अजमेर : राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा और सब इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के मामले ने प्रदेश की राजनीति में तूफान मचा दिया. यह प्रकरण न केवल प्रशासनिक रूप से गंभीर था, बल्कि यह प्रदेश की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया. तत्कालीन गहलोत सरकार के लिए यह एक गंभीर संकट साबित हुआ, जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक चला. इस मुद्दे ने विपक्षी दलों को भी मौके का लाभ देने का अवसर दिया और भाजपा ने इसे अपनी चुनावी रैलियों में जमकर भुनाया. इसके कारण पेपर लीक प्रकरण ने लाखों बेरोजगार युवाओं के भरोसे और उम्मीद को धक्का पहुंचाया, जबकि आरपीएससी की साख भी दांव पर लगी.
आयोग के दो सदस्य गिरफ्तार : इस पेपर लीक प्रकरण की सच्चाई तब सामने आई जब आरपीएससी के दो सदस्य, बाबूलाल कटारा और रामूराम राइका इस साजिश में शामिल पाए गए और गिरफ्तार किए गए. इन घटनाओं ने युवाओं के बीच उम्मीदों को तोड़ दिया और परीक्षा प्रणाली को लेकर संदेह की स्थिति पैदा कर दी. आयोग की साख, जो पहले ही कई दावों और आरोपों के घेरे में थी, अब पूरी तरह से दांव पर थी. इस पेपर लीक प्रकरण ने न केवल गहलोत सरकार को घेरे में लिया, बल्कि आयोग के गठन और परीक्षा की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने लगे.
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राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा प्रक्रिया की गोपनीयता और पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों के बीच, आयोग को भंग करने और नए सिरे से गठन की मांग भी जोर पकड़ने लगी. राजनीति में इस मुद्दे ने हलचल मचाई और विपक्षी दल भाजपा ने इसका जोरदार विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप यह मुद्दा चुनावी बहस का हिस्सा बन गया. 2024 आते-आते यह स्पष्ट हो गया कि यह वर्ष आरपीएससी और उसकी छवि के लिए एक काले धब्बे के रूप में याद किया जाएगा.
पेपर लीक की घटनाओं का खुलासा : 23 दिसंबर 2023 की रात को उदयपुर पुलिस को सूचना मिली कि वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो गए हैं. पुलिस ने बेकारिया क्षेत्र में एक बस में परीक्षार्थियों को पकड़ने के बाद सुखेर स्थित एक होटल में पेपर सॉल्व करने की सूचना मिली. पुलिस ने सुबह करीब 5:15 बजे होटल पर छापा मारा और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान पुलिस ने एक कार जब्त की, जिसमें लैपटॉप, प्रिंटर और रिम पाए गए. जांच में यह सामने आया कि आरोपी सुरेश विश्नोई ने प्रिंटर के जरिए लीक पेपर को निकाल लिया था. जब पुलिस ने आरपीएससी को प्राप्त पेपर की जांच की, तो यह पुष्टि हुई कि यह वही सामान्य ज्ञान का पेपर था, जो आगामी परीक्षा में होने वाला था. इस खुलासे के बाद आयोग ने पेपर को रद्द कर दिया और सभी पकड़े गए परीक्षार्थियों को उनके निर्धारित सेंटर पर परीक्षा दिलवाने का फैसला किया.
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एसओजी की जांच और आरोपी गिरफ्तार : एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) ने मामले की जांच में गहरी पैठ बनाई और कई अहम तथ्य सामने आए. जांच में यह पाया गया कि आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा, उनके भांजे विजय डामोर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शंकर लाल परमार और उनके बेटे पंकज परमार इस साजिश में शामिल थे. इनकी कॉल डिटेल की जांच से यह खुलासा हुआ कि कटारा अक्सर पंकज परमार के मोबाइल का उपयोग करते थे. एसओजी ने डूंगरपुर के वागदरी गांव स्थित बाबूलाल कटारा के घर से 51 लाख 20 हजार रुपये नगद और 541 ग्राम सोने के गहने बरामद किए.
इसके अलावा, आरोपी अनिल मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा के पास से लीक पेपर की एक हूबहू कॉपी भी बरामद की गई. मीणा के मोबाइल से यह भी साबित हुआ कि उसने पेपर को बाबूलाल कटारा से खरीदा और बाद में भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका को बेचा. एसओजी की जांच में यह भी सामने आया कि मीणा कटारा से एक साल से संपर्क में था और उसने कई बार पैसों के लेन-देन की व्यवस्था की थी.
