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जलेबी में मिलाया जाने वाला रंग बन रहा लोगों के लिए जहर, सीएमएचओ ने कार्रवाई के दिए आदेश - Jalebi Colour Adulteration

Jalebi Colour Adulteration अगर आप भी चाट, मोमोज, चाइनीस पकोड़ा और चिकन रोस्ट, चिकन फ्राई खाने के शौकीन हैं, तो संभल जाइये. क्योंकि इन दिनों दुर्ग जिले में एक गाय छाप प्रिंट वाले जलेबी रंग के नाम पर मौत बिक रही है. यह रंग औद्योगिक उपयोग के लिए बनाया गया है, जिसका इस्तेमाल जलेबी रंग के नाम पर धड़ल्ले से किया जा रहा है. दुर्ग सीएमएचओ ने बाजार से इस रंग को हटाने के लिए आदेश दिए हैं.

Jalebi Colour
रंग बन रहा लोगों के लिए जहर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 21, 2024, 5:50 PM IST

रंग बन रहा लोगों के लिए जहर

दुर्ग : जिले में जलेबी रंग के नाम पर औद्योगिक उपयोग में इस्तेमाल किये जाने वाले रंग का उपयोग करने का मामला सामने आया है. सड़कव किनारे लगने वाले टपरी ठेलों में इसका धड़ल्ले से उपयोग करने की बात सामने आई है. शिकायत मिलने पर दुर्ग सीएमएचओ ने दुकानों से इस मिलावटी जलेबी रंग को हटाने के आदेश दिए गए हैं.

शहर के दुकानों में धड़ल्ले से हो रही बिक्री: इस रंग की बिक्री को लेकर दुर्ग भिलाई के बड़े दुकानों में जांच की. इस दौरान पाया गया कि धड़ल्ले से व्यापारी इसे जलेबी रंग मानकर खुले में या डब्बे सहित बेच रहे हैं. यहां जलेबी रंग के नाम से मौत बेचा जा रहा है. बावजूद इसके प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इस संबंध में जब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना है कि यह रंग मार्केट से हटाने के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेश दे दिए गए हैं.

"यह बात अभी मेरे संज्ञान में आई है कि जलेबी रंग में इस तरीके का रंग मिलाया जा रहा है, जो घातक है. इस तरीके का कोई एडल्ट्रिशियन होता है तो हमारी टीम के फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर को मैने तुरंत निर्देश दिया है कि आज ही जाकर वे सभी दुकानों में देखेंगे कि जहां पर भी इस रंग का उपयोग हो रहा है, वहां कार्रवाई करेंगे. एसडीएम से भी अनुरोध किया गया है कि जहां भी इस रंग का उपयोग हो रहा है, उसे जब्ती किया जाए." - डॉ जेपी मेश्राम, सीएमएचओ, दुर्ग

व्यापारियों और दुकानदारों को दी चेतावनी: दुर्ग सीएमएचओ डॉ जेपी मेश्राम ने कहा, होली के त्योहार को देखते हुए अधिकारियों को पहले से निर्देश दिया गया था. अधिकारी लगातार बाजारों का दौरा कर रहे हैं. अगर ऐसा किसी और दुकान में मिलावट को लेकरव शिकायत या जानकारी मिलती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए हम बाध्य रहेंगे." उन्होंने खाद्य सामाग्री के व्यापारियों और दुकानदारों को इस तरह के मिलावट न करने की चेतावनी भी दी है. इस मिलावटी जलेबी रंग से कैंसर होने का भी खतरा होता है.

यह केस संज्ञान में आया है. ऐसे दुकानदारों पर चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी. जिस जिस दुकान में जलेबी कलर बेच रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी." - पी दीपांकर, फूड अधिकारी

औद्योगिक उपयोग के रंग कर रहे इस्तेमाल: जलेबी रंग के बोटल में साफ लिखा हुआ है कि यह खाने योग्य नहीं है, केवल कलर करने औद्योगिक उपयोग के लिए है. फिर भी दुर्ग जिले में इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. शहर के हटरी बाजार, शनिचरी बाजार, भिलाई के लिंक रोड के अनाज एवं खाद्य सामानों के दुकानों में इसकी बिक्री हो रही है. इस जलेबी रंग को रायपुर की एक कंपनी के जरिए मेटानिल येल्लो काऊ के नाम से बेचा जा रहा है. इसकी सप्लाई जिले सहित पूरे छत्तीसगढ़ में की जा रही हैं.

