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सीएम के प्रधान सलाहकार बोले, सरकार के समक्ष बातचीत से अपनी मांगों को रखकर मसला सुलझाएं कर्मचारी - Naresh Chauhan on Employees Demand

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 8:00 PM IST

हिमाचल प्रदेश में डीए और एरियर को लेकर कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में कर्मचारियों का रुख देखते हुए सीएम सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का रवैया देखकर उन्हें अफसोस हो रहा है. कर्मचारियों को सरकार के साथ बैठक कर यह मसला बातचीत के द्वारा सुलझाना चाहिए. पढ़िए पूरी खबर...

सीएम सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान
सीएम सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल में कर्मचारी डीए और एरियर की मांग को लेकर सरकार के विरोध में उतर गए हैं. ऐसे में सरकार के खिलाफ की जा रही कर्मचारी नेताओं की बयानबाजी से सियासत भी गरमा गई है. इस बीच मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों की हितैषी है. सरकार ने अपनी गारंटी को पूरा करते हुए पहली ही कैबिनेट की बैठक में ही पुरानी पेंशन बहाल की है, जिससे 1.36 लाख कर्मचारियों को उनका हक मिला है.

नरेश चौहान ने कहा, "पिछली भाजपा सरकार ने पांच साल में एक बार भी कर्मचारियों की ओपीएस की मांग पर गौर नहीं किया, बल्कि कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया. पुरानी पेंशन बहाल होने से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों 3,700 रुपये मिल रहे थे, वहीं अब उन्हें 37,000 रुपये मासिक पेंशन मिल रही है. इसलिए कर्मचारियों को सरकार के समक्ष अपनी मांगे रखकर बातचीत से मामले को सुलझाना चाहिए".

नरेश चौहान ने कहा, "कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और एरियर की जवाबदेही को लेकर मीडिया के सामने भी और विधानसभा में श्वेत पत्र लाकर बताया जा चुका है. प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का बोझ अलग से है. इसके अलावा पिछली सरकार कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ की देनदारियां छोड़ कर गई है. मुख्यमंत्री ने 75 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया है. उन्हें सारे भुगतान इस वित्त वर्ष में जारी किए जा रहे हैं".

नरेश चौहान ने कहा, "कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर जिस तरह का रुख अपनाया है, इस पर उन्हें बहुत अफसोस है. कर्मचारियों को अपनी मांग रखने का अधिकार है. लेकिन मांग के साथ सरकार के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप और आलोचना करना भी गलत है. सचिवालय के कर्मचारी अन्यों के मुकाबले सरकार की आर्थिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझते हैं. मुख्यमंत्री कड़े फैसले ले रहे हैं, जिसके लिए कई संभावनाएं तलाशी जा रही है".

'सरकार को कर्मचारियों से नहीं ये उम्मीद': नरेश चौहान ने कहा कि कर्मचारियों ने जिस तरह का रवैया अपनाया उसकी सरकार को कभी उम्मीद नहीं थी. सरकार को हर वर्ग के लिए काम करना है. किसानों, बागवानों और बेरोजगारों सहित हर वर्ग के लिए योजनाएं बनानी है. कर्मचारी बातचीत के जरिए सरकार के समक्ष अपनी मांग रखें, तभी मिल बैठकर यह मसला सुलझाया जा सकता है. डेढ़ साल में सरकार ने कर्मचारी हित में बहुत सारे फैसले लिए हैं. प्रदेश सरकार कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए कर्मचारी किसी भी तरह के बहकावे में न आएं.

ये भी पढ़ें: "कर्मचारियों को हड़काने के लिए मंत्री को किया आगे, खुद सवालों से भाग रहे हैं सीएम सुक्खू"

शिमला: हिमाचल में कर्मचारी डीए और एरियर की मांग को लेकर सरकार के विरोध में उतर गए हैं. ऐसे में सरकार के खिलाफ की जा रही कर्मचारी नेताओं की बयानबाजी से सियासत भी गरमा गई है. इस बीच मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों की हितैषी है. सरकार ने अपनी गारंटी को पूरा करते हुए पहली ही कैबिनेट की बैठक में ही पुरानी पेंशन बहाल की है, जिससे 1.36 लाख कर्मचारियों को उनका हक मिला है.

नरेश चौहान ने कहा, "पिछली भाजपा सरकार ने पांच साल में एक बार भी कर्मचारियों की ओपीएस की मांग पर गौर नहीं किया, बल्कि कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया. पुरानी पेंशन बहाल होने से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों 3,700 रुपये मिल रहे थे, वहीं अब उन्हें 37,000 रुपये मासिक पेंशन मिल रही है. इसलिए कर्मचारियों को सरकार के समक्ष अपनी मांगे रखकर बातचीत से मामले को सुलझाना चाहिए".

नरेश चौहान ने कहा, "कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और एरियर की जवाबदेही को लेकर मीडिया के सामने भी और विधानसभा में श्वेत पत्र लाकर बताया जा चुका है. प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का बोझ अलग से है. इसके अलावा पिछली सरकार कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ की देनदारियां छोड़ कर गई है. मुख्यमंत्री ने 75 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया है. उन्हें सारे भुगतान इस वित्त वर्ष में जारी किए जा रहे हैं".

नरेश चौहान ने कहा, "कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर जिस तरह का रुख अपनाया है, इस पर उन्हें बहुत अफसोस है. कर्मचारियों को अपनी मांग रखने का अधिकार है. लेकिन मांग के साथ सरकार के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप और आलोचना करना भी गलत है. सचिवालय के कर्मचारी अन्यों के मुकाबले सरकार की आर्थिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझते हैं. मुख्यमंत्री कड़े फैसले ले रहे हैं, जिसके लिए कई संभावनाएं तलाशी जा रही है".

'सरकार को कर्मचारियों से नहीं ये उम्मीद': नरेश चौहान ने कहा कि कर्मचारियों ने जिस तरह का रवैया अपनाया उसकी सरकार को कभी उम्मीद नहीं थी. सरकार को हर वर्ग के लिए काम करना है. किसानों, बागवानों और बेरोजगारों सहित हर वर्ग के लिए योजनाएं बनानी है. कर्मचारी बातचीत के जरिए सरकार के समक्ष अपनी मांग रखें, तभी मिल बैठकर यह मसला सुलझाया जा सकता है. डेढ़ साल में सरकार ने कर्मचारी हित में बहुत सारे फैसले लिए हैं. प्रदेश सरकार कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए कर्मचारी किसी भी तरह के बहकावे में न आएं.

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