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70 करोड़ रुपये की ठगी मामले में मुख्य आरोपी को जमानत मिलने के बाद जांच अधिकारी निलंबित - accused of 70 crore fraud got bail

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 13, 2024, 8:37 PM IST

investigating officer suspended in noida: राजधानी से सटे नोएडा सेक्टर-63 थाने में तैनात जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. जांच अधिकारी पर आरोप है कि उसने अदालत में जालसाज का आपराधिक इतिहास ही पेश नहीं किया. जालसाज ने 70 करोड़ रुपये की ठगी की है, लेकिन क्रिमनल रिकॉर्ड पेश नहीं किए जाने से उसे 5 दिन में ही जमानत मिल गई.

नोएडा में जांच अधिकारी के बेपरवाही,70 करोड़ ठगी के आरोपी को मिली जमानत
नोएडा में जांच अधिकारी के बेपरवाही,70 करोड़ ठगी के आरोपी को मिली जमानत (ETV BHARAT)

नई दिल्ली/नोएडा: 70 करोड़ रुपये की ठगी में शामिल आरोपी को महज पांच दिन में जमानत मिलने के बाद सेक्टर-63 थाने में तैनात जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. जांच अधिकारी पर आरोप है कि उसने अदालत में जालसाज का आपराधिक इतिहास ही पेश नहीं किया. इसी चूक से आरोपी को जेल से बाहर निकालने में मदद मिली. मामले में थाना प्रभारी के खिलाफ भी विभागीय जांच का आदेश दिया गया है. कई अन्य पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की भी मामले में संलिप्तता बताई जा रही है.

एक सप्ताह में मुख्य आरोपी को मिल गई जमानतः उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम ने बीते सात सितंबर को 70 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले विनोद कुमार धामा तथा रविन्द्र उर्फ नवाब को गिरफ्तार किया था. दोनों ठगों को एसटीएफ ने नोएडा के सेक्टर-63 थाने के माध्यम से जेल भेजा था. इस मामले की जांच का काम नोएडा के सेक्टर-63 थाने के इंस्पेक्टर दीपक दीक्षित को सौंपा गया था. आरोप है कि दीपक दीक्षित ने अदालत में अपराधी की क्रिमिनल हिस्ट्री पेश नहीं की. जिस समय अदालत में 70 करोड़ रुपए की ठगी की सुनवाई चल रही थी, उस समय दीपक दीक्षित अदालत में गए ही नहीं. अदालत में लचर पैरवी के कारण महाठग विनोद धामा को जमानत मिल गई.

दोनों आरोपी विनोद धामा और रविंद्र की गिरफ्तारी गाजियाबाद के इंदिरापुरम से हुई थी. दोनों वसुंधरा कॉलोनी में एक फ्लैट में पहचान छिपाकर रह रहे थे. दोनों नोएडा और गाजियाबाद सहित समूचे एनसीआर में शेयर बाजार में रकम निवेश कराने के नाम पर सैकड़ों लोगों से करोड़ों की रकम हड़प चुके हैं. इनके खिलाफ राजस्थान, हैदराबाद और यूपी में मुकदमे दर्ज हैं.

एसटीएफ के एएसपी ब्रजेश सिंह ने खुलासा किया कि विनोद कुमार धामा और रविंद्र निवासी बागपत ने गिरोह बनाया था. जो शेयर बाजार में लोगों की रकम लगवाने और मोटा मुनाफा देने का झांसा देता है. अपनी इस कंपनी का पूरा डाटा आरोपी ऑनलाइन गूगल पर डालते हैं. ऐसे में लोगों को शेयर बाजार में निवेश कराने और मोटा मुनाफा देने के नाम पर झांसे में लिया जाता है. इसके बाद कुछ लोगों से रकम कंपनी के खातों में ट्रांसफर कराई जाती है. शुरुआत में मुनाफा दिखा लोगों से भुगतान कराया जाता है, ताकि भरोसा बन सके. बाद में जब मोटी रकम कंपनी के खाते में आ जाती तो ये लोग कंपनी बंद कर देते थे. अपना मोबाइल नंबर भी बंद कर देते और कंपनी के खाते की रकम को दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता था.

ठगी में शामिल दोनों जालसाजों से नोएडा के साइबर क्राइम थाने की टीम भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही थी. दोनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने का खाका तैयार किया गया था. सवालों की सूची भी तैयार कर ली गई थी. पुलिस पूछताछ के लिए अर्जी लगती उसके पहले ही मुख्य आरोपी विनोद को जमानत मिल गई.

