करनाल: हरियाणा में 2.70 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. इसके अलावा डेढ़ लाख के करीब पेंशनर्स हैं. ऐसे में कर्मचारियों के परिवार को भी जोड़ा जाए तो इनकी संख्या करीब 15 लाख बनती है. कर्मचारी बड़ा वर्ग है और इस नाते कोई दल इनको नाराज नहीं करना चाहता. बल्कि इनके वोट बैंक पर सियासी दलों की पूरी नजरें टिकी हुई हैं. लोकसभा चुनाव के बाद अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी ओपीएस अहम मुद्दा रहेगा. ओपीएस चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएगा.
यूपीएस लाने के बाद फिर उठा मुद्दा: केंद्र सरकार की ओर से पेंशन को लेकर नई योजना यूपीएस लाने के बाद यह मामला और गरमा गया है. सरकार जहां यूपीएस के लाभ गिना रही है. वहीं, कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए हैं. कर्मचारियों ने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है कि उन्हें केवल और केवल ओपीएस चाहिए. कोई नई स्कीम लागू नहीं होने देंगे. वहीं विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए रणनीति तय कर ली है.
लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में लगेगा बीजेपी को झटका!: भाजपा लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों का झटका झेल चुकी है और कर्मचारियों की नाराजगी के चलते उनको पांच सीटें गंवानी पड़ी हैं. इस बार भाजपा पूरी तरह से कर्मचारियों पर नजर गढ़ाए हुए है. कैशलेस मेडिकल सुविधा देने के साथ कर्मचारियों का डीए भी बढ़ा दिया गया है. हालांकि, ओपीएस के मुद्दे पर भाजपा सरकार ने चुप्पी साध रखी है. केंद्र सरकार का मामला बताकर राज्य के नेता इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे हैं.
सरकार से नाराज कर्मचारी वर्ग: बता दें कि न्यू पेंशन स्कीम में संशोधन के लिए हरियाणा सरकार ने 20 फरवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी की कर्मचारियों के साथ बैठक तो हुई, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ. कर्मचारियों से सरकार ने इस स्कीम के बारे में डेटा मांगा था. लेकिन कई बार समय मांगने पर भी दोबारा बैठक नहीं हुई. इसके बाद से कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं. कर्मचारी दिल्ली और पंचकूला में 3 बड़ी रैलियां करके सरकार को चेता चुके हैं.
'गुमराह कर रही सरकार': कर्मचारी नेताओं का तर्क है कि ओल्ड और न्यू पेंशन स्कीम में दिन और रात का अंतर है. न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर 1700 रुपये तक की पेंशन मिल रही है, जबकि ओपीएस की बात करें तो 10 गुना अधिक हो जाती है. राज्य प्रधान, पेंशन बहाली संघर्ष समिति विजेंद्र धारीवाल ने बताया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कर्मचारियों को गुमराह करने के लिए केंद्र सरकार यूपीएस लेकर आई है. लेकिन कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा कुछ भी मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री नायक सिंह सैनी हरियाणा के कर्मचारियों को धमकाने का काम कर रहे हैं.
'पुरानी पेंशन बहाली पर चुनाव में करेंगे सहयोग': नायब सिंह सैनी ने कहा है कि उनकी सरकार बनने के बाद हरियाणा के कर्मचारी की चूड़ी टाइट करने का काम करेंगे. इस पर अध्यक्ष धालीवाल ने कहा कि ऐसे बयान आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने चुनाव आयोग से भी शिकायत करने की बात कही की चुनावों के दौरान इस प्रकार की बयान बाजी करना आचार संहिता का उल्लंघन है. धालीवाल ने कहा अगर मुख्यमंत्री पुरानी पेंशन बहाली कर देते तो चुनाव में उनका कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिलता इस तरह से बार-बार क्षेत्र बदलकर चुनाव ना लड़ना पड़ता. कर्मचारियों का आंदोलन जारी है. जब तक ओपीएस बहाल नहीं होगी, कर्मचारी वर्ग चैन से नहीं बैठेगा. जहां तक विधानसभा चुनाव की बात है तो कर्मचारी वर्ग हर उस पार्टी का विरोध करेगा जो ओपीएस के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा अभी हम राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो का इंतजार कर रहे हैं. उसके बाद अगली रणनीति बनाई जाएगी.
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