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हरियाणा बजट 2024: पंचकूला के लोगों को आस, सुरक्षा-शिक्षा में होगा सुधार, बिजली उत्पादन भी जरूरी बताया - हरियाणा बजट 2024

Haryana Budget 2024: चुनावी साल होने की वजह से हरियाणा के लोग इस बार हरियाणा बजट से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पंचकूला के लोगों ने बताया कि इस बार का बजट कैसा होना चाहिए.

Haryana Budget 2024
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 21, 2024, 7:45 PM IST

पंचकूला के लोगों को आस, सुरक्षा-शिक्षा में होगा सुधार, बिजली उत्पादन भी जरूरी बताया

पंचकूला: 23 फरवरी को हरियाणा का बजट पेश होना है. लोकसभा चुनाव में भी वक्त बहुत की कम रह गया है. ऐसे में हरियाणा के लोग बजट से काफी उम्मीद लगाए हुए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम से सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर वीके जैन ने कहा कि प्रदेश सरकार को विभिन्न स्रोतों से विद्युत उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए.

'विद्युत उत्पादन पर जोर दे सकरकार': उन्होंने कहा कि हाइडल, न्यूक्लियर एनर्जी, बायो-फ्यूल समेत अन्य गैर पारंपरिक एनर्जी स्त्रोत बढ़ाने चाहिए. इस दिशा में बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि नए-नए स्रोतों की खोज कर सकें. वीके जैन ने कहा कि केंद्र और चंडीगढ़ की तर्ज पर हरियाणा के जिला पंचकूला में भी लोगों के मकानों पर निशुल्क रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने की व्यवस्था की जाए, ताकि विद्युत उत्पादन से लोगों को राहत मिल सके.

'बिजली स्लैब प्रक्रिया एक समान करें': वीके जैन ने कहा कि बिजली के निर्धारित स्लैब भी एक समान किए जाने चाहिए. क्योंकि घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली खपत 800 यूनिट पार होते ही सबसे अधिक रेट लग जाता है, जो ठीक नहीं. उन्होंने कहा कि स्लैब सिस्टम पहले की तरह ही रहना चाहिए और 800 यूनिट से जितनी खपत अधिक हुई, उसके अनुसार ही चार्ज किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रदेश सरकार ने 250 यूनिट पर दी जाने वाली सब्सिडी भी बंद कर दी है, जिसे पुनः शुरू किया जाना चाहिए. प्रदेश को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना चाहिए.

'सरकारी कर्मचारियों पर दोहरी मार': अनूप सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार के कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ती है. उन्होंने कहा कि गैस सिलेंडर समेत अन्य उत्पादों के रेट बढ़े हुए हैं. वेतन भी टैक्स कटने के बाद मिलता है. बावजूद इसके कोई भी छोटी-बड़ी वस्तु खरीदने पर भी टैक्स देना पड़ता है, इससे कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ती है. ऐसे में कर्मचारी के लिए इतनी महंगाई में अपना मकान बनाना और अन्य आवश्यकताएं पूरी करना मुश्किल है.

'मिडिल क्लास के लोग हताश': एसके नय्यर ने कहा कि महंगाई के इस दौर में सबसे अधिक प्रभावित मिडिल क्लास है. क्योंकि मिडिल क्लास वर्ग गरीबी रेखा के अंतर्गत तो नहीं आता लेकिन सदैव गरीबी व मजबूरियों के मुहाने पर खड़ा रहता है. उन्होंने कहा कि सरकार गरीब कल्याण के लिए तो योजनाएं चलाती हैं लेकिन मिडिल क्लास की मजबूती के लिए किसी प्रकार की कोई राहत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. बजट में चरमराई कानून व्यवस्था की मजबूती के लिए प्रावधान करना चाहिए. नई भर्ती कर स्टाफ पूरा करें और दिन-रात सुरक्षा के लिए संचालित सीसीटीवी कैमरे लगें.

