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सुल्तानपुरी सिख विरोधी दंगे में बरी करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सज्जन कुमार को नोटिस जारी - 1984 Sultanpuri anti Sikh riots

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 22, 2024, 9:58 PM IST

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती है. 1984 के सुल्तानपुरी सिख विरोधी दंगा में निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. सोमवार को इस मामले पर कोर्ट ने सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया है.

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार
कांग्रेस नेता सज्जन कुमार (ETV Bharat)

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सुल्तानपुरी सिख विरोधी दंगा में तीन सिखों की हत्या के मामले में बरी करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में करने का आदेश दिया. याचिका गवाह शीला कौर ने दायर किया है.

शीला कौर ने राऊज एवेन्यू कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सज्जन कुमार को बरी करने का आदेश दिया गया था. पहले इस मामले की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही थी. ये केस सुल्तानपुरी का है. केस को दर्ज करने का आदेश सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बनी नानावती आयोग ने दिया था. 16 नवंबर 2018 को इस केस की मुख्य गवाह चाम कौर ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी गवाही के दौरान सज्जन कुमार की पहचान की थी.

20 सितंबर 2018 को चाम कौर ने आरोप लगाया था कि उन्हें कोर्ट में गवाही देने से रोका जा रहा है. उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की मांग की थी. चाम कौर ने कहा था कि उन्हें फोन पर धमकी दी जा रही है कि अगर उसने कोर्ट में गवाही दी तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाएं. 19 सितंबर की रात दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा के पूर्व कांग्रेस विधायक जय किशन के लोगों ने घर आकर धमकी दी. पैसे का भी लालच दिया गया.

यह भी पढ़ेंः 1984 anti Sikh riots: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बड़ी राहत, सुल्तानपुरी में 6 लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट ने किया बरी

28 मार्च 2019 को जोगिंदर सिंह ने अपने बयान में पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि सज्जन कुमार ने भीड़ का नेतृत्व किया और उन्हें उकसाने का काम किया था. जोगिंदर सिंह ने कहा था कि जब वे पुलिस के पास एफआईआर लिखवाने पहुंचा तो पुलिस सज्जन कुमार का नाम लिखने से इनकार कर दिया. उस दंगे में भाई की हत्या कर दी गई. बता दें, सज्जन कुमार एक दूसरे सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली की मंडोली जेल में बंद हैं. कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर किया था.

यह भी पढ़ेंः 1984 Sikh Riot: पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या मामले में आरोप तय

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सुल्तानपुरी सिख विरोधी दंगा में तीन सिखों की हत्या के मामले में बरी करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में करने का आदेश दिया. याचिका गवाह शीला कौर ने दायर किया है.

शीला कौर ने राऊज एवेन्यू कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सज्जन कुमार को बरी करने का आदेश दिया गया था. पहले इस मामले की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही थी. ये केस सुल्तानपुरी का है. केस को दर्ज करने का आदेश सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बनी नानावती आयोग ने दिया था. 16 नवंबर 2018 को इस केस की मुख्य गवाह चाम कौर ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी गवाही के दौरान सज्जन कुमार की पहचान की थी.

20 सितंबर 2018 को चाम कौर ने आरोप लगाया था कि उन्हें कोर्ट में गवाही देने से रोका जा रहा है. उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की मांग की थी. चाम कौर ने कहा था कि उन्हें फोन पर धमकी दी जा रही है कि अगर उसने कोर्ट में गवाही दी तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाएं. 19 सितंबर की रात दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा के पूर्व कांग्रेस विधायक जय किशन के लोगों ने घर आकर धमकी दी. पैसे का भी लालच दिया गया.

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28 मार्च 2019 को जोगिंदर सिंह ने अपने बयान में पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि सज्जन कुमार ने भीड़ का नेतृत्व किया और उन्हें उकसाने का काम किया था. जोगिंदर सिंह ने कहा था कि जब वे पुलिस के पास एफआईआर लिखवाने पहुंचा तो पुलिस सज्जन कुमार का नाम लिखने से इनकार कर दिया. उस दंगे में भाई की हत्या कर दी गई. बता दें, सज्जन कुमार एक दूसरे सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली की मंडोली जेल में बंद हैं. कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर किया था.

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