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कोरिया में रेशम से धागा बनाने का काम बंद, लाखों की लागत से लगाई गई यूनिट ठप - COSA Unit in Korea - COSA UNIT IN KOREA

किसानों को कोकून उत्पादन के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए 11 रेशम केंद्रों की स्थापना की गई. मकसद था गांव के लोगों को रोजगार देना और कोकून के प्रोडक्शन को बढ़ाना. लेकिन अब कोसा बीज का फायदा कोरिया के लोग नहीं बल्कि बाहर के व्यापारी उठा रहे हैं.

COSA UNIT IN KOREA
सेंट्रल सिल्क बोर्ड की योजना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 12, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Sep 12, 2024, 4:16 PM IST

कोरिया: वर्तमान में कोरिया जिले में 11 रेशम केंद्रों से हर साल कोकून का उत्पादन हो रहा है. भारी मात्रा में कोकून उत्पादन होने के बावजूद इसका फायदा यहां के लोगों को नहीं हो रहा है. कोसा बीज का फायदा बाहर के व्यापारी उठा रहे हैं. कोरिया में कोसा के बीज से रेशम का धागा बनाने का काम बंद है. कोसा से धागा बनाने के लिए हर साल सरकार 50 मशीनें किसानों और स्व सहायता समूहों को देती है. लोगों के बीच बांटी जाने वाली मशीनें अब कबाड़ होती जा रही हैं.

बाहर के व्यापारी उठा रहे फायदा (ETV Bharat)

सेंट्रल सिल्क बोर्ड की योजना: कोसा का उत्पादन करने वाले किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सेंट्रल सिल्क बोर्ड ने 12 हजार की मशीनें शासन से सब्सिडी पर किसानों को कीमत पर दी जाती हैं. कम कीमत पर बांटी जाने वाली इन मशीनों से अभी तक धागा बनाने का काम शुरु तक नहीं हुआ है. इसका फायदा अब बाहर के व्यापारी उठा रहे हैं. बाहर के बिजनेसमैन उत्पाद को खरीदकर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

''हम यहां मशीनों की सुरक्षा का काम करते हैं. हमें इसके बदले में वेतन दिया जाता है. मशीनों को लेकर बाकी जो भी जानकारी है वो अधिकारियों के पास हैं. हमारा काम बस इनकी चौकीदारी करना है''. - गुलाब सिंह. कर्मचारी


कोरिया में कोकून तैयार करने के 11 सेंटर: कोसा के उत्पादन में कोरिया जिले का नाम हमेशा सेआगे रहा है. कोरिया जिले में कोकून तैयार करने के लिए 11 सेंटर बनाए गए हैं. इन सेंटरों में हर साल कोकून की 2 फसलें तैयार की जाती हैं. रेशम विभाग के अफसरों की मानें तो ''एक सीजन में 8 लाख से अधिक कोकून तैयार होते हैं लेकिन इसका फायदा जिले वासियों को नहीं मिलता.

''दो साल पहले जिला पंचायत की ओर से दीपा परियोजना के तहत मशीनों को लाया गया था. पहले उत्पादन किया जाता रहा है. ये मशीनें दस साल पुरानी हैं. रख रखाव के चलते खराब हो रही हैं. मशीनों को दुरुस्त भी करने का काम किया जाएगा. वर्तमान में ये मशीनें क्यों बंद हैं ये पता करना होगा''. - एस.एन.सिंह, जिला रेशम अधिकारी कोरिया

खामियाजा भुगत रहे किसान: स्व सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मंगाई गई मशीनें अब धूल फांक रही हैं. जबकी अब तक कुल 500 से ज्यादा मशीनें बांट दी गई हैं. लेकिन कुछ मशीनें अभी भीं सलका केंद्र और कुछ जामपारा केंद्र के गोदाम में कबाड़ बनती जा रही हैं. रेशम विभाग के अधिकारी का कहना है कि ''धागा प्रोसेसिंग क्यों बंद है इसपर वे जानकारी लेंगे और जल्द से जल्द जिले में धागा यूनिट की स्थापना कराएंगे.''

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कोरिया: वर्तमान में कोरिया जिले में 11 रेशम केंद्रों से हर साल कोकून का उत्पादन हो रहा है. भारी मात्रा में कोकून उत्पादन होने के बावजूद इसका फायदा यहां के लोगों को नहीं हो रहा है. कोसा बीज का फायदा बाहर के व्यापारी उठा रहे हैं. कोरिया में कोसा के बीज से रेशम का धागा बनाने का काम बंद है. कोसा से धागा बनाने के लिए हर साल सरकार 50 मशीनें किसानों और स्व सहायता समूहों को देती है. लोगों के बीच बांटी जाने वाली मशीनें अब कबाड़ होती जा रही हैं.

बाहर के व्यापारी उठा रहे फायदा (ETV Bharat)

सेंट्रल सिल्क बोर्ड की योजना: कोसा का उत्पादन करने वाले किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सेंट्रल सिल्क बोर्ड ने 12 हजार की मशीनें शासन से सब्सिडी पर किसानों को कीमत पर दी जाती हैं. कम कीमत पर बांटी जाने वाली इन मशीनों से अभी तक धागा बनाने का काम शुरु तक नहीं हुआ है. इसका फायदा अब बाहर के व्यापारी उठा रहे हैं. बाहर के बिजनेसमैन उत्पाद को खरीदकर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

''हम यहां मशीनों की सुरक्षा का काम करते हैं. हमें इसके बदले में वेतन दिया जाता है. मशीनों को लेकर बाकी जो भी जानकारी है वो अधिकारियों के पास हैं. हमारा काम बस इनकी चौकीदारी करना है''. - गुलाब सिंह. कर्मचारी


कोरिया में कोकून तैयार करने के 11 सेंटर: कोसा के उत्पादन में कोरिया जिले का नाम हमेशा सेआगे रहा है. कोरिया जिले में कोकून तैयार करने के लिए 11 सेंटर बनाए गए हैं. इन सेंटरों में हर साल कोकून की 2 फसलें तैयार की जाती हैं. रेशम विभाग के अफसरों की मानें तो ''एक सीजन में 8 लाख से अधिक कोकून तैयार होते हैं लेकिन इसका फायदा जिले वासियों को नहीं मिलता.

''दो साल पहले जिला पंचायत की ओर से दीपा परियोजना के तहत मशीनों को लाया गया था. पहले उत्पादन किया जाता रहा है. ये मशीनें दस साल पुरानी हैं. रख रखाव के चलते खराब हो रही हैं. मशीनों को दुरुस्त भी करने का काम किया जाएगा. वर्तमान में ये मशीनें क्यों बंद हैं ये पता करना होगा''. - एस.एन.सिंह, जिला रेशम अधिकारी कोरिया

खामियाजा भुगत रहे किसान: स्व सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मंगाई गई मशीनें अब धूल फांक रही हैं. जबकी अब तक कुल 500 से ज्यादा मशीनें बांट दी गई हैं. लेकिन कुछ मशीनें अभी भीं सलका केंद्र और कुछ जामपारा केंद्र के गोदाम में कबाड़ बनती जा रही हैं. रेशम विभाग के अधिकारी का कहना है कि ''धागा प्रोसेसिंग क्यों बंद है इसपर वे जानकारी लेंगे और जल्द से जल्द जिले में धागा यूनिट की स्थापना कराएंगे.''

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Last Updated : Sep 12, 2024, 4:16 PM IST
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