छिन्दवाड़ा : जिले के एक आदिवासी किसान ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि कलेक्टर खुद भागे-भागे उसके खेत पहुंच गए. छिंदवाड़ा के इस किसान ने मिसाल कायम करते हुए प्राकृतिक खेती शुरू की और एक एकड़ जमीन में करीब 5 लाख रुपए का मुनाफा कमाया. जैसे ही ये खबर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने सुनी तो वे तुरंत किसान की फसल देखने पहुंच गए. इस आर्टिकल में जानें कि किसान ने ये कारनामा कैसे किया और नेचुरल खेती से कितना मुनाफा कमाया.
नेचुरल फार्मिंग से जमकर मुनाफा
किसान पूरनलाल इनवाती ने बताया, '' ड्रिप पध्दति और फसल पराली प्रबंधन कर प्राकृतिक रूप से केले की फसल लगाई जाती है. यहां केले के टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार किस्म जी-9 लगाई गई हैं. साथ ही फसल पराली से हरी खाद बनाकर मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारा जा रहा है.'' किसान ने बताया कि पिछले साल आधा एकड़ में केले की प्राकृतिक खेती कर 2 लाख 7 हजार रु का शुध्द मुनाफा प्राप्त किया गया था. वहीं इस साल 1 एकड़ से 4 से 5 लाख रु का सीधा प्रॉफिट हुआ है.
एक एकड़ में लगाए इतने पौधे
किसान पूरनलाल ने आगे कहा, '' एक एकड़ में 800 पौधे लगाए हैं, हर पौधे से औसतन 45 किलो फल प्राप्त हो रहे हैं, जिसे किसान द्वारा जबलपुर मंडी में औसतन 25 रु प्रति किलो के भाव से बेचा जा रहा है. हमारा प्राकृतिक केला जबलपुर मंडी में छिंदवाडा के केले के नाम से प्रसिध्द है और व्यापारियों द्वारा हाथों-हाथ ज्यादा दाम देकर खरीद लिया जाता है. सामान्यतः जहां केले की 15 से 18 रु प्रति किलो की दर से मंडी में खरीदी होती है, वहीं हमारा प्राकृतिक केला 25 रु प्रति किलो की दर से हाथों-हाथ बिक रहा है.'' इस प्रकार किसान पूरनलाल इनवाती6 एकड़ जमीन से एक वर्ष में लगभग 10 लाख रु की कमाई कर रहे हैं.
अचानक किसान के खेत पहुंचे कलेक्टर, फसल देखकर खुश
कलेक्टर शीलेंद्र सिंह अचानक भुमका में प्राकृतिक खेती करने वाले किसान पूरनलाल इनवाती के खेत में पहुंचे और केले की खेती के साथ ही, बाकी जमीन में मक्का, टमाटर, बैंगन और फलदार पौधे आम, कटहल, आंवला, सेव, एप्पल बेर, ड्रेगन फ्रूट्स, नींबू, संतरा, काजू के पौधों का निरीक्षण किया. किसान द्वारा की जा रही पशुपालन, बकरी पालन व मछली पालन इकाई स्थापित कर की जा रही समन्वित खेती को देखकर भी कलेक्टर शीलेंद्र सिंह खुश हुए. कलेक्टर ने कहा कि किसान पूरनलाल इनवाती द्वारा की जा रही समन्वित खेती को अन्य किसानों के सामने बतौर उदाहरण पेश कर प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के अन्य किसान भी समन्वित खेती अपनाकर अच्छा लाभ अर्जित कर सकें.