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दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर बारिश की हर बूंद को सहेजेगा एनसीआरटीसी - Delhi Meerut RRTS corridor

नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर बारिश के शत प्रतिशत पानी को सहेजने में जुटा है. इसके तहत वर्षाजल संचयन के लिए 900 से ज्यादा पिट्स बनाए जा रहे हैं.

वर्षा जल को सहेजेगा एनसीआरटीसी
वर्षा जल को सहेजेगा एनसीआरटीसी (Etv bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 3, 2024, 7:42 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली ही नहीं पूरे एनसीआर में भूजल स्तर का नीचे गिरना चिंता का विषय है. इसे गंभीरता से लेते हुए नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) बारिश के पानी को प्रभावी रूप से सहेजने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित कर रहा है. एनसीआरटीसी के मुताबिक दिल्ली के सराय काले खां से लेकर मेरठ के मोदीपुरम तक के एलिवेटेड वायडक्ट, स्टेशनों और डिपो में 900 से ज्यादा वर्षाजल संचयन के लिए पिट्स बनाए जा रहे हैं.

इनमें से लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है और बाकी का कार्य चल रहा है. इन पिट्स की मदद से लाखों क्यूबिक मीटर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होने की उम्मीद है. इससे लोगों को राहत मिलेगी. एनसीआरटीसी के अधिकारियों के मुताबिक कॉरिडोर के एलिवेटेड हिस्से में बनाए जा रहे ये वर्षा जल संचयन पिट्स एलिवेटेड वायाडक्ट स्पैन पर इस तरीके से बनाए जाते हैं कि वर्षाजल का अपने वास्तविक रूप में संग्रहण हो सके.

ये भी पढ़ें: रैपिड रेल में सफर करने वाले यात्रियों से NCRTC लेगा फीडबैक,15 जून तक चलेगा सर्वे

कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा सड़क मार्ग के बीच है. ऐसे में पिट्स अधिकतर सड़क के बीच में मीडियन पर बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही आरआरटीएस स्टेशनों पर भी प्रत्येक प्रवेश-निकास द्वारों के पास दो-दो वर्षा जल संचयन पिट्स बनाए जा रहे हैं. इस कॉरिडोर पर ट्रेनों के रखरखाव और संचालन के लिए दो डिपो एक गाजियाबाद के दुहाई और दूसरा दूसरा मेरठ के मोदीपुरम मेरठ में बनाया जा रहा है. दुहाई में डिपो बन गया है. दुहाई डिपो में 20 से अधिक वर्षा जल संचयन के पिट्स बनाए गए हैं.

साहिबाबाद से दुहाई के बीच काम कर रहे हैं पिट्स

अधिकारियों के मुताबिक आरआरटीएस कॉरिडोर पर साहिबाबाद से मोदी नगर नॉर्थ तक 34 किमी के सेक्शन नमो भारत ट्रेनों का संचालन हो रहा है. इस सेक्शन में वर्षा जल संचयन पिट्स तैयार हो चुके हैं और सक्रिय कर दिए गए हैं. वर्षा होने पर जल का संचयन किया जाएगा. कॉरिडोर के अन्य हिस्सों के निर्माण के साथ-साथ इनका निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है.

वर्षा जल संचयन पिट्स निर्माण योजना के तहत आरआरटीएस वायाडक्ट के नीचे सामान्यत: एक स्पैन के अंतराल पर एक वर्षा जल संचयन पिट बनाया जा रहा है, जो वायडक्ट पर संग्रहित होने वाले वर्षा जल को जमीन के अंदर पहुंचाएगा. इन पिट्स में वर्षाजल को साफ करने के लिए रोड़ी और बालू के तीन परत वाले फिल्टर्स भी बनाए जा रहे हैं. जिससे जमीन में गंदा पानी छनकर पहुंचे. वर्षा जल संचयन के लिए वायडक्ट के पिलरों के सहारे जमीन में आमने-सामने दो छोटे वॉटर चैंबर बनाए गए हैं. इन चैंबर्स के बीच में एक वर्षा जल संचयन पिट बनाया गया है. इन दोनों चैंबर्स को पाइपों के जरिए पिट से जोड़ा गया है.

स्टेशनों व भवनों में भी होगी वर्षा जल संचयन की व्यवस्था

अधिकारियों के मुताबिक पिट्स की गहराई लगभग 16 से 22 मीटर भूजल स्तर के मुताबिक है. इस सिस्टम से भूजल स्तर को बढ़ाने में सहयोग मिलेगा. साहिबाबाद स्टेशन, गुलधर स्टेशन, गाजियाबाद और मुरादनगर आरएसएस को पहले ही आईजीबीसी सर्टिफिकेशन की उच्चतम रेटिंग “प्लेटिनम रेटिंग” प्राप्त हो चुकी है. अब हाल ही में दुहाई स्टेशन को भी इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.

