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नर्स की भूमिका देवदूत से कम नहीं, जानिए क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस - NATIONAL EMERGENCY NURSE DAY

राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आपातकालीन नर्सों के योगदान को पहचानने और सम्मानित करने के लिए समर्पित है.

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राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस आज मनाया जा रहा है. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 9, 2024, 4:55 PM IST

नई दिल्ली: चिकित्सा के क्षेत्र में नर्सेज की भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता. वे न केवल मरीजों की देखभाल करती हैं, बल्कि संकट के समय में उनकी जिम्मेदारियों में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है. हर साल अक्टूबर के दूसरे बुधवार को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस, नर्सों की इस कठिन और चुनौतीपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. आज 9 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस मनाया जा रहा है.

नर्सों की चुनौतियां: जब कोई मरीज आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में आता है, तो नर्सों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. सोमदत्त मेडिकल सेंटर में काम कर रही नर्स आंचल बेंस ने बताया कि आपातकालीन विभाग में नर्सों को बीमार, घायल और जिनके जीवन के लिए खतरा हो सकता है, उन मरीजों की देखभाल करनी होती है. यह अत्यंत संवेदनशील और दिमागी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य है. नर्सों को न केवल मरीजों की शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखना होता है, बल्कि उन्हें भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करना पड़ता है.

नर्स की भूमिका देवदूत से कम नहीं (ETV Bharat)

नर्सों का समर्पण: एम्स में कार्यरत सीनियर नर्सिंग ऑफिसर सोनिया चौहान का कहना है, "नर्सों का समर्पण अत्यधिक महत्वपूर्ण है. जब एक मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, तो वे डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सों पर भी निर्भर होते हैं. नर्सों का कार्य केवल दवाओं को देना नहीं होता, बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि मरीज को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो. सोनिया ने बताया कि नर्स की संवेदनशीलता और देखभाल का ही यह नतीजा होता है कि मरीज जल्दी ठीक होकर घर जा पाते हैं."

यह भी पढ़ें- गाजियाबाद में बिना डिग्री के मरीजों का इलाज करने पर एक्शन, 16 झोलाछाप डॉक्टरों पर FIR

उदाहरण और प्रेरणा: सोनिया ने बताया, "दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में काम करना नर्सों के लिए एक चुनौती है. यहां उन्हें अधिक मरीजों का भार उठाना पड़ता है और कई बार अतिरिक्त ड्यूटी भी करनी होती है. इसके बावजूद नर्सें अपनी सेवाएं पूरी निष्ठा और लगन से प्रदान करती हैं. ज्ञान, अनुभव और तकनीकी कुशलता के साथ, नर्सें हर दिन उन लोगों की मदद करती हैं जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है."

राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस की स्थापना आपातकालीन नर्स एसोसिएशन द्वारा की गई थी. यह सप्ताह 2001 में शुरू हुआ और इसके माध्यम से आपातकालीन नर्सिंग पेशेवरों के योगदान को उजागर करने का प्रयास किया गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य नर्सों को उनके मूल्यवान कार्यों के लिए सम्मानित करना है और समाज में उनके प्रति जागरूकता फैलाना है.

यह भी पढ़ें- महंगी सब्जियों ने बिगाड़ा रसोई का बजट, टमाटर ने लगाया 'शतक' तो मटर 300 पार

नई दिल्ली: चिकित्सा के क्षेत्र में नर्सेज की भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता. वे न केवल मरीजों की देखभाल करती हैं, बल्कि संकट के समय में उनकी जिम्मेदारियों में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है. हर साल अक्टूबर के दूसरे बुधवार को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस, नर्सों की इस कठिन और चुनौतीपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. आज 9 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस मनाया जा रहा है.

नर्सों की चुनौतियां: जब कोई मरीज आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में आता है, तो नर्सों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. सोमदत्त मेडिकल सेंटर में काम कर रही नर्स आंचल बेंस ने बताया कि आपातकालीन विभाग में नर्सों को बीमार, घायल और जिनके जीवन के लिए खतरा हो सकता है, उन मरीजों की देखभाल करनी होती है. यह अत्यंत संवेदनशील और दिमागी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य है. नर्सों को न केवल मरीजों की शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखना होता है, बल्कि उन्हें भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करना पड़ता है.

नर्स की भूमिका देवदूत से कम नहीं (ETV Bharat)

नर्सों का समर्पण: एम्स में कार्यरत सीनियर नर्सिंग ऑफिसर सोनिया चौहान का कहना है, "नर्सों का समर्पण अत्यधिक महत्वपूर्ण है. जब एक मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, तो वे डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सों पर भी निर्भर होते हैं. नर्सों का कार्य केवल दवाओं को देना नहीं होता, बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि मरीज को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो. सोनिया ने बताया कि नर्स की संवेदनशीलता और देखभाल का ही यह नतीजा होता है कि मरीज जल्दी ठीक होकर घर जा पाते हैं."

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उदाहरण और प्रेरणा: सोनिया ने बताया, "दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में काम करना नर्सों के लिए एक चुनौती है. यहां उन्हें अधिक मरीजों का भार उठाना पड़ता है और कई बार अतिरिक्त ड्यूटी भी करनी होती है. इसके बावजूद नर्सें अपनी सेवाएं पूरी निष्ठा और लगन से प्रदान करती हैं. ज्ञान, अनुभव और तकनीकी कुशलता के साथ, नर्सें हर दिन उन लोगों की मदद करती हैं जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है."

राष्ट्रीय आपातकालीन नर्स दिवस की स्थापना आपातकालीन नर्स एसोसिएशन द्वारा की गई थी. यह सप्ताह 2001 में शुरू हुआ और इसके माध्यम से आपातकालीन नर्सिंग पेशेवरों के योगदान को उजागर करने का प्रयास किया गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य नर्सों को उनके मूल्यवान कार्यों के लिए सम्मानित करना है और समाज में उनके प्रति जागरूकता फैलाना है.

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