शिमला: हिमाचल में एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. प्रदेश में कुल चार लोकसभा सीटें हैं. अनुराग ठाकुर, आनंद शर्मा, कंगना रनौत और विक्रमादित्य सिंह जैसे दिग्गजों के लिए भी ये चुनाव साख का सवाल बना है. बीजेपी 400 पार के नारे के साथ मैदान में है, तो वहीं, इंडी एलायंस इस बार बीजेपी को पटखनी देने के लिए हाथ के साथ चल रहा है. प्रदेश की चार संसदीय सीटों में अब 37 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा. हिमाचल में वामपंथी दलों समेत सभी पार्टियों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. चार जून को देशभर के नतीजों के साथ ही हिमाचल के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे.
हिमाचल में इस बार चुनाव में कुल 57 लाख 11 हजार 969 वोटर्स मतदान करेंगे. हिमाचल में 28 लाख 48 हजार 301 पुरुष वोटर्स हैं. वहीं, 27 लाख 97 हजार 209 महिलाएं, 66 हजार 390 सर्विस वोटर्स, 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 60 हजार 835 है. 57 हजार 775 दिव्यांग, 1 लाख 71 हजार 675 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे. कुल 34 ओवरसीज वोटर्स हैं. सबसे ज्यादा ओवरसीज वोटर्स हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में हैं. प्रदेश में कुल 35 थर्ड जेंडर मतदाता अपने मताधिकार इस्तेमाल करेंगे. 1254 शतायु वोटर्स लोकतंत्र के इस पर्व में अपने मतदान की आहुति डालेंगे.
कांगड़ा लोकसभा सीट: इस सीट से शांता कुमार, चंद्रेश कुमारी जैसे दिग्गज चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और केंद्रीय मंत्री भी बने. इस बार कांगड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा और बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. राजीव भारद्वाज के बीच है. आनंद शर्मा पूर्व की मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं. यहां 7 लाख 55 हजार 871 पुरुष, जबकि 7 लाख 46 हजार 630 महिला वोटर्स हैं. 5 थर्ड जेंडर, 8 ओवरसीज, 21 हजार 519 सर्विस वोटर्स हैं. हिमाचल जिला का चंबा क्षेत्र इसी क्षेत्र में पड़ता है. यहां जनजातीय वोटर्स की संख्या काफी अधिक है. यहां सीकरीधार सीमेंट प्लांट सालों से मुद्दा बना हुआ था. शांता कुमार भी अपने प्रचार में उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक भी लोगों को सीकरीधार सीमेंट प्लांट का इंतजार है. यहां से इस बार 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
मंडी लोकसभा सीट: इस सीट पर मुकाबला कंगना रनौत और प्रदेश कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच है. ये सीट देशभर की हॉटसीट में से एक है. तीनों सीटों के मुकाबले इस सीट पर सबसे अधिक लोगों की नजरें हैं. साथ ही दोनों पार्टियों के बीच खूब जोर आझमाइश चल रही है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जनजातीय इलाकों में विक्रमादित्य सिंह और मंडी जिले में कंगना की स्थिति मजबूत है. यहां पर बीजेपी के पूर्व दिवंगत सांसद रामस्वरूप शर्मा यहां से लगातार 2 बार जीत दर्ज कर चुके हैं. रामस्वरूप को पीएम मोदी अपना सुदामा बताते थे. बीजेपी यहां जीत की हैट्रिक लगाने का पूरा प्रयास करेगी. इसके लिए पीएम मोदी की रैली भी पड्डल मैदान में आयोजित होगी. यहां कुल 13 लाख 77 हजार 173 मतदाता हैं. 6 लाख 85 हजार 831 पुरुष और 6 लाख 78 हजार 224 महिला वोटर्स हैं. साथ ही 3 थर्ड जेंडर और 2 ओवरसीज मतदाता हैं. 13 हजार 113 सर्विस वोटर्स हैं. इस सीट पर 10 लोगों के बीच टक्कर है.
हमीरपुर लोकसभा सीट: ये सीट भी देशभर की चर्चित सीटों में से एक हैं. यहां से बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने कांग्रेस के सतपाल रायजादा हैं. अनुराग यहां से जीत का पंजा लगाने की कोशिश करेंगे. 1996 में मेजर जनरल विक्रमजीत ने इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार जीत दिलाई थी. उसके बाद सुरेश चंदेल तीन बार लगातार जीतकर संसद पहुंचे थे. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल भी 2 बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं. 26 साल से ये सीट बीजेपी के कब्जे में है, जबकि 35 साल में कांग्रेस ने यहां से एक बार जीत हासिल की है. यहां 7 लाख 15 हजार 670 पुरुष और 7 लाख 16 हजार 938 महिला मतदाता हैं. 13 ओवरसीज और 23 हजार 463 सर्विस वोटर्स हैं. यहां 14 लाख 56 हजार 99 हजार कुल मतदाता हैं. हमीरपुर में 12 उम्मीदवारों के बीच टक्कर है.
शिमला लोकसभा सीट: पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला सीट पर मुकाबला बीजेपी के वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप और विनोद सुल्तानपुरी के बीच है. 2009 से ये सीट बीजेपी के पास है. इसी साल पहली बार वीरेंद्र कश्यप ने यहां पहली बार कमल खिलाया था. 2014 का भी चुनाव वीरेंद्र कश्यप जीते थे. 2019 में पहली बार यहां से सुरेश कश्यप जीते थे. इस सीट से विनोद सुल्तानपुरी के पिता केडी सुल्तानपुरी छह बार सांसद रहे हैं. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 13 लाख 54 हजार 665 है. इसमें 6 लाख 90 हजार 929 पुरुष और 6 लाख 55 हजार 417 महिला मतदाता हैं. 12 थर्ड जेंडर और 11 ओवरसीज और 8 हजार 296 वोटर्स हैं. यहां पांच प्रत्याशियों के बीच टक्कर है.
वहीं, चुनाव को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने के लिए चुनाव आयोग की तैयारियां जारी हैं. चुनाव के कर्मचारियों की ड्यूटियां लगा दी हैं. लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए भी आयोग पूरी मेहनत से लगा है.