जोधपुर : स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर ने बीमा कंपनी द्वारा प्रार्थी का बीमा क्लेम इसलिए खारिज करना कि गाड़ी का परमिट नहीं था को सही नहीं मानते हुए बीमा कंपनी को क्लेम के साथ हर्जाना देने का आदेश दिया है. दरअसल, भरत सिंह चौहान ने अपने अधिवक्ता कमल सिंह पंवार, भंवर सिंह मांडा और प्रकाश विश्नोई के माध्यम से स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर में एक परिवाद पेश किया था. उसमें बताया कि उन्होंने 11 जुलाई, 2019 को एक कार खरीद की थी, जिसको भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमित करवाया था.
बीमा कंपनी ने प्रार्थी से उसके वाहन का बीमा भी इस शर्त पर करवाया था कि वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर बीमा की राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. भरत सिंह ने अपनी कार टैक्सी में रजिस्ट्रेशन करवाई थी, जिससे वो रोजगार प्राप्त कर सके. 1 सितंबर, 2019 को वो भीलवाड़ा से कार में नंबर प्लेट लेने जोधपुर आ रहे थे, क्योंकि कार विक्रेता से नंबर प्लेट लगाने से परमिट जारी होता है. इस दौरान रास्ते में कार दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई. इस पर भरत सिंह ने बीमा कंपनी में अपने क्षतिग्रस्त कार को दुरुस्त कराने के लिए बीमा राशि के क्लेम का आवेदन किया, लेकिन बीमा कंपनी ने आवेदन को कार के परमिट के अभाव में अस्वीकार कर दिया था.
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उसके बाद स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर में परिवाद पेश किया गया. बीमा कंपनी व फाइनेंस कंपनी की ओर से जवाब व अपने संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, लेकिन बीमा कंपनी स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर के समक्ष अपने तथ्यों को साबित करने में असफल रही. इस पर स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर के अध्यक्ष सुकेश कुमार जैन, सदस्य जेठमल पुरोहित, माणकलाल चांडक ने प्रकरण के समस्त तथ्यों व दस्तावेज को देखते हुए भरत सिंह के पक्ष में निर्णय दिया. भरत सिंह चौहान के परिवाद को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को आदेश दिया कि प्रार्थी बीमा क्लेम की राशि 10 लाख रुपए प्राप्त करने का हकदार है. केवल परमिट के अभाव में क्लेम खारिज नहीं किया जा सकता है.
अदालत की ओर से आदेश में कहा गया कि परिवाद उक्त राशि पर प्रार्थना पत्र पेश करने की तारीख से निर्णय की तारीख तक 8 प्रतिशत वार्षिक दर से कुल 3,57,780/- रुपए साधारण ब्याज प्राप्त करने का हकदार है. साथ ही परिवाद व्यय के रूप में चार हजार रुपए भी प्राप्त करने का हकदार बताया गया. इस संपूर्ण राशि में से आठ लाख पच्चीस हजार रुपए की राशि फाइनेंस कंपनी प्राप्त करेगी और प्रार्थी शेष राशि पांच लाख बतीस हजार सात सौ अस्सी रुपए प्राप्त करने का हकदार होगा. दो माह में उक्त राशि का भुगतान नहीं करने पर इस राशि पर आठ प्रतिशत वार्षिक दर से निर्णय की तिथि से वसूली तक आठ प्रतिशत वार्षिक दर से व्याज भी देय होगा, जो ब्याज आठ लाख पच्चीस हजार रुपए की हद तक फाइनेंस कंपनी और शेष राशि पर ब्याज प्रार्थी प्राप्त करने का हकदार होगा.