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कारगर साबित हो रहा है मदर मिल्क बैंक, 1700 से ज्यादा नवजातों को की मां के दूध की आपूर्ति - MOTHER MILK BANK IN JODHPUR

जोधपुर में मदर मिल्क बैंक के माध्यम से 1700 से ज्यादा नवजातों को मां के दूध की आपूर्ति की जा चुकी है.

Mother Milk Bank in Jodhpur
जोधपुर में मदर मिल्क बैंक (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 14, 2024, 4:52 PM IST

जोधपुर: जोधपुर में अनाथ बच्चों को पालने वाले नवजीवन संस्थान द्वारा अपने स्तर पर ही शुरू किए मदर मिल्क बैंक समय से पहले जन्में और कम वजन के नवजात के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. 2021 में शुरू हुए इस बैंक से तीन सालों में 1700 से ज्यादा नवजातों को मां के दूध की आपूर्ति की है. संस्थान के संचालक राजेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि मदर मिल्क बैंक शुरू होने से हमारे पालने में और अस्पतालों के पालने में आने वाले नवजातों को जीवनदान मिला है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां धात्री मां दूध दान करने आती हैं. इसके अलावा जिन प्रसूताओं के दूध नहीं होता है, उनको हम उम्मेद अस्पताल में दूध देते हैं.

मदर मिल्क बैंक निभा रहा 'मां' की भूमिका (ETV Bharat Jodhpur)

चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित संस्थान के लवकुश आश्रम में संस्थान ने 30 लाख की लागत से यह बैंक स्थापित कर किया था. इस मदर मिल्क बैंक में सभी विश्वस्तरीय प्रोटोकॉल की पालना की जार रही है. दूध का दान करने से पहले मां की काउंसलिंग की जाती है. दूध प्राप्त करने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं. जिससे मां को परेशानी नहीं हो. पूरे समय एक काउंसलर मां के पास मौजूद रहती है. प्राप्त दूध की सभी तरह की जांचें होती हैं. इसके अलावा मां की एंटीनेटल रिपोर्ट भी देखी जाती है. मिल्क डोनर ज्योति कहती हैं कि मेरे बच्चे की आवश्यकता के बाद मैं बैंक में दूध देती हूं, वो किसी न किसी बच्चे के काम आता है.

पढ़ें: एक बार फिर देश में चमका चित्तौड़गढ़ के आंचल मदर मिल्क बैंक का नाम, टॉप-3 में शामिल - Mother Milk Bank - MOTHER MILK BANK

3 हजार महिलाओं ने दिया दान: मिल्क बैंक प्रभारी विनीता ने बताया कि दूध कलेक्शन के लिए कैंप भी होते हैं. तीन सालों में 3 हजार से ज्यादा मांओं ने यहां दान किया है. उनको यह बताया जाता है कि उनके बच्चे को दूध पिलाने के बाद दूध देने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. कुछ माएं यहां नहीं आ सकतीं, उनके लिए हमारी वैन और टेक्नीशियन उनके घर जाती है. टेक्नीशियन टीना बताती हैं कि वह हर दिन उम्मेद अपस्ताल में करीब 400 एमएल दूध देने जाती हैं. वहां अगर कोई प्रसूता अतिरिक्त दूध देना चाहे, तो वह यहां लेकर आती हैं.

पढ़ें: आंचल मदर मिल्क बैंक बना नवजातों के लिए जीवनदायी, अब तक 19700 बच्चों को मिला लाभ

6 माह तक सुरक्षित रहता है दूध: दूध को पाश्चराईजेशन से बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है. सभी तरह की रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही दूध को माइनस बीस डिग्री में स्टोर किया जाता है. जिसे आवश्यकतानुसार बच्चों को उपलब्ध करवाया जाता है. राजेंद्र सिंह परिहार के मुताबिक मां के दूध की कल्चर जांच भी होती है. उसके बाद फ्रीज में रखा जाता है. इध दूध को 6 माह तक काम में लिया जा सकता है. यहां सभी उपकरण ब्रिटेन से मंगवाए गए हैं.