पेपर लीक के मास्टरमाइंड का पर्दाफाश : जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि अनिल मीणा ने 29 अक्टूबर 2022 को कटारा को डूंगरपुर स्थित उसके घर पर 60 लाख रुपये दिए थे. इसके अलावा, 26 नवंबर 2022 को मीणा ने पेपर की पीडीएफ तैयार कर उसे 80 लाख रुपये में भूपेंद्र सारण को बेचा. मीणा ने पेपर की एक कॉपी सुरेश ढाका को देने के लिए भी एक सौदा किया. ढाका ने इसे अपने रिश्तेदार सुरेश साउ को सौंपा, जो जालोर और उदयपुर में पेपर बेचने का काम करता था. साउ ने परीक्षार्थियों से 8 से 10 लाख रुपये में सौदा किया था. इस साजिश में सुरेश साउ का भाई गोपाल भी शामिल था, जिसे पुलिस ने बस सहित गिरफ्तार किया.
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एसओजी की ओर से पेश चार्जशीट के फैक्ट
- आरोपी अनिल मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा के पास मिली 104 पन्नों की डायरी में लेन देन का हिसाब मिला. डायरी में आरोपी भूपेंद्र सारण, प्रवीण सुतानिया, बाबूलाल कटारा से लेन देन का हिसाब मिला.
- 29 अक्टूबर 2022 को आरोपी अनिल मीणा ने आयोग सदस्य बाबूलाल कटारा को बैग में उसके डूंगरपुर घर पर 60 लाख रुपए दिए. यहां आरोपी अनिल मीणा अपने परिचित प्रवीण सेन के साथ होटल में ठहरा था.
- 26 नवंबर 2022 को प्रश्न पत्र की पीडीएफ बनाने के बाद आरोपी अनिल मीणा ने पेपर भूपेंद्र सारण को 80 लाख रुपए में बेचा था. वहीं, पेपर की एक कॉपी सुरेश कुमार ढाका को देने के लिए आरोपी अनिल मीणा ने सुरेश कुमार को कहा था.
- आरोपी सुरेश ढाका ने अपने रिश्तेदार सुरेश साउ को पेपर परीक्षार्थियों को बेचने के लिए दिया. एक लाख में पेपर का सौदा करने की बात तय हुई.
- आरोपी सुरेश साउ ने सुरेश विश्नोई के साथ मिलकर जालोर और उदयपुर में कई परीक्षार्थियों से संपर्क किया, जहां 8 से 10 लाख में सौदा कर दिया गया. पेपर को हल करने का सौदा पीराराम विश्नोई से हुआ था. साथ ही पुखराज, गोपाल विश्नोई और मंगलाराम को भी प्रश्न पत्र हल करने के लिए तैयार किया. उनसे 50 हजार रुपए प्रति प्रश्न को हल करने का सौदा हुआ था. इस प्रकरण में आरोपी सुरेश साउ का भाई गोपाल बस और कार के साथ इस पूरी साजिश में शामिल हुआ. आरोपी गोपाल को बस सहित उदयपुर से पकड़ा था.
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सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में भी धांधली : सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 का परिणाम आने के बाद से ही इस पर विवाद शुरू हो गया था. पेपर लीक के मामले में एसओजी ने जांच शुरू की और पाया कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी. अब तक 50 प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर और पेपर लीक गैंग से जुड़े 30 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. एसओजी ने अप्रैल 2024 में पहली बार एक प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया. इनमें से कई गिरफ्तारियां कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी जारी रही.
रामू राम राइका की संलिप्तता : सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में आयोग के पूर्व सदस्य रामू राम राइका का नाम भी सामने आया. राइका ने अपने बेटे और बेटी को पास करवाने के लिए पेपर लीक करवाए थे. एसओजी की जांच में यह भी सामने आया कि बाबूलाल कटारा ने 6 दिन पहले रामू राम राइका को परीक्षा का प्रश्न पत्र दिया था. इस खुलासे के बाद राइका, उनके बेटे देवेश और बेटी शोभा को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके अलावा, इस प्रकरण में आयोग अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय पर भी उंगलियां उठाई गईं, क्योंकि राइका के बेटे का साक्षात्कार श्रोत्रिय के बोर्ड में हुआ था.
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सरकार की जिम्मेदारी : इस पेपर लीक प्रकरण पर राज्य के विभिन्न छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. एनएसयूआई के अध्यक्ष फरहान ने कहा कि पेपर लीक ने बेरोजगार युवाओं के भरोसे को बड़ा झटका दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मामले में बड़ी मछलियों को पकड़ने के साथ-साथ कठोर कार्रवाई की जाए. एबीवीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आशु डूकिया ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने उच्च अधिकारियों और नेताओं के परिवार के सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए पेपर लीक प्रकरण में शामिल किया था. उन्होंने वर्तमान सरकार से अपील की कि इस मामले में शामिल बड़े चेहरों को भी बेनकाब किया जाए.
राजस्थान लोक सेवा आयोग में हुई पेपर लीक की घटनाओं ने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है और आयोग की परीक्षा प्रणाली पर गहरे सवाल उठाए हैं. यह प्रकरण प्रदेश के प्रशासन, राजनीति और युवाओं के विश्वास के लिए बड़ा संकट बन गया है.