नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा में भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने बुधवार को ग्रेटर नोएडा में हल्ला बोल प्रदर्शन किया. किसान ट्रैक्टर रैली लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. किसानों ने करीब 15 किलोमीटर लंबी ट्रैक्टर रैली निकाली. कलेक्ट्रेट पहुंचने के बाद भी किसानों का धरना और प्रदर्शन जारी है. वहीं, 15 सूत्रीय मांगों को लेकर किसान राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. प्रदर्शन के दौरान कलेक्ट्रेट पर किसानों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाएं भी मौजूद रही. किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर थी.
दरअसल, भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने तय कार्यक्रम के अनुसार आज सूरजपुर जिला मुख्यालय पर हल्ला बोल प्रदर्शन किया. इस दौरान ट्रैक्टरों के साथ जिला मुख्यालय पहुंचे किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा. किसान लंबी पैदल यात्रा तय कर सूरजपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे, वहां पर किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन टिकैत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने बताया कि किसानों के साथ जो अन्याय हो रहा है उसी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब के किसान अगर दिल्ली आना चाहते हैं तो उन्हें हरियाणा के बॉर्डर पर क्यों रोका जा रहा है. किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए सड़कों पर बड़ी-बड़ी बैरिकेडिंग की गई है. आंसू गैस के गोले और किसानों पर लाठीचार्ज किया जा रहा है. सरकार का यह निरंकुश व्यवहार किसानों को उनकी मांगों से रोकने के लिए किया जा रहा है.
नोएडा में पिछले कई महीने से जगह-जगह किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को सुनने वाला कोई नहीं है. गौतम बुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण में विकास को लेकर किसानों ने अपनी कीमती जमीन दे दी लेकिन उसके बाद भी किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है.
साथ ही किसानों को 10% आवासीय भूखंड सहित अन्य मांगों के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. पवन खटाना ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय सूरजपुर आए हैं और यहां पर राष्ट्रपति के नाम अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे. इस दौरान उन्होंने मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण, भोजन, दवाओं, कृषि इनपुट और मशीन की जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाने. वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केंद्रीय शुल्क उत्पादन में कमी करने की बात कही. अगर सरकार या प्रशासन किसानों की मांगों को 26 और 27 फरवरी तक नहीं मानती है तो गौतम बुद्ध नगर का किसान बॉर्डरों पर संघर्ष करेगा.
साथ ही वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांगों, व्यक्तियों और खिलाड़ियों को रेलवे द्वारा कोविड के बहाने वापस ली गई रियायतें बहाल की जाए. वहीं, खाद्य सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाया जाए. सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी और नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाए. सभी के लिए सरकार आवास सुनिश्चित करें.
उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक को सरकार वापस ले. कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर नहीं लगाया जाए. काम के अधिकार को मौलिक बनाया जाए. किसानों को बीज, उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाई जाए. सरकार किसानों की उपज के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी दे और खरीद की गारंटी दे, जिससे किसानों की आत्महत्या को हर कीमत पर रोका जा सके.
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किसान नेता मटरू नागर ने कहा कि किसान परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना सरकार द्वारा चलाई जाए. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था. सरकार सभी शहीद किसानों के लिए सिंधु सीमा पर स्मारक मुआवजा दे और उनके परिवारों का पुनर्वास करें.
किसानों को संविधान के मूल्यों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विधिक संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश की संघीय संरचना आदि पर हमला सरकार बंद करें. साथ ही अन्य मांगों को लेकर किसान कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी मांगों को लेकर अगर सरकार गंभीर नहीं हुई तो किसान अपनी मांगों को लेकर उग्र आंदोलन करेंगे.
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