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दिल्ली में लू ने ली बिहार के एक मजदूर की जान, 107 डिग्री बुखार में हुई मौत - heat stroke in delhi - HEAT STROKE IN DELHI

दिल्ली में बिहार के दरभंगा के रहने वाले एक शख्स का हीट स्ट्रोक से मौत हो गई. मरीज को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के हीट स्ट्रोक यूनिट में रखा गया था. बुधवार सुबह उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया था. फिर अचानक उसकी हालत बिगड़ गई और शाम को उसने दम तोड़ दिया.

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हीट स्ट्रोक से मजदूर की मौत (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 30, 2024, 5:34 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी अब जानलेवा साबित होने लग गई है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दो दिन पहले भर्ती हुए युवक की मौत हो गई है. उसे हीट स्ट्रोक यूनिट से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन, बुधवार देर शाम उसकी हालत खराब हो गई और उसको बचाया नहीं जा सका. उसके परिजन का पता नहीं चल सका है. शव को आरएमएल की शवदाह गृह में रखा गया है. हालांकि, अभी अस्पताल के डॉक्टर सीधे तौर पर हीट स्ट्रोक से मौत होने की बात से इनकार कर रहे हैं.

आरएमएल अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि 28 मई को मरीज को हीट स्ट्रोक के बाद भर्ती कराया गया था. वह आनंद पर्वत क्षेत्र में पाइप की फैक्ट्री में मजदूरी का काम करता था. उसने अपना पता दरभंगा बिहार का बताया था. जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उसके शरीर का तापमान 107 डिग्री था. इसके बाद सीधे उसे हीट स्ट्रोक यूनिट में ले जाया गया था. यहां आइस टब में रखकर उसका इलाज किया गया था. एक दिन में ही वह सामान्य हो गया था. बाद में उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. यहां उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और शाम को मौत हो गई.

ये भी पढ़ें : देश के कई हिस्सों में पारा आसमान पर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से बचने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

अस्पताल के मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉक्टर. सीमा ने बताया कि हीट स्ट्रोक यूनिट में बृहस्पतिवार को कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ है. दो दिन पहले मरीज आया था और उसे इलाज के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. उसकी मौत के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. अगर उसे कोई किडनी, लिवर या हृदय से संबंधित कोई दूसरी बीमारी नहीं थी, तभी मौत को हीट स्ट्रोक के चलते होना माना जा सकता है.

उन्होंने बताया कि बुधवार को तीन मरीज भर्ती हुए थे. इनमें एक को इलाज के बाद शाम को छुट्टी दे दी गई थी. दो मरीजों की स्थिति खराब थी. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था और अब वे ठीक हैं. उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. डॉ. सीमा ने बताया कि मेडिसिन इमरजेंसी में बहुत गंभीर मरीजों को रखा जाता है, उसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है.

ऐसे होता है हीट स्ट्रोक

आरएमएल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर. अमलेंदु यादव ने बताया कि हीट स्ट्रोक गर्मी से होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है. यह तब होता है जब शरीर अब अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर सकता. शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, पसीना तंत्र विफल हो जाता है. शरीर ठंडा होने में असमर्थ हो जाता है. जब हीट स्ट्रोक होता है तो शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के भीतर 106°F या इससे अधिक तक बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें : ट्रेवलिंग करते समय बचना है तेज गर्मी और हीट स्ट्रोक से तो जरूर बरतें ये सावधानी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी अब जानलेवा साबित होने लग गई है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दो दिन पहले भर्ती हुए युवक की मौत हो गई है. उसे हीट स्ट्रोक यूनिट से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन, बुधवार देर शाम उसकी हालत खराब हो गई और उसको बचाया नहीं जा सका. उसके परिजन का पता नहीं चल सका है. शव को आरएमएल की शवदाह गृह में रखा गया है. हालांकि, अभी अस्पताल के डॉक्टर सीधे तौर पर हीट स्ट्रोक से मौत होने की बात से इनकार कर रहे हैं.

आरएमएल अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि 28 मई को मरीज को हीट स्ट्रोक के बाद भर्ती कराया गया था. वह आनंद पर्वत क्षेत्र में पाइप की फैक्ट्री में मजदूरी का काम करता था. उसने अपना पता दरभंगा बिहार का बताया था. जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उसके शरीर का तापमान 107 डिग्री था. इसके बाद सीधे उसे हीट स्ट्रोक यूनिट में ले जाया गया था. यहां आइस टब में रखकर उसका इलाज किया गया था. एक दिन में ही वह सामान्य हो गया था. बाद में उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. यहां उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और शाम को मौत हो गई.

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अस्पताल के मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉक्टर. सीमा ने बताया कि हीट स्ट्रोक यूनिट में बृहस्पतिवार को कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ है. दो दिन पहले मरीज आया था और उसे इलाज के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. उसकी मौत के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. अगर उसे कोई किडनी, लिवर या हृदय से संबंधित कोई दूसरी बीमारी नहीं थी, तभी मौत को हीट स्ट्रोक के चलते होना माना जा सकता है.

उन्होंने बताया कि बुधवार को तीन मरीज भर्ती हुए थे. इनमें एक को इलाज के बाद शाम को छुट्टी दे दी गई थी. दो मरीजों की स्थिति खराब थी. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था और अब वे ठीक हैं. उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. डॉ. सीमा ने बताया कि मेडिसिन इमरजेंसी में बहुत गंभीर मरीजों को रखा जाता है, उसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है.

ऐसे होता है हीट स्ट्रोक

आरएमएल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर. अमलेंदु यादव ने बताया कि हीट स्ट्रोक गर्मी से होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है. यह तब होता है जब शरीर अब अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर सकता. शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, पसीना तंत्र विफल हो जाता है. शरीर ठंडा होने में असमर्थ हो जाता है. जब हीट स्ट्रोक होता है तो शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के भीतर 106°F या इससे अधिक तक बढ़ सकता है.

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