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आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर साल 2024 में एक लाख 28 हजार चालान, मानवाधिकार आयोग में शिकायत

आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा- हादसों को लेकर यूपीडा को रखनी चाहिए पारदर्शिता

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे
आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 8:51 PM IST

आगरा : यूपी का सबसे व्यस्त आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे दस जिलों से गुजरता है. आए दिन बड़े हादसों से लोगों की जान भी चली जाती है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की गति रोकने के लिए उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ऑनलाइन चालान भी करता है. चालान की डिटेल्स यूपीडा के पास है, लेकिन हादसे में कितने लोगों की जान गई, कितने लोग घायल हुए, इससे यूपीडा अनजान है.

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे (Video credit: ETV Bharat)

इस बात की जानकारी तब हुई जब आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरटीआई से हादसे की जानकारी मांगी और यूपीडी ने नहीं दी. इतना ही नहीं आरोप है कि एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों की यूपीडा ने सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराई तो उसे भी नहीं दिया. जिसके बाद आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की, जहां मामले की सुनवाई चल रही है. उनका कहना है कि जनहित और जागरुकता बढ़ाने के लिए मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है.

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर यह हादसे बनाए गए आधार
केस-1
500 मीटर सड़क से पुलिस ने खुर्चे शरीर के टुकड़े16 जनवरी-2024 को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर किलोमीटर संख्या 19 पर एक युवक का शव रातभर एक के बाद एक वाहन रौंदते रहे. जिससे शव के कई टुकड़े हो गए, जो करीब 500 मीटर की दूरी में फैल कर सड़क से ही चिपक गए थे.
केस-2 हादसे के बाद वाहन रौंदते रहे महिला का शव 4 मार्च-2024 को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर फतेहाबाद थाना क्षेत्र में एक महिला सड़क हादसे का शिकार हो गई थी. जिसके शव के ऊपर से एक्सप्रेस वे से गुजरने वाले रौंदते निकल गए थे.
केस-3 बुजुर्ग हादसे का शिकार 2 फरवरी-2024 को रात 8 बजे, यमुना एक्सप्रेस-वे पर किमी 155 पर एक भीषण हादसे में बुजुर्ग हादसे का शिकार हो गए थे. करीब दो घंटे तक एक्सप्रेसवे पर उसके शव से वाहन गुजरते रहे. जिससे शव की खोज करना मुश्किल हो गया था. जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.


सड़क हादसे गंभीर मामला : आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता कैसी जैन बताते हैं कि आगरा और लखनऊ को जोड़ने वाला एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर लंबा है, जिस पर आए दिन हादसे होते हैं. जिसमें सड़क हादसों में लोगों की जान भी चली जाती है, तमाम लोग चोटिल हो जाते हैं. यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें लोगों के ऊपर से वाहन निकलते रहे. ये गंभीर मामला है. मानवाधिकार का मामला है. इसके साथ ही एक्सप्रेस वे किनारे पशु भी चरते हैं, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं.

जनता को जागरुक करना बेहद जरूरी : वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हो रहे हादसों को लेकर यूपीडा को पारदर्शिता रखनी चाहिए. यूपीडा अपनी वेबसाइट पर पारदर्शिता, जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ डाटा अपलोड करे, जिससे लोग हादसों के बारे में जान सकें. हादसों को लेकर लोग जागरुक हों. इसके साथ ही हादसे रोकने के लिए कुछ कदम भी उठाए जा सकें.

चार साल में 8.69 लाख चालान
साल चालान की संख्या
नवम्बर 2020 से दिसम्बर 2020 तक41300
2021 175179
2022148248
2023376467
2024 जुलाई तक128588


वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, मैंने आयोग से यह मांग रखी है कि एक्सप्रेसवे पर वाहनों के चालानों की संख्या बेहद कम है. इसके लिए आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर सिस्टम से ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों का विवरण उपलब्ध कराने के साथ वेबसाइट पर अपलोड किया जाए. जिससे ये पता चलेगा कि ओवर स्पीडिंग के बाद भी कितने वाहनों का चालान नहीं किया गया.

इन जिलों से गुजरता है एक्सप्रेस वे : आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ.

यह भी पढ़ें : लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर घायलों को लेने पहुंचे एंबुलेंस चालक को बाइक ने मारी टक्कर, दो की मौत

यह भी पढ़ें : आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर घूम रहे आवारा पशु, बढ़ा हादसों का खतरा

आंकड़ा देने में लगेगा तीन दिन का समय : उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के सिक्योरिटी और सेफ्टी के नोडल ऑफिसर राजेश पांडे ने बताया कि हम सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े अलग तरीके से अपने पास रखते हैं. जिन हादसों में दो गाड़ियों की टक्कर की वजह से मृत्यु होती है या लोग घायल होते हैं उनकी सूचना संबंधित जिले की पुलिस के पास होती है. बाकी नींद आने, टायर फटने और अत्याधिक गति से चलने वाली गाड़ियों की जो दुर्घटनाएं होती हैं उनका आंकड़ा हमारे पास होता है. संबंधित आंकड़ा बताने में हमें कम से कम तीन दिन का समय लगेगा.

