) के महत्व और इसके उपयोग के बारे में भी जानकारी दी.अब हर प्रकार के अपराध में फिंगरप्रिंट का एक विशेष महत्व है. इसके माध्यम से अपराधों का समाधान अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है. पुलिस अधीक्षक ने कहा हमारी जांच प्रक्रिया में फिंगरप्रिंट अब एक अहम हिस्सा बन चुका है. इसलिए, पुलिसकर्मियों को इसकी प्रक्रिया पूरी तन्मयता और समझ के साथ अपनानी चाहिए.
कार्यशाला में Criminal Procedure of Identification Act 2022 के तहत यह निर्देश दिया गया कि अब सभी प्रकार के अपराधों में गिरफ्तार आरोपियों, संदिग्धों, निगरानी सूची में शामिल बदमाशों, गुंडा-माफिया और अज्ञात मृतकों के फिंगरप्रिंट स्लिप तैयार करना अनिवार्य है. यह विधिक प्रक्रिया अपराध की जांच और अभियुक्तों की पहचान में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुकी है.
इसके अलावा, प्रशिक्षण में NAFIS प्रणाली के महत्व पर भी जोर दिया गया, जो अब जिला मुख्यालय पर संचालित है. NAFIS के माध्यम से, पूरे देश में फिंगरप्रिंट की पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे अपराधियों को पकड़ने और अपराधों को हल करने में तेजी आती है.यह प्रणाली पुलिस के लिए एक ताकतवर उपकरण साबित हो रही है, जो अपराधियों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी को और अधिक सटीक और तेज बनाती है.
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