गोरखपुर : लोकसभा चुनाव 2024 में जातियों को लेकर राजनीति करने वाले कई दल सामने आ रहे हैं. यूपी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इसी क्रम में गुरुवार को दिल्ली में पिछड़ों के हितों को लेकर अपनी पार्टी की घोषणा कर दी. वहीं ओबीसी आर्मी पार्टी भी पिछले 5 वर्षों से पिछड़ों को जगाने के लिए कार्य कर रही है. पार्टी की राष्ट्रीय बैठक 25 फरवरी को उड़ीसा के कटक में होने जा रही है.
ओबीसी के उत्थान के लिए किसी सरकार ने नहीं किया काम : ओबीसी आर्मी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर यादव ने गोरखपुर में मीडिया से बातचीत की. कटक रवाना होने से पहले वह अपने साथियों और पदाधिकारी के साथ गोरखपुर में थे. उन्होंने कहा कि 65% ओबीसी आबादी के अधिकार की लड़ाई कटक की धरती से इसलिए शुरू की जा रही है, क्योंकि वहां भी पिछड़े जाति के लोगों की आबादी बहुत ज्यादा है. देश-प्रदेश में अब तक जो सरकारें रही हैं, उन्होंने ओबीसी जाति के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया.अब संगठन ने ठान लिया है कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक को साथ लेकर बड़ा मोर्चा खोलेगी.
13 प्रांतों में संगठन का विस्तार : काली शंकर यादव ने कहा कि उनके संगठन का देश के 13 प्रांतों में गठन हो चुका है. 23 जनवरी से नए सिरे से सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. मंडल आयोग के सिफारिश को पूरी तरह से अब तक नहीं लागू किया गया. सिर्फ दो संस्तुतियां ही लागू की गई है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्रीय सचिवालय तक ओबीसी वर्ग के लोगों की नौकरियों में स्थिति शून्य के समान है. ऐसे में उनका संगठन ओबीसी समाज में जो भी जातियां आती हैं, सबके हक की लड़ाई के लिए राजनीतिक रूप से भागीदारी करेगा.
ओबीसी का केवल इस्तेमाल हुआ : उन्होंने कहा कि सत्ता में जो भी दल रहे वे ओबीसी को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. उन्हें उनका हक नहीं मिला। लोकसभा, विधानसभा चुनाव में उनके लिए सीटें नहीं आरक्षित हुई. सत्ता में भागीदारी के बल पर ही अब ओबीसी समाज को उनका हक मिल पाएगा. पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. संजय जायसवाल ने ओबीसी समाज के लोगों को भारत रत्न दिए जाने की भी मांग की.
उन्होनें बताया कि 4 मार्च 2023 को दिल्ली में छह संगठनों की बैठक हुई. राजनीतिक भागीदारी के साथ, लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का फैसला किया गया. लगातार कार्यक्रमों और अभियानों के जरिए, ओबीसी आर्मी पिछले पांच वर्ष से सक्रियों कार्य कर रही है. उड़ीसा, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उनका संगठन तेजी से कम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य मांगों में जातिगत जनगणना, मंडल आयोग की संस्तुतियों को पूर्ण रूप से लागू करना, लोकसभा विधानसभा में ओबीसी के लिए सीटें रिजर्वेशन करना शामिल है. उन्होंने कहा विभिन्न ओबीसी समाज के लोग उनके अभियान के साथ जुड़ते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब, ओबीसी आर्मी एक बड़े राजनीतिक दल के रूप में इन जातियों के हक को दिलाने में सफल होती नजर आएगी.
काली शंकर यादव की पहचान पूर्वांचल में एक संघर्षशील युवा और पिछड़े नेता के रूप में है. प्रयागराज हाईकोर्ट से यूपी सरकार को जातिगत जनगणना को लेकर नोटिस जारी कराया. इसके लिए उन्होंने वाद दाखिल किया था. यूपी सरकार अभी इसका जवाब नहीं दे पाई है और हाईकोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई है.
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