'शिक्षा पर खर्च किया जाए अधिक फंड': पंचकूला निवासी सुनील वशिष्ठ ने कहा कि प्रदेश सरकार को सुरक्षा समेत हर तरफ मजबूती के लिए शिक्षा क्षेत्र पर अधिक फंड खर्च करना चाहिए. जिन किन्हीं गांव या अन्य जगहों से मुख्य मार्ग तक पक्की सड़कें नहीं हैं, उन सड़कों का निर्माण किया जाए. उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों को निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके अलावा प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए.

'नीति तो बनी पर लागू करने की रफ्तार धीमी': पंचकूला इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव राकेश गर्ग ने कहा कि उन्हें प्रदेश सरकार से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन लंबे समय से काफी पेंडेंसी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री संबंधी वन स्टॉप सॉल्यूशन अधिक प्रभावी साबित नहीं हुआ है. जो नीति बनाई गई, उसे लागू करने की रफ्तार भी काफी धीमी है. इसके अलावा इंडस्ट्री संबंधी रोजगार के लिए जो क्लस्टर बनाए गए हैं, उन्हें भी सही इस्तेमाल में नहीं लाया जा पा रहा. पॉलिसी तो है लेकिन एंप्लॉयमेंट की परेशानी बनी हुई है. जमीन काफी महंगी है, बिजली महंगी है.

'सरकारी फीस अधिक होने से प्रोडक्शन पर असर': राकेश गर्ग ने कहा कि प्रोडक्शन अधिक होती है लेकिन ट्रांसफर फीस, लैंड कॉस्ट काफी अधिक होने के कारण इसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ता है, नतीजतन प्रोडक्ट महंगा हो जाता है. प्रदेश सरकार को छोटी इंडस्ट्री पर फोकस करते हुए रोजगार के अवसर अधिक पैदा करने चाहिए. इसके अलावा टैक्स छूट, ट्रांसफर पॉलिसी और इंडस्ट्रियल पॉलिसी में काफी लालफीताशाही है, जिसे खत्म करना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा बजट 2024: किसानों की सराकर से आस, बोले- खाद-बीज और पशुओं के फीड-चारे पर मिले सब्सिडी

ये भी पढ़ें- हरियाणा बजट सत्र: 30 दिन में PPP में सुधरेगी गलती, 22 फरवरी के लिए JJP ने जारी किया व्हिप

पंचकूला के लोगों को आस, सुरक्षा-शिक्षा में होगा सुधार, बिजली उत्पादन भी जरूरी बताया

पंचकूला: 23 फरवरी को हरियाणा का बजट पेश होना है. लोकसभा चुनाव में भी वक्त बहुत की कम रह गया है. ऐसे में हरियाणा के लोग बजट से काफी उम्मीद लगाए हुए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम से सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर वीके जैन ने कहा कि प्रदेश सरकार को विभिन्न स्रोतों से विद्युत उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए.

'विद्युत उत्पादन पर जोर दे सकरकार': उन्होंने कहा कि हाइडल, न्यूक्लियर एनर्जी, बायो-फ्यूल समेत अन्य गैर पारंपरिक एनर्जी स्त्रोत बढ़ाने चाहिए. इस दिशा में बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि नए-नए स्रोतों की खोज कर सकें. वीके जैन ने कहा कि केंद्र और चंडीगढ़ की तर्ज पर हरियाणा के जिला पंचकूला में भी लोगों के मकानों पर निशुल्क रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने की व्यवस्था की जाए, ताकि विद्युत उत्पादन से लोगों को राहत मिल सके.

