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हरियाणा टूर पर विदेशी पक्षी, पंचकूला की 6 मंजिला 'इमारत' के 650 'लग्जरी फ्लैट्स' में डाला डेरा - PANCHKULA MIGRATORY BIRD HOUSE

पंचकूला में प्रवासी पक्षियों की कई प्रजाति के अलग-अलग टोलियां अठखेलियां करती दिखाई देंगी.

Panchkula Migratory Bird House
Panchkula Migratory Bird House (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 10, 2024, 12:22 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 2:16 PM IST

पंचकूला: पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके...जी बिल्कुल ये पंक्तियां महज किसी गाने की नहीं, बल्कि ऊंची उड़ान भरकर मिलों-मिल का सफर तय कर एक देश से दूसरे देश का सफर तय करने वाले पक्षियों के जीवन की है. प्रवासी पक्षियों का चहचहाना किसी भी देश के मौसम, खुशहाली और खूबसूरती की पहचान है.

अब हरियाणा के जिला पंचकूला में भी प्रवासी पक्षी- साइबेरियन सारस, ग्रेटर फ्लेमिंगो व अन्य कई प्रजाति के पक्षियों की अलग-अलग टोलियां अठखेलियां करती दिखाई देंगी. क्योंकि पंचकूला स्थित माता मनसा देवी मंदिर परिसर के पास अब पक्षियों का अपना घरौंदा बनकर लगभग तैयार हो चुका है. नतीजतन लोक लुभावने पक्षियों की सुबह और शाम अब इसी इमारत के फ्लैट नुमा घरौंदों से होगी.

इस सप्ताह से होगा आनाजाना-चबूतरे से चुगेंगे दाना: अपने इस घर में अलग-अलग रंग और आकार के विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का आना-जाना लगभग इसी सप्ताह से शुरू हो जाएगा. अब इस विशेष इमारत के सबसे निचले हिस्से में महज एक चबूतरा बनना शेष रह गया है, जो चंद दिन में बनकर तैयार हो जाएगा. फिर लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखरने वाले कई प्यारे पक्षी यहां चबूतरे से अपना दाना-चुग चुग कर उड़ान भरेंगे और शाम होने पर फिर वहीं लौट आएंगे.

Panchkula Migratory Bird House
पंचकूला की पक्षियों की 6 मंजिला 'इमारत' में 650 'लग्जरी फ्लैट्स' (Etv Bharat`)

प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा शरद ऋतु: भारत में शरद ऋतु आने पर विशेषकर उत्तर भारत में मौसम ठंडा होने पर प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजाति टोलियां यहां आती हैं. चंडीगढ़ की सुखना झील हो, नेपाली फॉरेस्ट हो या फिर आसपास के अन्य पहाड़ी क्षेत्र, प्रवासी पक्षी हर साल यहां आकर अपना बसेरा बनाते हैं. यहां अनेक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां देखी जाती हैं, यहां तक कि कई दुर्लभ प्रजातियां भी यहां देखी गई हैं. अब इस कड़ी में पंचकूला भी शुमार होने जा रहा है.

6 मंजिला इमारत में 650 घोंसले: पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल ने बताया कि प्रदूषण और बदलते मौसम से पक्षियों के जीवन पर खतरा बढ़ रहा है. यही कारण है कि पंचकूला गौशाला ट्रस्ट ने पक्षियों को सुरक्षित आवास देने के लिए 52 फुट की ऊंचाई वाले 6 मंजिला पक्षी आश्रय गृह बनाने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि इस टावर में करीब 650 मजबूत घोंसले बनाए गए और प्रत्येक घोंसले में पक्षियों का जोड़ा काफी आरामदायक तरीके से रह सकेगा. इस इमारत में करीब 2500 पक्षियों को आश्रय मिल सकेगा.

हर मौसम के लिए अनुकूल रहेगी इमारत: मेयर कुलभूषण गोयल के अनुसार इस टावर पर मोर की आकृति भी बनाई जा सकती है, ताकि पक्षियों को यह जगह उनके अनुकूल लग सके. इस बहुमंजिला संरचना से पक्षी गर्मी, ठंड, बरसात व धूल से बच सकेंगे. इसके लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली विशेष सामग्री घोंसले के अंदर एक समान तापमान बनाए रखने में सहायक होगी.