ये भी पढ़ें : गाजियाबाद में 3 करोड़ की घड़ियों की चोरी मामले में थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज सस्पेंड

दोनों का राजस्थान के सीकर गिरोह से कनेक्शन: कुछ समय पहले नोएडा के साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने राजस्थान के सीकर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना सहित कई अन्य ठगों को गिरफ्तार किया था. 70 करोड़ की ठगी में शामिल दोनों आरोपियों का भी सीकर से संबंध था. ऐसे में पुलिस यह मानकर चल रही थी कि कहीं न कहीं दोनों ठग सीकर गिरोह के ठगों से जुड़े हुए हैं. इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस दोनों आरोपियों को पीसीआर पर लेने वाली थी.

ये भी पढ़ें : बर्थडे पार्टी में पिस्टल लहरा कर डांस करना पड़ा भारी, अस्सिटेंट जेल सुपरिटेंडेंट सस्पेंड -

नई दिल्ली/नोएडा: 70 करोड़ रुपये की ठगी में शामिल आरोपी को महज पांच दिन में जमानत मिलने के बाद सेक्टर-63 थाने में तैनात जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. जांच अधिकारी पर आरोप है कि उसने अदालत में जालसाज का आपराधिक इतिहास ही पेश नहीं किया. इसी चूक से आरोपी को जेल से बाहर निकालने में मदद मिली. मामले में थाना प्रभारी के खिलाफ भी विभागीय जांच का आदेश दिया गया है. कई अन्य पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की भी मामले में संलिप्तता बताई जा रही है.

एक सप्ताह में मुख्य आरोपी को मिल गई जमानतः उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम ने बीते सात सितंबर को 70 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले विनोद कुमार धामा तथा रविन्द्र उर्फ नवाब को गिरफ्तार किया था. दोनों ठगों को एसटीएफ ने नोएडा के सेक्टर-63 थाने के माध्यम से जेल भेजा था. इस मामले की जांच का काम नोएडा के सेक्टर-63 थाने के इंस्पेक्टर दीपक दीक्षित को सौंपा गया था. आरोप है कि दीपक दीक्षित ने अदालत में अपराधी की क्रिमिनल हिस्ट्री पेश नहीं की. जिस समय अदालत में 70 करोड़ रुपए की ठगी की सुनवाई चल रही थी, उस समय दीपक दीक्षित अदालत में गए ही नहीं. अदालत में लचर पैरवी के कारण महाठग विनोद धामा को जमानत मिल गई.

दोनों आरोपी विनोद धामा और रविंद्र की गिरफ्तारी गाजियाबाद के इंदिरापुरम से हुई थी. दोनों वसुंधरा कॉलोनी में एक फ्लैट में पहचान छिपाकर रह रहे थे. दोनों नोएडा और गाजियाबाद सहित समूचे एनसीआर में शेयर बाजार में रकम निवेश कराने के नाम पर सैकड़ों लोगों से करोड़ों की रकम हड़प चुके हैं. इनके खिलाफ राजस्थान, हैदराबाद और यूपी में मुकदमे दर्ज हैं.

एसटीएफ के एएसपी ब्रजेश सिंह ने खुलासा किया कि विनोद कुमार धामा और रविंद्र निवासी बागपत ने गिरोह बनाया था. जो शेयर बाजार में लोगों की रकम लगवाने और मोटा मुनाफा देने का झांसा देता है. अपनी इस कंपनी का पूरा डाटा आरोपी ऑनलाइन गूगल पर डालते हैं. ऐसे में लोगों को शेयर बाजार में निवेश कराने और मोटा मुनाफा देने के नाम पर झांसे में लिया जाता है. इसके बाद कुछ लोगों से रकम कंपनी के खातों में ट्रांसफर कराई जाती है. शुरुआत में मुनाफा दिखा लोगों से भुगतान कराया जाता है, ताकि भरोसा बन सके. बाद में जब मोटी रकम कंपनी के खाते में आ जाती तो ये लोग कंपनी बंद कर देते थे. अपना मोबाइल नंबर भी बंद कर देते और कंपनी के खाते की रकम को दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता था.

ठगी में शामिल दोनों जालसाजों से नोएडा के साइबर क्राइम थाने की टीम भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही थी. दोनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने का खाका तैयार किया गया था. सवालों की सूची भी तैयार कर ली गई थी. पुलिस पूछताछ के लिए अर्जी लगती उसके पहले ही मुख्य आरोपी विनोद को जमानत मिल गई.

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दोनों का राजस्थान के सीकर गिरोह से कनेक्शन: कुछ समय पहले नोएडा के साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने राजस्थान के सीकर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना सहित कई अन्य ठगों को गिरफ्तार किया था. 70 करोड़ की ठगी में शामिल दोनों आरोपियों का भी सीकर से संबंध था. ऐसे में पुलिस यह मानकर चल रही थी कि कहीं न कहीं दोनों ठग सीकर गिरोह के ठगों से जुड़े हुए हैं. इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस दोनों आरोपियों को पीसीआर पर लेने वाली थी.

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