लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में नौकरी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के आश्रितों का इंतजार खत्म होने वाला है. पिछले छह साल से नौकरी की ख्वाहिश में आश्रित दर-दर भटक रहे हैं. रोडवेज के मृतक आश्रितों की संख्या 1100 के पार पहुंच गई है, जिनकी नियुक्त का मामला अभी तक शासन में लंबित है. परिवहन मंत्री ने बीती 25 जुलाई को समीक्षा बैठक में ऐसे मृतक आश्रितों की भर्ती के लिए शासन को प्रत्यावेदन भेजने के निर्देश रोडवेज अधिकारियों को दिए हैं. अब एक बार फिर यूपीएसआरटीसी की तरफ से मृतक आश्रितों की भर्ती की कवायद शुरू कर दी गई है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त में पिछले छह साल से भटक रहे मृतक आश्रितों को नौकरी का तोहफा मिल सकता.
परिवहन निगम में वर्ष 2018 में 588 मृतक आश्रितों की आखिरी भर्ती हुई थी. इसके बाद से कोराना काल में सैकड़ों लोगों के जान गंवाने के बाद भी इनकी भर्ती का रास्ता नहीं खुल सका, जबकि इस मामले में बीते महीने प्रदेश भर के मृतक आश्रितों ने टेहरी कोठी स्थित परिवहन निगम मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन और अनिश्चितकालीन अनशन किया था. एमडी ने आश्वासन दिया था कि 31 जुलाई तक ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद ही भर्ती के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा. ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि अगले माह मृतक आश्रितों की भर्ती का रास्ता खुल जाएगा.
क्या कहते हैं प्रवक्ता : परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक अजीत सिंह ने बताया कि मृतक आश्रितों की भर्ती के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू की जा रही है. शासन की तरफ से मंजूरी मिलते ही मुख्यालय स्तर से भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होगी. परिवहन मंत्री ने मृतक आश्रितों को आश्वासन दिया था कि सरकार को उनकी नौकरी की फिक्र है. पहली बार जब वे मुख्यालय पर धरना देने आए थे तो उन्हें भी परिवहन मंत्री ने समझाया था कि सरकार उनके लिए फिक्रमंद है. जल्द ही उन्हें नौकरी देगी. अब परिवहन निगम फायदे में भी है. लिहाजा, अब मृतक आश्रितों की नौकरी में कोई अड़चन भी नहीं आएगी.