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'सिर्फ किसी शख्स पर FIR दर्ज होने पर उसका आर्म्स लाइसेंस नहीं होगा रद्द' , पटना हाईकोर्ट में DM की दलील खारिज

सिर्फ किसी शख्स पर प्राथमिकी दर्ज होने पर उसका आर्म्स लाइसेंस रद्द नहीं होगा, पटना हाईकोर्ट ने डीएम की दलील खारिज कर दी है.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट (ETV bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 22, 2024, 9:35 AM IST

पटना: आर्म्स लाइसेंस को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अपने निर्णय से स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ मात्र प्राथमिकी दर्ज होना उसके आर्म्स लाइसेंस को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है. जस्टिस मोहित कुमार शाह ने सुनील कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट आदेश दिया है.

केस दर्ज होने से आर्म्स लाइसेंस रद्द नहीं होगा: याचिकाकर्ता ने सुपौल के जिला मजिस्ट्रेट के उस आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसमें याचिकाकर्ता के आर्म्स लाइसेंस को महज एफआईआर दर्ज होने पर रद्द कर दिया गया था. डीएम की दलील को खारिज करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि केवल एफआईआर दर्ज होना आपराधिक मामले का लंबित होना नहीं कहा जा सकता.

हाईकोर्ट ने क्या बोला?: पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में पुलिस द्वारा न तो आरोप पत्र दाखिल किया गया है और न ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया गया है. इसलिए यह शस्त्र लाइसेंस रखने के प्रयोजनों के लिए अयोग्यता नहीं होगी.

पासपोर्ट जब्त करने पर भी आया था फैसला: गौरतलब है कि मेवा लाल चौधरी बनाम भारत सरकार के मामले में पटना हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्राधिकरण के महज एफआईआर दर्ज करने पर पासपोर्ट जब्त करने के फैसले को अवैध और मनमाना करार दिया था. कोर्ट ने यह माना कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध मात्र आपराधिक मामले के लंबित रहने से याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें: आर्म्स लाइसेंस केस: IAS राजीव रंजन समेत अन्य की 4.69 करोड़ की संपत्ति पर सरकार का कब्जा

पटना: आर्म्स लाइसेंस को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अपने निर्णय से स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ मात्र प्राथमिकी दर्ज होना उसके आर्म्स लाइसेंस को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है. जस्टिस मोहित कुमार शाह ने सुनील कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट आदेश दिया है.

केस दर्ज होने से आर्म्स लाइसेंस रद्द नहीं होगा: याचिकाकर्ता ने सुपौल के जिला मजिस्ट्रेट के उस आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसमें याचिकाकर्ता के आर्म्स लाइसेंस को महज एफआईआर दर्ज होने पर रद्द कर दिया गया था. डीएम की दलील को खारिज करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि केवल एफआईआर दर्ज होना आपराधिक मामले का लंबित होना नहीं कहा जा सकता.

हाईकोर्ट ने क्या बोला?: पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में पुलिस द्वारा न तो आरोप पत्र दाखिल किया गया है और न ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया गया है. इसलिए यह शस्त्र लाइसेंस रखने के प्रयोजनों के लिए अयोग्यता नहीं होगी.

पासपोर्ट जब्त करने पर भी आया था फैसला: गौरतलब है कि मेवा लाल चौधरी बनाम भारत सरकार के मामले में पटना हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्राधिकरण के महज एफआईआर दर्ज करने पर पासपोर्ट जब्त करने के फैसले को अवैध और मनमाना करार दिया था. कोर्ट ने यह माना कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध मात्र आपराधिक मामले के लंबित रहने से याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता.

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