कुल्लू: एक समय था जब लोग नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेते थे. धीरे-धीरे समय बदला और सड़कों-पुलों का जाल बिछना शुरू हुआ. नाव से नदी पार करना बीते समय की बात हो गई. वहीं, भुंतर में आज भी लोग ब्यास नदी पार करने के लिए राफ्ट (एक प्रकार की नाव) का सहारा ले रहे हैं.
मामला जिला कुल्लू के भुंतर बैली ब्रिज का है. इसके पुनर्निर्माण के चलते इन दिनों ये बैली ब्रिज वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है. ऐसे में भुंतर सब्जी मंडी से पारला भुंतर जाने के लिए लोगों को 3 से 5 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है और ऑटो में उन्हें 100 से 300 रुपए भी खर्च करने पड़ रहे हैं. इसी बीच एक युवक राफ्ट के जरिए भी मात्र 20 रुपये में लोगों को ब्यास नदी पार करवा रहा है. इससे लोगों पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ रहा है और राफ्ट पायलट की भी आमदनी हो रही है.
ऑटो के मुकाबले कई गुना कम है राफ्ट का किराया
तलोगी का रहने वाला युवा राफ्ट संचालक अंशुल पहले से ही रिवर राफ्टिंग के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, जब भुंतर बैली ब्रिज को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद किया गया तो अंशुल के दोस्तों ने ब्यास में राफ्ट चलाने की सलाह दी. अंशुल ने भी भुंतर सब्जी मंडी चौक के पास ब्यास नदी में अपनी राफ्ट उतार दी. अब अंशुल 50 मीटर ब्यास नदी के दायरे को 5 मिनट में पूरा कर रहा है और रोजाना 400 से 500 लोग इस राफ्ट के माध्यम से नदी को आर पार कर रहे हैं. राफ्ट के पायलट अंशुल का कहना है कि, 'भुंतर बेली ब्रिज बंद होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. अब वो राफ्ट की मदद से लोगों को ब्यास नदी आर-पार करवा रहा है. राफ्ट का किराया मात्र 20 रुपए प्रति सवारी है. सारा दिन 400 से 500 लोग राफ्ट के माध्यम से आर पार हो रहे हैं. इस राफ्ट के माध्यम से लोगों को काफी कम समय में आने जाने की सुविधा मिल रही है और ऑटो के महंगे किराए से भी उन्हें निजात मिल रही है.'
![नाव से ब्यास नदी पार करते लोग](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23532573_1006_23532573_1739417175405.png)
बैली ब्रिज की जगह बनेगा पक्का पुल
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भुंतर बैली ब्रिज की जगह पक्का पुल तैयार करने के लिए साढ़े 4 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है और इन दिनों इसका कार्य भी शुरू कर दिया गया है. वहीं स्थानीय निवासी अनुज महंत और भुंतर सुधार समिति के उपाध्यक्ष मनीष कोंडल ने बताया कि, 'राफ्ट के माध्यम से जो सुविधा आज लोगों को मिल रही है वो काफी सराहनीय है. भुंतर बैली ब्रिज बीते 8 माह से वाहनों की आवाजाही के लिए बंद पड़ा हुआ है. राफ्ट के चलने से अब ऑटो के महंगे किराए से निजात मिली है, क्योंकि मात्र 100 मीटर की दूरी तय करने के लिए लोगों को ऑटो से तीन से पांच किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है. गड़सा या मणिकर्ण जाने वाले लोगों को 8 से 12 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है. भुंतर बैली ब्रिज का निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चला हुआ है. ऐसे में प्रदेश सरकार से मांग है कि वो ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ने से पहले इसके पिलर का कार्य पूरा करे, ताकि समय पर इसका निर्माण कार्य हो सके'.
![क्षतिग्रस्त बैली ब्रिज के स्थान पर बन रहा पक्का ब्रिज](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23532573_462_23532573_1739417257363.png)
दिसंबर से वाहनों की आवाजाही बंद
जिला कुल्लू के भुंतर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल पर साल 1978 में वैली ब्रिज बनाया गया था. साल 1996 में ब्यास नदी में आई बाढ़ के दौरान नदी का रुख बदल गया और नदी सब्जी मंडी भुंतर की ओर मुड़ गई, जिस कारण इस ब्रिज के एक छोर को नुक्सान हुआ. उसके बाद यहां एक छोर में सिंगल लेन छोटे ब्रिज को बड़े ब्रिज के साथ जोड़ा गया. ऐसे में यहां से एक लेन में ही वाहन गुजरते रहे. साल 2007-08 में एडी हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन के एक भारी वाहन ने इस ब्रिज के हिस्से को क्षतिग्रस्त किया और साल 2023 में आई बाढ़ के दौरान भी ब्रिज के इसी हिस्से की नींव हिल गई, जिस कारण काफी समय तक वाहनों की आवाजाही बंद रही. इसके बाद ब्रिज को वाहनों की आवाजाही के लिए असुरक्षित घोषित किया गया और दिसंबर माह से इसे वाहनों के लिए बंद कर दिया गया था.
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