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नाग को गले में डालकर ले रहा था झप्पी, तभी हुआ ये... - Nag Nagin in Koriya - NAG NAGIN IN KORIYA

Nag Nagin became center of faith अक्सर आपने फिल्मों में नाग और नागिन के जोड़े कहानियां देखी होंगी.इन कहानियों में नाग या नागिन की मौत होती है और फिर दूसरा उसका बदला लेता है.लेकिन हकीकत में ऐसा होता है ये कोई नहीं जानता.फिर भी लोग नाग और नागिन से जुड़ी कहानियों को मानते हैं और इसलिए नाग में लोगों की गहरी आस्था भी जुड़ी होती है.कुछ लोग नाग को भोलेनाथ का श्रृंगार मानते हैं,तो कुछ के लिए नाग दैवीय रूप है. जो मनुष्य जाति के भलाई के लिए ही पृथ्वी पर है.इसलिए कई जगहों पर नाग और नागिन के मंदिर देखने को मिलते हैं. आज हम ऐसे ही नाग नागिन के जोड़े के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पिछले 15 दिनों से लोगों के बीच कौतुहल का विषय है. One died due to snake bite

Nag Nagin became center of faith
तालाब में प्रकट हुए नाग नागिन (ETV Bharat Chhattisagrh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 13, 2024, 1:24 PM IST

Updated : May 13, 2024, 9:24 PM IST

नागराज से खिलवाड़ पड़ा महंगा (ETV BHARAT)

कोरिया : बैकुंठपुर से 10 किलोमीटर दूरी पर चारपारा गांव है. इस गांव का तालाब इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है. क्योंकि इस तालाब में नाग और नागिन के जोड़े ने लोगों को दर्शन दिए हैं.पहले तो लोगों ने इसे सामान्य घटना माना.लेकिन जब ग्रामीणों ने आए दिन नाग के जोड़ों को तालाब में देखा तो इसे दैवीय चमत्कार मानने लगे. ग्रामीणों ने इसके बाद नाग को दूध पिलाने के लिए तालाब किनारे कटोरी रखी.फिर क्या था नाग आया और कटोरी से दूध पी गया.इस घटना के बाद मानो लोगों को लगने लगा कि सच में उनके गांव में दैवीय कृपा हुई है. ये बात पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैली.बस फिर क्या था,लोग हाथों में दूध की कटोरी लिए तालाब किनारे आज भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.

One died due to snake bite
नाग को दूध पिलाता ग्रामीण (ETV Bharat Chhattisagrh)

नाग के डसने से एक की हो चुकी है मौत : किस्सा यहीं खत्म नहीं होता.नाग के दूध पीने के बाद कुछ और लोगों को इससे भी आगे बढ़ने की सूझी. लिहाजा नाग को छूने का सिलसिला शुरु हुआ. अब लोग नाग को दूध पिलाने के साथ सेल्फी भी लेने लगे.वो भी नाग को छूकर. नाग को भी शायद लोगों की इस हरकत का बुरा नहीं लगा,इसलिए तो उसने खुद को छूने का विरोध किसी भी गांव वाले को चूमकर नहीं दिया.लेकिन एक शराबी ने थोड़ी हिम्मत दिखाई और नशे में उसने नाग को अपने गले का हार बना डाला.यहां तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही शराबी ने नाग को तालाब से दूर ले जाने की कोशिश की तो नाग नाराज हो गया और वही किया जो उसका काम है.नाग के पप्पी लेते ही शराबी का नशा काफूर हुआ और जनाब का काम तमाम.इसके बाद चुपचाप नाग देवता अपने तालाब में वापस आ गए.

मौत के बाद भी नहीं हुई आस्था कम : नाग के डसने के बाद लोगों के बीच मौत का डर फैलना था,लेकिन हुआ इसके ठीक उलटा.ग्रामीण ये मानने लगे कि शराबी ने गलती की इसलिए उसकी सजा उसे मिली.यदि वो नाग को तालाब से दूर ले जाने की कोशिश नहीं करता तो शायद आज सांसें ले रहा होता. मौत के बाद भी इस तालाब के चारों तरफ लोगों की भीड़ जमा रहती है.कुछ तो नाग के दर्शन करने के लिए आते हैं.लेकिन कुछ नाग को दूध पिलाने.लेकिन एक बात ये भी है कि नाग हर किसी के हाथ से दूध नहीं पीते. अब ग्रामीण तालाब किनारे नाग देवता का मंदिर बनाने की बात कह रहे हैं.

