नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू धंसाव को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी की जनहित याचिका में पर सुनवाई की. मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तिथि नियत की है. मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले कि सुनवाई हुई.
मामले के अनुसार पूर्व में एनटीपीसी की तरफ से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि उन्हें जोशीमठ में निर्माण कार्य और ब्लास्ट करने की अनुमति दी जाए. क्योंकि उनकी परियोजना जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इनकी परियोजना 1.5 किलोमीटर दूरी पर है, इसलिए इन्हें ब्लास्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इस पर कोर्ट ने दोनों से एनडीएमए के पास जाने को कहा था. एनडीएमए ने कोर्ट को बताया कि उसने अंतिम सिफारिश तैयार कर ली है. राज्य को निर्णय लेने के लिए भेज दिया है.
मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष और चिपको आंदोलन के सदस्य पीसी तिवारी ने 2021 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं. सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है, जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दे. वहीं उत्तराखंड में 5,600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं. इस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती. हाइड्रो प्रोजेक्ट टीम के कर्मचारियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. कर्मचारियों को केवल सुरक्षा के नाम पर हेलमेट दिए हैं. कर्मचारियों को आपदा से लड़ने के लिए कोई ट्रेनिंग तक नहीं दी गई और ना ही कर्मचारियों के पास कोई उपकरण मौजूद हैं.
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