'बिजली स्लैब प्रक्रिया एक समान करें': वीके जैन ने कहा कि बिजली के निर्धारित स्लैब भी एक समान किए जाने चाहिए. क्योंकि घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली खपत 800 यूनिट पार होते ही सबसे अधिक रेट लग जाता है, जो ठीक नहीं. उन्होंने कहा कि स्लैब सिस्टम पहले की तरह ही रहना चाहिए और 800 यूनिट से जितनी खपत अधिक हुई, उसके अनुसार ही चार्ज किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रदेश सरकार ने 250 यूनिट पर दी जाने वाली सब्सिडी भी बंद कर दी है, जिसे पुनः शुरू किया जाना चाहिए. प्रदेश को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना चाहिए.

'सरकारी कर्मचारियों पर दोहरी मार': अनूप सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार के कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ती है. उन्होंने कहा कि गैस सिलेंडर समेत अन्य उत्पादों के रेट बढ़े हुए हैं. वेतन भी टैक्स कटने के बाद मिलता है. बावजूद इसके कोई भी छोटी-बड़ी वस्तु खरीदने पर भी टैक्स देना पड़ता है, इससे कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ती है. ऐसे में कर्मचारी के लिए इतनी महंगाई में अपना मकान बनाना और अन्य आवश्यकताएं पूरी करना मुश्किल है.

'मिडिल क्लास के लोग हताश': एसके नय्यर ने कहा कि महंगाई के इस दौर में सबसे अधिक प्रभावित मिडिल क्लास है. क्योंकि मिडिल क्लास वर्ग गरीबी रेखा के अंतर्गत तो नहीं आता लेकिन सदैव गरीबी व मजबूरियों के मुहाने पर खड़ा रहता है. उन्होंने कहा कि सरकार गरीब कल्याण के लिए तो योजनाएं चलाती हैं लेकिन मिडिल क्लास की मजबूती के लिए किसी प्रकार की कोई राहत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. बजट में चरमराई कानून व्यवस्था की मजबूती के लिए प्रावधान करना चाहिए. नई भर्ती कर स्टाफ पूरा करें और दिन-रात सुरक्षा के लिए संचालित सीसीटीवी कैमरे लगें.

'शिक्षा पर खर्च किया जाए अधिक फंड': पंचकूला निवासी सुनील वशिष्ठ ने कहा कि प्रदेश सरकार को सुरक्षा समेत हर तरफ मजबूती के लिए शिक्षा क्षेत्र पर अधिक फंड खर्च करना चाहिए. जिन किन्हीं गांव या अन्य जगहों से मुख्य मार्ग तक पक्की सड़कें नहीं हैं, उन सड़कों का निर्माण किया जाए. उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों को निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके अलावा प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए.

'नीति तो बनी पर लागू करने की रफ्तार धीमी': पंचकूला इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव राकेश गर्ग ने कहा कि उन्हें प्रदेश सरकार से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन लंबे समय से काफी पेंडेंसी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री संबंधी वन स्टॉप सॉल्यूशन अधिक प्रभावी साबित नहीं हुआ है. जो नीति बनाई गई, उसे लागू करने की रफ्तार भी काफी धीमी है. इसके अलावा इंडस्ट्री संबंधी रोजगार के लिए जो क्लस्टर बनाए गए हैं, उन्हें भी सही इस्तेमाल में नहीं लाया जा पा रहा. पॉलिसी तो है लेकिन एंप्लॉयमेंट की परेशानी बनी हुई है. जमीन काफी महंगी है, बिजली महंगी है.

'सरकारी फीस अधिक होने से प्रोडक्शन पर असर': राकेश गर्ग ने कहा कि प्रोडक्शन अधिक होती है लेकिन ट्रांसफर फीस, लैंड कॉस्ट काफी अधिक होने के कारण इसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ता है, नतीजतन प्रोडक्ट महंगा हो जाता है. प्रदेश सरकार को छोटी इंडस्ट्री पर फोकस करते हुए रोजगार के अवसर अधिक पैदा करने चाहिए. इसके अलावा टैक्स छूट, ट्रांसफर पॉलिसी और इंडस्ट्रियल पॉलिसी में काफी लालफीताशाही है, जिसे खत्म करना जरूरी है.

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