पटनाः 'शौचालय' एक ऐसी व्यवस्था है जो महिलाओं के साथ होने वाली सामाजिक दुर्व्यवहार से निजात दिलाता है. राज्य के सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए इसकी समुचित व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी. शुक्रवार 13 सितंबर को चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की गयी.
क्या हुई सुनवाई मेंः पटना हाईकोर्ट ने राज्य में छात्राओं के लिए स्वच्छ शौचालयों और अन्य व्यवस्था के अभाव के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को प्रगति रिपोर्ट दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी स्कूलों में छात्राओं की संख्या के समुचित अनुपात में शौचालय एवं सैनिटरी नैपकिन को नष्ट करने वाली मशीनों की व्यवस्था हेतु एक जरूरी दिशानिर्देश तैयार करें.
कोर्ट के निर्देशः कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया था कि इस सम्बन्ध में एक कमिटी गठित की जाय. साथ ही कोर्ट ने सरकार से सभी स्कूलों के अंदर छात्राओं के लिए समुचित और स्वच्छ शौचालय सहित सैनिटरी नैपकिन को नष्ट करने वाली मशीनों के बारे में जानकारी मांगी थी. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से दायर हुए जवाबी हलफनामा पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में एक निश्चित दिशा निर्देश बनाए.
हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञानः बता दें कि पटना जिले में राजकीय एवं राजकीयकृत बालिका विद्यालयों (प्राथमिक मध्य एवं उच्च विद्यालय) में शौचालयों की दयनीय अवस्था पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले कर सुनवाई प्रारम्भ की थी. बाद में पटना हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का दायरा पटना जिला से बढ़ाकर पूरे राज्य के लिए कर दिया था. कोर्ट पूरे राज्य के स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय की व्यवस्था पर सुनवाई कर रही है.
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