यह भी पढ़ें : आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसे का CCTV फुटेज; देखें कैसे डिवाइडर से टकराकर चकरघिन्नी बनी कार - Kannauj Road Accident

यह भी पढ़ें : यूपी के एक्सप्रेस-वे हैं सबसे अधिक जानलेवा, हर साल जाती है सैकड़ों लोगों की जान - NCRB REPORT ACCIDENT

आगरा : यूपी का सबसे व्यस्त आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे दस जिलों से गुजरता है. आए दिन बड़े हादसों से लोगों की जान भी चली जाती है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की गति रोकने के लिए उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ऑनलाइन चालान भी करता है. चालान की डिटेल्स यूपीडा के पास है, लेकिन हादसे में कितने लोगों की जान गई, कितने लोग घायल हुए, इससे यूपीडा अनजान है.

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे (Video credit: ETV Bharat)

इस बात की जानकारी तब हुई जब आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरटीआई से हादसे की जानकारी मांगी और यूपीडी ने नहीं दी. इतना ही नहीं आरोप है कि एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों की यूपीडा ने सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराई तो उसे भी नहीं दिया. जिसके बाद आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की, जहां मामले की सुनवाई चल रही है. उनका कहना है कि जनहित और जागरुकता बढ़ाने के लिए मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है.

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर यह हादसे बनाए गए आधार
केस-1
500 मीटर सड़क से पुलिस ने खुर्चे शरीर के टुकड़े16 जनवरी-2024 को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर किलोमीटर संख्या 19 पर एक युवक का शव रातभर एक के बाद एक वाहन रौंदते रहे. जिससे शव के कई टुकड़े हो गए, जो करीब 500 मीटर की दूरी में फैल कर सड़क से ही चिपक गए थे.
केस-2 हादसे के बाद वाहन रौंदते रहे महिला का शव 4 मार्च-2024 को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर फतेहाबाद थाना क्षेत्र में एक महिला सड़क हादसे का शिकार हो गई थी. जिसके शव के ऊपर से एक्सप्रेस वे से गुजरने वाले रौंदते निकल गए थे.
केस-3 बुजुर्ग हादसे का शिकार 2 फरवरी-2024 को रात 8 बजे, यमुना एक्सप्रेस-वे पर किमी 155 पर एक भीषण हादसे में बुजुर्ग हादसे का शिकार हो गए थे. करीब दो घंटे तक एक्सप्रेसवे पर उसके शव से वाहन गुजरते रहे. जिससे शव की खोज करना मुश्किल हो गया था. जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.


सड़क हादसे गंभीर मामला : आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता कैसी जैन बताते हैं कि आगरा और लखनऊ को जोड़ने वाला एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर लंबा है, जिस पर आए दिन हादसे होते हैं. जिसमें सड़क हादसों में लोगों की जान भी चली जाती है, तमाम लोग चोटिल हो जाते हैं. यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें लोगों के ऊपर से वाहन निकलते रहे. ये गंभीर मामला है. मानवाधिकार का मामला है. इसके साथ ही एक्सप्रेस वे किनारे पशु भी चरते हैं, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं.

जनता को जागरुक करना बेहद जरूरी : वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हो रहे हादसों को लेकर यूपीडा को पारदर्शिता रखनी चाहिए. यूपीडा अपनी वेबसाइट पर पारदर्शिता, जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ डाटा अपलोड करे, जिससे लोग हादसों के बारे में जान सकें. हादसों को लेकर लोग जागरुक हों. इसके साथ ही हादसे रोकने के लिए कुछ कदम भी उठाए जा सकें.

चार साल में 8.69 लाख चालान
साल चालान की संख्या
नवम्बर 2020 से दिसम्बर 2020 तक41300
2021 175179
2022148248
2023376467
2024 जुलाई तक128588


वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, मैंने आयोग से यह मांग रखी है कि एक्सप्रेसवे पर वाहनों के चालानों की संख्या बेहद कम है. इसके लिए आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर सिस्टम से ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों का विवरण उपलब्ध कराने के साथ वेबसाइट पर अपलोड किया जाए. जिससे ये पता चलेगा कि ओवर स्पीडिंग के बाद भी कितने वाहनों का चालान नहीं किया गया.

इन जिलों से गुजरता है एक्सप्रेस वे : आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ.

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आंकड़ा देने में लगेगा तीन दिन का समय : उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के सिक्योरिटी और सेफ्टी के नोडल ऑफिसर राजेश पांडे ने बताया कि हम सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े अलग तरीके से अपने पास रखते हैं. जिन हादसों में दो गाड़ियों की टक्कर की वजह से मृत्यु होती है या लोग घायल होते हैं उनकी सूचना संबंधित जिले की पुलिस के पास होती है. बाकी नींद आने, टायर फटने और अत्याधिक गति से चलने वाली गाड़ियों की जो दुर्घटनाएं होती हैं उनका आंकड़ा हमारे पास होता है. संबंधित आंकड़ा बताने में हमें कम से कम तीन दिन का समय लगेगा.

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