गुजरात दौरे पर देखा पक्षी आश्रय: कुलभूषण गोयल ने बताया कि उन्होंने अपने गुजरात दौरे के दौरान वहां एक पक्षी आश्रय देखा था. तभी से उन्हें पंचकूला में भी एक आश्रय बनाने का ख्याल आया. उन्होंने वन्य जीवों और पक्षियों की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी बताई. उन्होंने बताया कि पक्षियों की सुरक्षा के उद्देश्य से गुजरात के कारीगर कुछ लाख रुपयों (करीब 7-8 लाख) की लागत से इस टावर का निर्माण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कीड़ों की रक्षा करें, पक्षियों की रक्षा करें के साथ मनाया जा रहा विश्व प्रवासी पक्षी दिवस - World Migratory Bird Day 2024

ये भी पढ़ें: World Migratory Bird Day 2023 : विश्व प्रवासी पक्षी दिवस, दुनिया में कुल 40 फीसदी पक्षी हैं नियमित प्रवासी

पंचकूला: पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके...जी बिल्कुल ये पंक्तियां महज किसी गाने की नहीं, बल्कि ऊंची उड़ान भरकर मिलों-मिल का सफर तय कर एक देश से दूसरे देश का सफर तय करने वाले पक्षियों के जीवन की है. प्रवासी पक्षियों का चहचहाना किसी भी देश के मौसम, खुशहाली और खूबसूरती की पहचान है.

अब हरियाणा के जिला पंचकूला में भी प्रवासी पक्षी- साइबेरियन सारस, ग्रेटर फ्लेमिंगो व अन्य कई प्रजाति के पक्षियों की अलग-अलग टोलियां अठखेलियां करती दिखाई देंगी. क्योंकि पंचकूला स्थित माता मनसा देवी मंदिर परिसर के पास अब पक्षियों का अपना घरौंदा बनकर लगभग तैयार हो चुका है. नतीजतन लोक लुभावने पक्षियों की सुबह और शाम अब इसी इमारत के फ्लैट नुमा घरौंदों से होगी.

इस सप्ताह से होगा आनाजाना-चबूतरे से चुगेंगे दाना: अपने इस घर में अलग-अलग रंग और आकार के विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का आना-जाना लगभग इसी सप्ताह से शुरू हो जाएगा. अब इस विशेष इमारत के सबसे निचले हिस्से में महज एक चबूतरा बनना शेष रह गया है, जो चंद दिन में बनकर तैयार हो जाएगा. फिर लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखरने वाले कई प्यारे पक्षी यहां चबूतरे से अपना दाना-चुग चुग कर उड़ान भरेंगे और शाम होने पर फिर वहीं लौट आएंगे.

Panchkula Migratory Bird House
पंचकूला की पक्षियों की 6 मंजिला 'इमारत' में 650 'लग्जरी फ्लैट्स' (Etv Bharat`)

प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा शरद ऋतु: भारत में शरद ऋतु आने पर विशेषकर उत्तर भारत में मौसम ठंडा होने पर प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजाति टोलियां यहां आती हैं. चंडीगढ़ की सुखना झील हो, नेपाली फॉरेस्ट हो या फिर आसपास के अन्य पहाड़ी क्षेत्र, प्रवासी पक्षी हर साल यहां आकर अपना बसेरा बनाते हैं. यहां अनेक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां देखी जाती हैं, यहां तक कि कई दुर्लभ प्रजातियां भी यहां देखी गई हैं. अब इस कड़ी में पंचकूला भी शुमार होने जा रहा है.

6 मंजिला इमारत में 650 घोंसले: पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल ने बताया कि प्रदूषण और बदलते मौसम से पक्षियों के जीवन पर खतरा बढ़ रहा है. यही कारण है कि पंचकूला गौशाला ट्रस्ट ने पक्षियों को सुरक्षित आवास देने के लिए 52 फुट की ऊंचाई वाले 6 मंजिला पक्षी आश्रय गृह बनाने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि इस टावर में करीब 650 मजबूत घोंसले बनाए गए और प्रत्येक घोंसले में पक्षियों का जोड़ा काफी आरामदायक तरीके से रह सकेगा. इस इमारत में करीब 2500 पक्षियों को आश्रय मिल सकेगा.

हर मौसम के लिए अनुकूल रहेगी इमारत: मेयर कुलभूषण गोयल के अनुसार इस टावर पर मोर की आकृति भी बनाई जा सकती है, ताकि पक्षियों को यह जगह उनके अनुकूल लग सके. इस बहुमंजिला संरचना से पक्षी गर्मी, ठंड, बरसात व धूल से बच सकेंगे. इसके लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली विशेष सामग्री घोंसले के अंदर एक समान तापमान बनाए रखने में सहायक होगी.

गुजरात दौरे पर देखा पक्षी आश्रय: कुलभूषण गोयल ने बताया कि उन्होंने अपने गुजरात दौरे के दौरान वहां एक पक्षी आश्रय देखा था. तभी से उन्हें पंचकूला में भी एक आश्रय बनाने का ख्याल आया. उन्होंने वन्य जीवों और पक्षियों की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी बताई. उन्होंने बताया कि पक्षियों की सुरक्षा के उद्देश्य से गुजरात के कारीगर कुछ लाख रुपयों (करीब 7-8 लाख) की लागत से इस टावर का निर्माण कर रहे हैं.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 2:16 PM IST
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