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दारोगा भर्ती घोटाला, 20 दारोगाओं के लिए राहत की खबर, तैनाती के निर्देश - Dehradun News

Police Daroga Bharti Case पूरे प्रदेश में दारोगा भर्ती काफी विवादों में रही है. वहीं सस्पेंड चल रहे 20 दारोगाओं के लिए राहत की खबर है. पुलिस मुख्यालय ने सभी सस्पेंड दारोगाओं के बहाली के आदेश दिए हैं. वहीं विजिलेंस की अंतिम रिपोर्ट के बाद शासन के आदेश के बाद ही दारोगाओं पर आगे की कार्रवाई और उनके भविष्य का फैसला लिया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 7, 2024, 11:21 AM IST

देहरादून: विजिलेंस की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर एक साल से सस्पेंड चल रहे साल 2015 बैच के 20 दारोगाओं के लिए राहत भरी खबर है. बता दें कि फिलहाल सभी सस्पेंड दारोगाओं को बहाल कर दिया गया है. एडीजी प्रशासन अमित सिन्हा ने सभी जिलों के कप्तानों को पत्र लिखकर सभी दारोगाओं को बहाल करने के निर्देश दिए हैं और साथ ही सभी दारोगाओं को विजलेंस की जांच में सहयोग करने के लिए भी कहा है.साथ ही मामले की जांच चलती रहेगी और यदि जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिलों ने मुख्यालय के निर्देश पर सभी 20 दारोगाओं को बहाल करते हुए तैनाती दे दी गई है.

बता दें कि साल 2015-16 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार में दारोगा के 339 पदों पर गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने सीधी भर्ती परीक्षा कराई थी. इस भर्ती में धांधली का मामला सामने आने के बाद साल 2022 के दौरान यूकेएसएसएससी की ओर से कराई गई अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं में नकल और लेन देने का पर्दाफाश हुआ था. एसटीएफ की टीम ने उत्तरकाशी के जिला पंचायत और भाजपा नेता हाकम सिंह रावत सहित करीब 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया. जब इस मामले में हाकम सिंह रावत के सहयोगी केंद्र पाल को गिरफ्तार किया गया तो साल 2015-16 में हुई दारोगा भर्ती में भी घपला होने की बात सामने आई थी.
पढ़ें-विवादित दारोगा भर्ती पर रहस्य बरकरार, विजिलेंस की जांच एक साल बाद फिर तेज

इसके बाद पुलिस विभाग की भर्ती पर सवाल उठने के बाद तत्कालीन डीजीपी अशोक कुमार ने 26 अगस्त 2022 को शासन को पत्र भेजकर दारोगा भर्ती में लगे घोटाले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करने की सिफारिश की थी.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच विजिलेंस जांच से करने की अनुमति दी और दारोगा भर्ती परीक्षा की भी जांच हुई तो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर जनवरी 2023 में 20 दारोगाओं को निलंबित कर दिया गया था.
पढ़ें-दारोगा भर्ती घोटाला: विजिलेंस जांच पर विपक्ष ने उठाए सवाल, कहा- नहीं कर पाएगी निष्पक्ष जांच

जिला देहरादून से दारोगा ओमवीर सिंह,प्रवेश रावत, राज नारायण व्यास,जैनेंद्र राणा और निखिलेश बिष्ट और जिला उधम सिंह नगर से दारोगा दीपक कौशिक,अर्जुन सिंह, बीना पपोला,जगत सिंह शाही,हरीश महर,लोकेश और संतोषी के साथ ही जिला नैनीताल से दारोगा नीरज चौहान,आरती पोखरियाल,प्रेमा कोरमा और भावना बिष्ट को निलंबित कर दिया गया था.वहीं जिला चमोली से गगन मैठाणी, जिला चंपावत से तेज कुमार और एसडीआरएफ में दारोगा मोहित सिंह रोथान फिलहाल विजिलेंस की जांच जारी है और विजिलेंस की अंतिम रिपोर्ट के बाद शासन के आदेश के बाद ही दारोगाओं पर आगे की कार्रवाई और उनके भविष्य का फैसला लिया जाएगा. लेकिन फिलहाल सभी दारोगाओं को राहत जरूर दी गई है.

देहरादून: विजिलेंस की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर एक साल से सस्पेंड चल रहे साल 2015 बैच के 20 दारोगाओं के लिए राहत भरी खबर है. बता दें कि फिलहाल सभी सस्पेंड दारोगाओं को बहाल कर दिया गया है. एडीजी प्रशासन अमित सिन्हा ने सभी जिलों के कप्तानों को पत्र लिखकर सभी दारोगाओं को बहाल करने के निर्देश दिए हैं और साथ ही सभी दारोगाओं को विजलेंस की जांच में सहयोग करने के लिए भी कहा है.साथ ही मामले की जांच चलती रहेगी और यदि जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिलों ने मुख्यालय के निर्देश पर सभी 20 दारोगाओं को बहाल करते हुए तैनाती दे दी गई है.

बता दें कि साल 2015-16 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार में दारोगा के 339 पदों पर गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने सीधी भर्ती परीक्षा कराई थी. इस भर्ती में धांधली का मामला सामने आने के बाद साल 2022 के दौरान यूकेएसएसएससी की ओर से कराई गई अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं में नकल और लेन देने का पर्दाफाश हुआ था. एसटीएफ की टीम ने उत्तरकाशी के जिला पंचायत और भाजपा नेता हाकम सिंह रावत सहित करीब 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया. जब इस मामले में हाकम सिंह रावत के सहयोगी केंद्र पाल को गिरफ्तार किया गया तो साल 2015-16 में हुई दारोगा भर्ती में भी घपला होने की बात सामने आई थी.
पढ़ें-विवादित दारोगा भर्ती पर रहस्य बरकरार, विजिलेंस की जांच एक साल बाद फिर तेज

इसके बाद पुलिस विभाग की भर्ती पर सवाल उठने के बाद तत्कालीन डीजीपी अशोक कुमार ने 26 अगस्त 2022 को शासन को पत्र भेजकर दारोगा भर्ती में लगे घोटाले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करने की सिफारिश की थी.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच विजिलेंस जांच से करने की अनुमति दी और दारोगा भर्ती परीक्षा की भी जांच हुई तो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर जनवरी 2023 में 20 दारोगाओं को निलंबित कर दिया गया था.
पढ़ें-दारोगा भर्ती घोटाला: विजिलेंस जांच पर विपक्ष ने उठाए सवाल, कहा- नहीं कर पाएगी निष्पक्ष जांच

जिला देहरादून से दारोगा ओमवीर सिंह,प्रवेश रावत, राज नारायण व्यास,जैनेंद्र राणा और निखिलेश बिष्ट और जिला उधम सिंह नगर से दारोगा दीपक कौशिक,अर्जुन सिंह, बीना पपोला,जगत सिंह शाही,हरीश महर,लोकेश और संतोषी के साथ ही जिला नैनीताल से दारोगा नीरज चौहान,आरती पोखरियाल,प्रेमा कोरमा और भावना बिष्ट को निलंबित कर दिया गया था.वहीं जिला चमोली से गगन मैठाणी, जिला चंपावत से तेज कुमार और एसडीआरएफ में दारोगा मोहित सिंह रोथान फिलहाल विजिलेंस की जांच जारी है और विजिलेंस की अंतिम रिपोर्ट के बाद शासन के आदेश के बाद ही दारोगाओं पर आगे की कार्रवाई और उनके भविष्य का फैसला लिया जाएगा. लेकिन फिलहाल सभी दारोगाओं को राहत जरूर दी गई है.

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