पढ़ें: प्री-मैच्यौर और मैच्योर बच्चों को मिलेगा मां का दूध, मिल्क स्टोर करने की मिलेगी सुविधा - MILK BANK

ऐसा है नवजीन संस्थान: जोधपुर में भगवानसिंह परिहार द्वारा स्थापित इस संस्थान से अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चों को गोद दिया जा चुका है. कई अनाथ बच्चियों का पालन पोषण व उन्हें शिक्षित कर संस्थान उनकी शादी करवा कर घर बसा चुका है. वर्तमान में यहां कई बच्चे रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर बच्चियां हैं. इसके अलावा वृद्धाआश्रम का संचालन भी किया जा रहा है.

जोधपुर: जोधपुर में अनाथ बच्चों को पालने वाले नवजीवन संस्थान द्वारा अपने स्तर पर ही शुरू किए मदर मिल्क बैंक समय से पहले जन्में और कम वजन के नवजात के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. 2021 में शुरू हुए इस बैंक से तीन सालों में 1700 से ज्यादा नवजातों को मां के दूध की आपूर्ति की है. संस्थान के संचालक राजेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि मदर मिल्क बैंक शुरू होने से हमारे पालने में और अस्पतालों के पालने में आने वाले नवजातों को जीवनदान मिला है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां धात्री मां दूध दान करने आती हैं. इसके अलावा जिन प्रसूताओं के दूध नहीं होता है, उनको हम उम्मेद अस्पताल में दूध देते हैं.

मदर मिल्क बैंक निभा रहा 'मां' की भूमिका (ETV Bharat Jodhpur)

चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित संस्थान के लवकुश आश्रम में संस्थान ने 30 लाख की लागत से यह बैंक स्थापित कर किया था. इस मदर मिल्क बैंक में सभी विश्वस्तरीय प्रोटोकॉल की पालना की जार रही है. दूध का दान करने से पहले मां की काउंसलिंग की जाती है. दूध प्राप्त करने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं. जिससे मां को परेशानी नहीं हो. पूरे समय एक काउंसलर मां के पास मौजूद रहती है. प्राप्त दूध की सभी तरह की जांचें होती हैं. इसके अलावा मां की एंटीनेटल रिपोर्ट भी देखी जाती है. मिल्क डोनर ज्योति कहती हैं कि मेरे बच्चे की आवश्यकता के बाद मैं बैंक में दूध देती हूं, वो किसी न किसी बच्चे के काम आता है.

पढ़ें: एक बार फिर देश में चमका चित्तौड़गढ़ के आंचल मदर मिल्क बैंक का नाम, टॉप-3 में शामिल - Mother Milk Bank - MOTHER MILK BANK

3 हजार महिलाओं ने दिया दान: मिल्क बैंक प्रभारी विनीता ने बताया कि दूध कलेक्शन के लिए कैंप भी होते हैं. तीन सालों में 3 हजार से ज्यादा मांओं ने यहां दान किया है. उनको यह बताया जाता है कि उनके बच्चे को दूध पिलाने के बाद दूध देने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. कुछ माएं यहां नहीं आ सकतीं, उनके लिए हमारी वैन और टेक्नीशियन उनके घर जाती है. टेक्नीशियन टीना बताती हैं कि वह हर दिन उम्मेद अपस्ताल में करीब 400 एमएल दूध देने जाती हैं. वहां अगर कोई प्रसूता अतिरिक्त दूध देना चाहे, तो वह यहां लेकर आती हैं.

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6 माह तक सुरक्षित रहता है दूध: दूध को पाश्चराईजेशन से बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है. सभी तरह की रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही दूध को माइनस बीस डिग्री में स्टोर किया जाता है. जिसे आवश्यकतानुसार बच्चों को उपलब्ध करवाया जाता है. राजेंद्र सिंह परिहार के मुताबिक मां के दूध की कल्चर जांच भी होती है. उसके बाद फ्रीज में रखा जाता है. इध दूध को 6 माह तक काम में लिया जा सकता है. यहां सभी उपकरण ब्रिटेन से मंगवाए गए हैं.

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ऐसा है नवजीन संस्थान: जोधपुर में भगवानसिंह परिहार द्वारा स्थापित इस संस्थान से अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चों को गोद दिया जा चुका है. कई अनाथ बच्चियों का पालन पोषण व उन्हें शिक्षित कर संस्थान उनकी शादी करवा कर घर बसा चुका है. वर्तमान में यहां कई बच्चे रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर बच्चियां हैं. इसके अलावा वृद्धाआश्रम का संचालन भी किया जा रहा है.

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