नई दिल्ली: 15 हजार करोड़ रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़ा मामले में नोएडा पुलिस ने शनिवार को दिल्ली के तीन बड़े कारोबारियों को गिरफ्तार किया. तीनों पर पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. बीते नौ माह से सभी आरोपी फरार चल रहे थे. इस मामले में पुलिस गिरोह के सरगना समेत 47 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है. आठ आरोपी अभी भी पुलिस के निशाने पर हैं.
डीसीपी क्राइम शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि जो आरोपी पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं, उनकी पहचान शुभम जिंदल, तरुण जिंदल और ऋषभ जैन के रूप में हुई है. तीनों दिल्ली के रहने वाले हैं. तीनों फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर ठगी कर रहे थे. लंबे समय से वांछित चल रहे आरोपियों पर पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था.
गिरफ्त में आए तीनों आरोपी उद्योगपति हैं. इनका मेटल सहित अन्य का कारोबार है. शुभम और तरुण सगे भाई हैं. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने कई ऐसी कंपनी और फर्म बनाई जिसका वजूद सिर्फ कागजों पर रहा. धरातल पर वह कंपनी थी ही नहीं. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाई गई कंपनी की आरोपियों ने बिलिंग की और इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सरकार से करोड़ों रुपये ले लिए. तीनों आरोपी पूर्व में जीएसटी विभाग से भी जेल जा चुके हैं.
ऐसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस: बीते चार मार्च को जीएसटी फर्जीवाड़े में शामिल कुणाल मेहता ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था. जिसके पास से अहम दस्तावेज बरामद हुए थे. पुलिस ने इस पर 25 हजार का इनाम भी रखा था. पुलिस ने उसकी 48 घंटे की रिमांड ली. जिसके बाद उसने पुलिस को कई ठिकानों की जानकारी दी और उसे दिल्ली सहित अन्य ठिकानों पर ले भी जाया गया. फर्जीवाड़े में शामिल कई अन्य आरोपियों के बारे में भी पुलिस को कुणाल से जानकारी मिली थी. रिमांड पर आए आरोपी से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने दो अन्य कारोबारियों को गिरफ्तार किया. इन्हीं कारोबारियों से पुलिस को शुभम, तरुण और ऋषभ के बारे में जानकारी मिली.
बीते साल जून में नोएडा पुलिस ने गिरोह का पर्दाफाश किया था. इस मामले में इन तीनों के अलावा अब तक गौरव सिंघल, गुरमीत सिंह, राजीव ,राहुल, विनीता, अश्वनी, अतुल सेंगर, दीपक मुरजानी, यासीन, विशाल, राजीव, जतिन, नंदकिशोर, अमित कुमार, महेश, प्रीतम शर्मा, राकेश कुमार, अजय कुमार, दिलीप कुमार, मनन सिंघल, पीयूष, अतुल गुप्ता, सुमित गर्ग, कुणाल सहित 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर की प्रभावी पैरवी के चलते इस फर्जीवाड़े में जेल गए किसी भी आरोपी की अभी तक जमानत नहीं हो सकी है.
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