ये भी पढ़ें: मतदान किया तो रैपिड रेल में मिलेगा फ्री सफर, फर्स्ट एड बॉक्स और हेल्थ चेकअप भी फ्री

नई दिल्ली: दिल्ली ही नहीं पूरे एनसीआर में भूजल स्तर का नीचे गिरना चिंता का विषय है. इसे गंभीरता से लेते हुए नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) बारिश के पानी को प्रभावी रूप से सहेजने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित कर रहा है. एनसीआरटीसी के मुताबिक दिल्ली के सराय काले खां से लेकर मेरठ के मोदीपुरम तक के एलिवेटेड वायडक्ट, स्टेशनों और डिपो में 900 से ज्यादा वर्षाजल संचयन के लिए पिट्स बनाए जा रहे हैं.

इनमें से लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है और बाकी का कार्य चल रहा है. इन पिट्स की मदद से लाखों क्यूबिक मीटर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होने की उम्मीद है. इससे लोगों को राहत मिलेगी. एनसीआरटीसी के अधिकारियों के मुताबिक कॉरिडोर के एलिवेटेड हिस्से में बनाए जा रहे ये वर्षा जल संचयन पिट्स एलिवेटेड वायाडक्ट स्पैन पर इस तरीके से बनाए जाते हैं कि वर्षाजल का अपने वास्तविक रूप में संग्रहण हो सके.

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कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा सड़क मार्ग के बीच है. ऐसे में पिट्स अधिकतर सड़क के बीच में मीडियन पर बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही आरआरटीएस स्टेशनों पर भी प्रत्येक प्रवेश-निकास द्वारों के पास दो-दो वर्षा जल संचयन पिट्स बनाए जा रहे हैं. इस कॉरिडोर पर ट्रेनों के रखरखाव और संचालन के लिए दो डिपो एक गाजियाबाद के दुहाई और दूसरा दूसरा मेरठ के मोदीपुरम मेरठ में बनाया जा रहा है. दुहाई में डिपो बन गया है. दुहाई डिपो में 20 से अधिक वर्षा जल संचयन के पिट्स बनाए गए हैं.

साहिबाबाद से दुहाई के बीच काम कर रहे हैं पिट्स

अधिकारियों के मुताबिक आरआरटीएस कॉरिडोर पर साहिबाबाद से मोदी नगर नॉर्थ तक 34 किमी के सेक्शन नमो भारत ट्रेनों का संचालन हो रहा है. इस सेक्शन में वर्षा जल संचयन पिट्स तैयार हो चुके हैं और सक्रिय कर दिए गए हैं. वर्षा होने पर जल का संचयन किया जाएगा. कॉरिडोर के अन्य हिस्सों के निर्माण के साथ-साथ इनका निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है.

वर्षा जल संचयन पिट्स निर्माण योजना के तहत आरआरटीएस वायाडक्ट के नीचे सामान्यत: एक स्पैन के अंतराल पर एक वर्षा जल संचयन पिट बनाया जा रहा है, जो वायडक्ट पर संग्रहित होने वाले वर्षा जल को जमीन के अंदर पहुंचाएगा. इन पिट्स में वर्षाजल को साफ करने के लिए रोड़ी और बालू के तीन परत वाले फिल्टर्स भी बनाए जा रहे हैं. जिससे जमीन में गंदा पानी छनकर पहुंचे. वर्षा जल संचयन के लिए वायडक्ट के पिलरों के सहारे जमीन में आमने-सामने दो छोटे वॉटर चैंबर बनाए गए हैं. इन चैंबर्स के बीच में एक वर्षा जल संचयन पिट बनाया गया है. इन दोनों चैंबर्स को पाइपों के जरिए पिट से जोड़ा गया है.

स्टेशनों व भवनों में भी होगी वर्षा जल संचयन की व्यवस्था

अधिकारियों के मुताबिक पिट्स की गहराई लगभग 16 से 22 मीटर भूजल स्तर के मुताबिक है. इस सिस्टम से भूजल स्तर को बढ़ाने में सहयोग मिलेगा. साहिबाबाद स्टेशन, गुलधर स्टेशन, गाजियाबाद और मुरादनगर आरएसएस को पहले ही आईजीबीसी सर्टिफिकेशन की उच्चतम रेटिंग “प्लेटिनम रेटिंग” प्राप्त हो चुकी है. अब हाल ही में दुहाई स्टेशन को भी इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.

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