ETV Bharat / state

नेचर लवर ने छोड़ी इंजीनियरिंग की नौकरी, डाला खुशबू का कारोबार, 4 साल में दिया 10 लोगों को रोजगार - Himachal Natural Products Startup

पालमपुर के राजन मिन्हास ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर, प्राकृतिक वैक्स से बने उत्पादों का स्टार्टअप शुरू किया और अब लाखों रुपए कमा रहे हैं.

author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

HIMACHAL NATURAL PRODUCTS STARTUP
खुशबुओं का सौदागर राजन मिन्हास (ETV Bharat)

मंडी: प्रकृति प्रेम के आगे बाकी सारी चीजें धरी की धरी रह जाती हैं. ऐसा बहुत बार देखा गया है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले और लाखों रुपयों की सैलरी लेने वाले लोग भी सारी चीजों को दरकिनार कर प्रकृति को ही अपने जीवन यापन का साधन बना लेते हैं. ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिला है. बचपन से प्रकृति व विभिन्न प्राकृतिक चीजों की खुशबुओं से मंत्रमुग्ध होने वाले इंजीनियर युवक का नौकरी से ऐसा मन उठा कि अपनी अच्छी खासी नौकरी को लात मारकर, हिमाचल अपने घर लौट आया.

नेचुरल फ्रेगरेंस ने हमेशा किया आकर्षित

प्रकृति की महक ने इस युवक को अपनी ओर ऐसे आकर्षित किया कि खुशबू बांटने को ही इस युवक ने अपना पेशा बना लिया और आज ये युवक खुशबुओं का सौदागर बन गया है. ये बात हो रही कांगड़ा जिले के पालमपुर के रहने वाले राजन मिन्हास की. आज के समय में राजन मिन्हास अरोमा थेरेपी के प्राकृतिक प्रोडक्ट बेचकर न केवल सफल उद्यमी बनें हैं, बल्कि इन्होंने अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए भी रोजगार के दरवाजे खोल दिए हैं.

पालमपुर के उद्यमी राजन मिन्हास बना रहे नेचुरल अरोमा थेरेपी प्रोडक्ट्स (ETV Bharat)

साल 2020 में शुरू किया स्टार्टअप

राजन मिन्हास ने 4 साल पहले कांकशी नाम से अरोमा थेरेपी के प्राकृतिक उत्पाद बनाना शुरू किया था और आज वे अपने इस स्टार्टअप से लाखों रुपए कमा रहे हैं. अरोमा थेरेपी के ये उत्पाद इस बार मंडी शहर के गांधी शिल्प बाजार की बिक्री एवं प्रदर्शनी में भी पहुंचे हैं. राजन मिन्सान बताते हैं, "मैं पहले से ही नेचुरल फ्रेगरेंस के प्रति आकर्षित रहा हूं. प्रकृति प्रेम के चलते साल 2018 में साउथ इंडिया में पहले अच्छी खासी इनकम की इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ी. जिसके बाद घर आ गया और प्रकृति से संबंधित अलग-अलग व्यावसायिक आइडिया पर काम करने लगा. साल 2020 में सीएम स्टार्टअप योजना के तहत हिमाचल जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान यानी सीएसआईआर के सहयोग से प्राकृतिक वैक्स से अरोमा थेरेपी उत्पाद बनना शुरू किए."

HIMACHAL NATURAL PRODUCTS STARTUP
100% नेचुरल वैक्स से बने प्रोडक्ट्स (ETV Bharat)

100% प्राकृतिक वैक्स से बने प्रोडक्ट

अरोमा थेरेपी प्रोडक्ट के उद्यमी राजन मिन्हास ने बताया कि वो शत प्रतिशत प्राकृतिक वैक्स से इन प्रोडक्ट को बना रहे हैं. जिनमें अरोमा कैंडल, विभिन्न प्रकार के इत्र, रोज वाटर, मसाज कैंडल इत्यादि शामिल हैं. जो व्यक्ति को रिफ्रेश, एनर्जेटिक महसूस कराने के साथ भावनात्मक व मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करते हैं. इन प्रोडक्ट को बनाने के लिए उन्होंने पालमपुर से ही अपना स्टार्टअप शुरू किया है. जिसका सालाना टर्न ओवर करीब 20 लाख तक पहुंच गया है. प्रोडक्ट बनाने में उनके साथ शैलजा स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. जो हर महीने 6-8 हजार रुपये घर द्वार पर ही कमा रही हैं.

पैकेजिंग में प्लास्टिक से परहेज

वहीं, राजन ने बताया कि इन प्रोडक्ट को बनाने के लिए वे हिमाचल व बाहरी राज्यों से रॉ-मैटेरियल खरीद रहे हैं. इन प्रोडक्ट की पैकिंग के लिए प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल हो इसका भी खास ध्यान रखा जा रहा है. कैंडल की पैकिंग के लिए वेस्ट पाइन नीडल व कोकोनट शेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्राकृतिक उत्पादों की ज्यादा प्राकृतिक चीजों (प्राकृतिक वेस्ट) में ही पैकेजिंग की जाती है.

