आगरा : ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में अब हर पेड़ की गिनती होगी. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस.ओका और न्यायमूर्ति आगस्टीन जार्ज मसीह की बेंच ने शुक्रवार को आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर यह आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड में अवैध कटान को लेकर सख्त रुख अपनाया है. इसमें प्रदेश सरकार से कहा गया है, फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया से पेड़ों की गिनती कराएं.
थानाध्यक्ष करेंगे निगरानी : सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में ये भी लिखा है, यदि कहीं पर पेड़ों को काटने की अनुमति है. तब भी शाम छह बजे से सुबह आठ बजे के बीच किसी पेड़ पर आरी नहीं चल सकेगी. इसकी निगरानी की जिम्मेदारी हर थानाध्यक्ष की होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही वृंदावन के छटीकरा स्थित डालमिया बाग में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही एसएसपी मथुरा को सभी आरोपितों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दयालबाग के माथुर फार्म हाउस का सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) को परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं. जिससे पेड़ों को अवैध रूप से काटने वालों पर जुर्माना राशि बढ़ाने पर विचार करने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश दिया है.
पेड़ों के अवैध कटाई पर सख्ती : बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति आगस्टीन जार्ज मसीह की बेंच ने शुक्रवार को पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की. इसमें पेड़ों के अवैध कटाई पर सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं. पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने अपनी याचिका में पेड़ों के अवैध कटान से टीटीजेड में वनावरण व हरित क्षेत्र कम होने की बात कही गई है. याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने कहा कि वन विभाग और लोक अदालत पेड़ काटने के आरोपितों को मामूली जुर्माना कर छोड़ देती हैं. जिससे स्थिति लगातार बिगड़ रही है. वृंदावन के छटीकरा स्थित डालमिया बाग में 454 पेड़, और दयालबाग के माथुर फार्म हाउस में करीब 100 पेड़ अवैध रूप से काटे जाने का मुद्दा उठाया गया है.
मामूली जुर्माना, कोर्ट की अवमानना : डॉ. शरद गुप्ता ने अपनी याचिका में पेड़ काटने के आरोपितों को मामूली जुर्माना कर छोड़े जाने को कोर्ट की अवमानना कही है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को उप्र वृक्ष संरक्षण अधिनियम की धारा 10 और 15 पर पुनर्विचार करने को कहा है. इन धाराओं में पेड़ काटने के आरोपित पर जुर्माना लगाने और सजा देने का अधिकार अधिकारियों को दिया गया है. जिससे अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब पेड़ काटने पर जुर्माना राशि बढ़ाई जा सकती है.
10400 वर्ग किमी में फैला है टीटीजेड : बता दें कि ताजमहल की 50 किमी की परिधि में स्थित टीटीजेड, 10400 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है. इसमें आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, हाथरस और राजस्थान के भरतपुर का कुछ क्षेत्र शामिल है. टीटीजेड में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति प्राप्त करने के बाद ही पेड़ काटे जा सकते हैं. यहां एक पेड़ काटने पर, 10 पौधे लगाने का प्रावधान है.
पेड़ काटे जाने पर सुप्रीम कोर्ट से गुहार : डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ समय से ऐसे मामले सामने आए हैं. इनमें हरे पेड़ काट दिए गए. इसके बाद मामला जब सुर्खियों में आया तो आरोपितों पर मामूली जुर्माना कर छोड़ दिया गया. इससे दूसरे लोगों को भी यह लगने लगा कि पेड़ काटने हैं तो अनुमति लेने की जगह सीधे कटाई कर दो. यह स्थिति देखकर ही न्यायालय में जाना पड़ा.
एक दशक में सिमटती गई हरियाली : टीटीजेड में 33 प्रतिशत क्षेत्र में हरियाली होनी चाहिए. फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आगरा में वर्ष 2011 में 6.84 प्रतिशत क्षेत्र में हरियाली थी. विकास कार्यों के लिए निरंतर पेड़ काटे जाने की वजह से यह वर्ष 2021 में घटकर 6.50 प्रतिशत रह गई. एक दशक में यहां हरित क्षेत्र 276 वर्ग किमी से घटकर 262.60 वर्ग किमी रह गया. इसमें 62.38 वर्ग किमी क्षेत्र में मध्यम घनत्व वाला वन और 199 वर्ग किमी में ओपेन फारेस्ट है. सन 2023 की फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है.
दो प्रोजेक्ट पर लगाई रोक : बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी की रिपोर्ट के बाद 14 अक्टूबर 2024 को सुनवाई करते हुए रेल विकास निगम लिमिटेड को मथुरा- झांसी के मध्य तीसरी रेल लाइन बिछाने को 5094 पेड काटे जाने के 13 मई, 2022 के आदेश और मथुरा-गोवर्धन- डीग रोड के विस्तार को तीन हजार पेड़ काटे जाने के आठ दिसंबर, 2021 के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी.
इन प्रोजेक्ट के लिए चली पेड़ों पर आरी : बता दें कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, मथुरा-झांसी के मध्य रेलवे लाइन, गोवर्धन डीग रोड, मयूरा-वृंदावन रोह, फतेहाबाद रोड, माल रोड के चौठीकरण समेत अन्य प्रोजेक्ट में यहां सुप्रीम कोर्ट से अनुमति प्राप्त कर पेड़ काटे गए थे.
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