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गांव में घुसा ये अजीब जानवर, खौफजदा हुए ग्रामीण, वन विभाग ने किया रेस्क्यू - Pangolin Rescue

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 2, 2024, 6:22 PM IST

Pangolin Rescue, धौलपुर के सैपऊ उपखंड के नुनेहरा गांव में शुक्रवार को एक पैंगोलिन घुस आया, जिसे देख ग्रामीण खौफजदा हो गए. वहीं, कुछ समय बाद इसकी सूचना वन विभाग को दी गई, जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया.

Pangolin Rescue
वन विभाग ने किया रेस्क्यू (ETV BHARAT Dholpur)

धौलपुर. जिले के सैपऊ उपखंड के गांव नुनेहरा में शुक्रवार को पैंगोलिन के घुस आने से ग्रामीण खौफजदा हो गए. इसकी सूचना वन विभाग को दी गई. वहीं, मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने पैंगोलिन को रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित केशरबाग सेंचुरी में छोड़ दिया. रेंजर राजेश मीणा ने बताया कि पैंगोलिन एक दुर्लभ प्रजाति का स्तनधारी प्राणी है. उसके शरीर पर केराटिन के शल्कनुमा संरचना बनी होती है, जिससे ये अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है. ये अफ्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है.

वहीं, शुक्रवार को सैपऊ उपखंड के नुनेहरा गांव में इसके प्रवेश करने की सूचना मिली, जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित केशरबाग सेंचुरी में छोड़ दिया. हालांकि, गांव में इसके घुसने से ग्रामीण डर गए थे और लोगों ने अपने घरों के दरवाजे बंद कर लिए थे.

इसे भी पढ़ें - उदयपुर के गांव में घुसा पैंथर, हमले में पांच लोग घायल, देखिए वीडियो

उन्होंने बताया कि पैंगोलिन के मांस का व्यापार होने के कारण इसकी सभी प्रजातियां अब आहिस्ते-आहिस्ते विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं. 80 के दशक ये चींटीखोर रेगिस्तानी इलाकों के अलावा देश के करीब हर भौगोलिक क्षेत्रों में दिखाई देता था. दूर से देखने में ये छोटा डायनासोर जैसा प्रतीत होता है. वहीं, पैंगोलिन बहुत शर्मीला और सीधा किस्म का जानवर है. ये ज्यादातर चींटी, कीड़े और दीमक खाकर अपना पेट भरता है.

धौलपुर. जिले के सैपऊ उपखंड के गांव नुनेहरा में शुक्रवार को पैंगोलिन के घुस आने से ग्रामीण खौफजदा हो गए. इसकी सूचना वन विभाग को दी गई. वहीं, मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने पैंगोलिन को रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित केशरबाग सेंचुरी में छोड़ दिया. रेंजर राजेश मीणा ने बताया कि पैंगोलिन एक दुर्लभ प्रजाति का स्तनधारी प्राणी है. उसके शरीर पर केराटिन के शल्कनुमा संरचना बनी होती है, जिससे ये अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है. ये अफ्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है.

वहीं, शुक्रवार को सैपऊ उपखंड के नुनेहरा गांव में इसके प्रवेश करने की सूचना मिली, जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित केशरबाग सेंचुरी में छोड़ दिया. हालांकि, गांव में इसके घुसने से ग्रामीण डर गए थे और लोगों ने अपने घरों के दरवाजे बंद कर लिए थे.

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उन्होंने बताया कि पैंगोलिन के मांस का व्यापार होने के कारण इसकी सभी प्रजातियां अब आहिस्ते-आहिस्ते विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं. 80 के दशक ये चींटीखोर रेगिस्तानी इलाकों के अलावा देश के करीब हर भौगोलिक क्षेत्रों में दिखाई देता था. दूर से देखने में ये छोटा डायनासोर जैसा प्रतीत होता है. वहीं, पैंगोलिन बहुत शर्मीला और सीधा किस्म का जानवर है. ये ज्यादातर चींटी, कीड़े और दीमक खाकर अपना पेट भरता है.

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