ये भी पढ़ें: कीवी की खेती से लखपति बन गए हिमाचल के ये बागवान, एक साल में कमाए 25 लाख रुपये

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस व्यवसाय से जुड़कर नौकरी से अधिक पैसा कमा सकते हैं युवा, देश के फाइव स्टार होटलों में रहती है मांग

ये भी पढ़ें: आंख में गिरे तिनके को निकाल रोशनी बांट रहे नंदलाल, PGI से निराश लौटे लोगों को भी पहुंचा चुके हैं राहत

मंडी: प्रकृति प्रेम के आगे बाकी सारी चीजें धरी की धरी रह जाती हैं. ऐसा बहुत बार देखा गया है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले और लाखों रुपयों की सैलरी लेने वाले लोग भी सारी चीजों को दरकिनार कर प्रकृति को ही अपने जीवन यापन का साधन बना लेते हैं. ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिला है. बचपन से प्रकृति व विभिन्न प्राकृतिक चीजों की खुशबुओं से मंत्रमुग्ध होने वाले इंजीनियर युवक का नौकरी से ऐसा मन उठा कि अपनी अच्छी खासी नौकरी को लात मारकर, हिमाचल अपने घर लौट आया.

नेचुरल फ्रेगरेंस ने हमेशा किया आकर्षित

प्रकृति की महक ने इस युवक को अपनी ओर ऐसे आकर्षित किया कि खुशबू बांटने को ही इस युवक ने अपना पेशा बना लिया और आज ये युवक खुशबुओं का सौदागर बन गया है. ये बात हो रही कांगड़ा जिले के पालमपुर के रहने वाले राजन मिन्हास की. आज के समय में राजन मिन्हास अरोमा थेरेपी के प्राकृतिक प्रोडक्ट बेचकर न केवल सफल उद्यमी बनें हैं, बल्कि इन्होंने अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए भी रोजगार के दरवाजे खोल दिए हैं.

पालमपुर के उद्यमी राजन मिन्हास बना रहे नेचुरल अरोमा थेरेपी प्रोडक्ट्स (ETV Bharat)

साल 2020 में शुरू किया स्टार्टअप

राजन मिन्हास ने 4 साल पहले कांकशी नाम से अरोमा थेरेपी के प्राकृतिक उत्पाद बनाना शुरू किया था और आज वे अपने इस स्टार्टअप से लाखों रुपए कमा रहे हैं. अरोमा थेरेपी के ये उत्पाद इस बार मंडी शहर के गांधी शिल्प बाजार की बिक्री एवं प्रदर्शनी में भी पहुंचे हैं. राजन मिन्सान बताते हैं, "मैं पहले से ही नेचुरल फ्रेगरेंस के प्रति आकर्षित रहा हूं. प्रकृति प्रेम के चलते साल 2018 में साउथ इंडिया में पहले अच्छी खासी इनकम की इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ी. जिसके बाद घर आ गया और प्रकृति से संबंधित अलग-अलग व्यावसायिक आइडिया पर काम करने लगा. साल 2020 में सीएम स्टार्टअप योजना के तहत हिमाचल जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान यानी सीएसआईआर के सहयोग से प्राकृतिक वैक्स से अरोमा थेरेपी उत्पाद बनना शुरू किए."

HIMACHAL NATURAL PRODUCTS STARTUP
100% नेचुरल वैक्स से बने प्रोडक्ट्स (ETV Bharat)

100% प्राकृतिक वैक्स से बने प्रोडक्ट

अरोमा थेरेपी प्रोडक्ट के उद्यमी राजन मिन्हास ने बताया कि वो शत प्रतिशत प्राकृतिक वैक्स से इन प्रोडक्ट को बना रहे हैं. जिनमें अरोमा कैंडल, विभिन्न प्रकार के इत्र, रोज वाटर, मसाज कैंडल इत्यादि शामिल हैं. जो व्यक्ति को रिफ्रेश, एनर्जेटिक महसूस कराने के साथ भावनात्मक व मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करते हैं. इन प्रोडक्ट को बनाने के लिए उन्होंने पालमपुर से ही अपना स्टार्टअप शुरू किया है. जिसका सालाना टर्न ओवर करीब 20 लाख तक पहुंच गया है. प्रोडक्ट बनाने में उनके साथ शैलजा स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. जो हर महीने 6-8 हजार रुपये घर द्वार पर ही कमा रही हैं.

पैकेजिंग में प्लास्टिक से परहेज

वहीं, राजन ने बताया कि इन प्रोडक्ट को बनाने के लिए वे हिमाचल व बाहरी राज्यों से रॉ-मैटेरियल खरीद रहे हैं. इन प्रोडक्ट की पैकिंग के लिए प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल हो इसका भी खास ध्यान रखा जा रहा है. कैंडल की पैकिंग के लिए वेस्ट पाइन नीडल व कोकोनट शेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्राकृतिक उत्पादों की ज्यादा प्राकृतिक चीजों (प्राकृतिक वेस्ट) में ही पैकेजिंग की जाती है.

ये भी पढ़ें: कीवी की खेती से लखपति बन गए हिमाचल के ये बागवान, एक साल में कमाए 25 लाख रुपये

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस व्यवसाय से जुड़कर नौकरी से अधिक पैसा कमा सकते हैं युवा, देश के फाइव स्टार होटलों में रहती है मांग

ये भी पढ़ें: आंख में गिरे तिनके को निकाल रोशनी बांट रहे नंदलाल, PGI से निराश लौटे लोगों को भी पहुंचा चुके हैं राहत

Last Updated : 2 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.