सांप को ना पिलाएं दूध : भले ही बैकुंठपुर के चारपारा में नाग को दूध पिलाने का सिलसिला शुरु हुआ हो.लेकिन हकीकत में नाग को दूध पिलाना यानी उसकी मौत को दावत देना होता है. शोध की माने तो नाग की आंतें दूध को नहीं पचा सकती.ज्यादा मात्रा में दूध पीने से नाग की आंतों में संक्रमण होता है.जिससे वो जल्दी मृत्यु को प्राप्त हो सकता है.अब यहां जिस तरीके से नाग को दूध पिलाया जा रहा है,उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका अंजाम क्या होगा. भले ही लोग इसे आस्था से जोड़कर देख रहे हो लेकिन सवाल आस्था के साथ एक जीव के जीवन का भी है.इसलिए यदि सांप को लंबे समय तक गांववालों को जीवित देखना है तो उसे दूध पिलाना बंद करना होगा.

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One died due to snake bite
नाग को दूध पिलाता ग्रामीण (ETV Bharat Chhattisagrh)

नाग के डसने से एक की हो चुकी है मौत : किस्सा यहीं खत्म नहीं होता.नाग के दूध पीने के बाद कुछ और लोगों को इससे भी आगे बढ़ने की सूझी. लिहाजा नाग को छूने का सिलसिला शुरु हुआ. अब लोग नाग को दूध पिलाने के साथ सेल्फी भी लेने लगे.वो भी नाग को छूकर. नाग को भी शायद लोगों की इस हरकत का बुरा नहीं लगा,इसलिए तो उसने खुद को छूने का विरोध किसी भी गांव वाले को चूमकर नहीं दिया.लेकिन एक शराबी ने थोड़ी हिम्मत दिखाई और नशे में उसने नाग को अपने गले का हार बना डाला.यहां तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही शराबी ने नाग को तालाब से दूर ले जाने की कोशिश की तो नाग नाराज हो गया और वही किया जो उसका काम है.नाग के पप्पी लेते ही शराबी का नशा काफूर हुआ और जनाब का काम तमाम.इसके बाद चुपचाप नाग देवता अपने तालाब में वापस आ गए.

मौत के बाद भी नहीं हुई आस्था कम : नाग के डसने के बाद लोगों के बीच मौत का डर फैलना था,लेकिन हुआ इसके ठीक उलटा.ग्रामीण ये मानने लगे कि शराबी ने गलती की इसलिए उसकी सजा उसे मिली.यदि वो नाग को तालाब से दूर ले जाने की कोशिश नहीं करता तो शायद आज सांसें ले रहा होता. मौत के बाद भी इस तालाब के चारों तरफ लोगों की भीड़ जमा रहती है.कुछ तो नाग के दर्शन करने के लिए आते हैं.लेकिन कुछ नाग को दूध पिलाने.लेकिन एक बात ये भी है कि नाग हर किसी के हाथ से दूध नहीं पीते. अब ग्रामीण तालाब किनारे नाग देवता का मंदिर बनाने की बात कह रहे हैं.

सांप को ना पिलाएं दूध : भले ही बैकुंठपुर के चारपारा में नाग को दूध पिलाने का सिलसिला शुरु हुआ हो.लेकिन हकीकत में नाग को दूध पिलाना यानी उसकी मौत को दावत देना होता है. शोध की माने तो नाग की आंतें दूध को नहीं पचा सकती.ज्यादा मात्रा में दूध पीने से नाग की आंतों में संक्रमण होता है.जिससे वो जल्दी मृत्यु को प्राप्त हो सकता है.अब यहां जिस तरीके से नाग को दूध पिलाया जा रहा है,उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका अंजाम क्या होगा. भले ही लोग इसे आस्था से जोड़कर देख रहे हो लेकिन सवाल आस्था के साथ एक जीव के जीवन का भी है.इसलिए यदि सांप को लंबे समय तक गांववालों को जीवित देखना है तो उसे दूध पिलाना बंद करना होगा.

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Last Updated : May 13, 2024, 9:24 PM IST
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