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यूसीसी को लेकर मुस्लिम सेवा संगठन ने उठाए विरोध के सुर, बोले ये कानून धर्म विशेष के खिलाफ

Uttarakhand Uniform Civil Code उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का फाइनल ड्राफ्ट मिलने के बाद राजनैतिक गलियारों में हलचढ़ बढ़ गई है. इसी कड़ी में आज मुस्लिम सेवा संगठन ने प्रेस वार्ता आयोजित की. जिसमें उन्होंने विरोध करते हुए यूसीसी को धर्म विशेष के खिलाफ बताया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 4, 2024, 4:35 PM IST

Updated : Feb 4, 2024, 9:03 PM IST

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यूसीसी को लेकर मुस्लिम सेवा संगठन ने उठाए विरोध के सुर

देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट बनाने वाली विशेषज्ञ समिति ने अपना फाइनल ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है. जिसके बाद से देवभूमि में स्टेटमेंट वॉर शुरू हो गई है. इसी क्रम में आज पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में मुस्लिम सेवा संगठन की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. जिसमें शहर काजी मोहम्मद अहमद काजमी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को धर्म विशेष के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि इसमें मुस्लिम समाज द्वारा दी गई आपत्ति और सुझावों को कोई जगह नहीं दी गई है.

मुस्लिम सेवा संगठन यूसीसी के विरोध में उठाए सवाल: मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष मुफ्ती रईस अहमद काजमी ने कहा कि राज्य सरकार यूसीसी को एक खास तबके के ऊपर थोपना चाहती है. प्रदेश सरकार द्वारा लाया जाने वाला यह कानून संविधान के खिलाफ है, क्योंकि आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की पूरी आजादी दी गई है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो केंद्र सरकार की ओर से संविधान में संशोधन के बाद ही समान नागरिक संहिता को लागू किया जा सकता है, वरना दो कानून आपस में टकराएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो कानून सभी धर्म के लिए हैं, उसमें सभी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं होना, इस कानून को संदेहास्पद बनाता है.

भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल था यूसीसी को लागू करना : बता दें कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भाजपा के चुनावीं घोषणा पत्र में शामिल था. यही वजह कि 23 मार्च 2022 को धामी सरकार के गठन के बाद हुई पहली मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी लागू करने की मंजूरी दी गई थी. साथ ही मंत्रिमंडल ने यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया था. एक बड़ी खोजबीन और केंद्र सरकार के निर्देश के बाद सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में पांच सदस्यों को शामिल किया गया था.

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देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट बनाने वाली विशेषज्ञ समिति ने अपना फाइनल ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है. जिसके बाद से देवभूमि में स्टेटमेंट वॉर शुरू हो गई है. इसी क्रम में आज पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में मुस्लिम सेवा संगठन की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. जिसमें शहर काजी मोहम्मद अहमद काजमी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को धर्म विशेष के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि इसमें मुस्लिम समाज द्वारा दी गई आपत्ति और सुझावों को कोई जगह नहीं दी गई है.

मुस्लिम सेवा संगठन यूसीसी के विरोध में उठाए सवाल: मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष मुफ्ती रईस अहमद काजमी ने कहा कि राज्य सरकार यूसीसी को एक खास तबके के ऊपर थोपना चाहती है. प्रदेश सरकार द्वारा लाया जाने वाला यह कानून संविधान के खिलाफ है, क्योंकि आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की पूरी आजादी दी गई है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो केंद्र सरकार की ओर से संविधान में संशोधन के बाद ही समान नागरिक संहिता को लागू किया जा सकता है, वरना दो कानून आपस में टकराएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो कानून सभी धर्म के लिए हैं, उसमें सभी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं होना, इस कानून को संदेहास्पद बनाता है.

भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल था यूसीसी को लागू करना : बता दें कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भाजपा के चुनावीं घोषणा पत्र में शामिल था. यही वजह कि 23 मार्च 2022 को धामी सरकार के गठन के बाद हुई पहली मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी लागू करने की मंजूरी दी गई थी. साथ ही मंत्रिमंडल ने यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया था. एक बड़ी खोजबीन और केंद्र सरकार के निर्देश के बाद सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में पांच सदस्यों को शामिल किया गया था.

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Last Updated : Feb 4, 2024, 9:03 PM IST
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