बालाघाट : कान्हा टाइगर रिजर्व में इन दिनों फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के गार्ड से लेकर रेंजर, अफसर तक जंगल में उतरे हुए हैं. दरअसल, यह विशेष अभियान 1 दिसंबर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक चलेगा, जिसका उद्देश्य फंदों, विद्युत करंट, और अन्य अवैध शिकार उपकरणों के उपयोग को रोकना और वन्यजीवों का संरक्षण करना है.
शिकारियों पर रहेगी वन विभाग की नजर
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया, '' यह अभियान मुख्यतः सर्दियों में बढ़ने वाले शिकार के मामलों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. यह न केवल शिकारियों में भय उत्पन्न करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक बनाएगा. कान्हा टाइगर रिजर्व प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत वन विभाग को दें और इस प्रयास को सफल बनाने में योगदान दें.''
10 सालों में 885 शिकार के मामले
वन विभाग आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 से 2024 के बीच फंदे और बिजली की तारों से 885 से अधिक शिकार के मामले दर्ज किए गए हैं. इन घटनाओं में राष्ट्रीय पशु बाघ सहित तेंदुआ, भालू, सांभर, मोर और अन्य कई वन्यजीवों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई है. इससे वन संपदा को भारी नुकसान होता है. यही वजह है कि शिकारियों पर लगाम कसने के लिए जंगल में हर रैंक कर्मचारी और अधिकारी निगरानी में जुटे हुए हैं और इसी अभियान को ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप नाम दिया गया है. बता दें कि केवल कान्हा नेशनल पार्क में ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में भी ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया जा रहा है.
ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप अभियान की विशेषताएं
- वन विभाग की टीम और डॉग स्क्वाड दिन और रात गश्त करेंगे, जिससे शिकारियों की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके.
- स्थानीय समुदायों की जागरुकता के लिए आसपास के गांवों में प्रचार-प्रसार और स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित किया जाएगा.
- समीक्षा और पुरस्कार- अभियान के अंत में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली इकाइयों को पुरस्कृत किया जाएगा.
यह भी पढ़ें-