दरअसल, आजकल चाट, गुपचुप, मोमोज को लोग रोजाना रूटीन में शामिल कर रहे हैं. इसमें खुले तौर पर इन कलर का उपयोग किया जा रहा है. यह सीधे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. लोगों को ऐसे रंगों और खान पान की चीजों के सेवन करते समय जागरूक होने की जरूरत भी है. आप जो खरीदते हैं उस पर ध्यान दें कि वह खाने योग्य पदार्थ है भी या नहीं.

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दुर्ग : जिले में जलेबी रंग के नाम पर औद्योगिक उपयोग में इस्तेमाल किये जाने वाले रंग का उपयोग करने का मामला सामने आया है. सड़कव किनारे लगने वाले टपरी ठेलों में इसका धड़ल्ले से उपयोग करने की बात सामने आई है. शिकायत मिलने पर दुर्ग सीएमएचओ ने दुकानों से इस मिलावटी जलेबी रंग को हटाने के आदेश दिए गए हैं.

शहर के दुकानों में धड़ल्ले से हो रही बिक्री: इस रंग की बिक्री को लेकर दुर्ग भिलाई के बड़े दुकानों में जांच की. इस दौरान पाया गया कि धड़ल्ले से व्यापारी इसे जलेबी रंग मानकर खुले में या डब्बे सहित बेच रहे हैं. यहां जलेबी रंग के नाम से मौत बेचा जा रहा है. बावजूद इसके प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इस संबंध में जब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना है कि यह रंग मार्केट से हटाने के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेश दे दिए गए हैं.

"यह बात अभी मेरे संज्ञान में आई है कि जलेबी रंग में इस तरीके का रंग मिलाया जा रहा है, जो घातक है. इस तरीके का कोई एडल्ट्रिशियन होता है तो हमारी टीम के फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर को मैने तुरंत निर्देश दिया है कि आज ही जाकर वे सभी दुकानों में देखेंगे कि जहां पर भी इस रंग का उपयोग हो रहा है, वहां कार्रवाई करेंगे. एसडीएम से भी अनुरोध किया गया है कि जहां भी इस रंग का उपयोग हो रहा है, उसे जब्ती किया जाए." - डॉ जेपी मेश्राम, सीएमएचओ, दुर्ग

व्यापारियों और दुकानदारों को दी चेतावनी: दुर्ग सीएमएचओ डॉ जेपी मेश्राम ने कहा, होली के त्योहार को देखते हुए अधिकारियों को पहले से निर्देश दिया गया था. अधिकारी लगातार बाजारों का दौरा कर रहे हैं. अगर ऐसा किसी और दुकान में मिलावट को लेकरव शिकायत या जानकारी मिलती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए हम बाध्य रहेंगे." उन्होंने खाद्य सामाग्री के व्यापारियों और दुकानदारों को इस तरह के मिलावट न करने की चेतावनी भी दी है. इस मिलावटी जलेबी रंग से कैंसर होने का भी खतरा होता है.

यह केस संज्ञान में आया है. ऐसे दुकानदारों पर चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी. जिस जिस दुकान में जलेबी कलर बेच रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी." - पी दीपांकर, फूड अधिकारी

औद्योगिक उपयोग के रंग कर रहे इस्तेमाल: जलेबी रंग के बोटल में साफ लिखा हुआ है कि यह खाने योग्य नहीं है, केवल कलर करने औद्योगिक उपयोग के लिए है. फिर भी दुर्ग जिले में इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. शहर के हटरी बाजार, शनिचरी बाजार, भिलाई के लिंक रोड के अनाज एवं खाद्य सामानों के दुकानों में इसकी बिक्री हो रही है. इस जलेबी रंग को रायपुर की एक कंपनी के जरिए मेटानिल येल्लो काऊ के नाम से बेचा जा रहा है. इसकी सप्लाई जिले सहित पूरे छत्तीसगढ़ में की जा रही हैं.

दरअसल, आजकल चाट, गुपचुप, मोमोज को लोग रोजाना रूटीन में शामिल कर रहे हैं. इसमें खुले तौर पर इन कलर का उपयोग किया जा रहा है. यह सीधे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. लोगों को ऐसे रंगों और खान पान की चीजों के सेवन करते समय जागरूक होने की जरूरत भी है. आप जो खरीदते हैं उस पर ध्यान दें कि वह खाने योग्य पदार्थ है भी या नहीं.

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