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दशकों से सूखी पड़ी नदी में पानी आते ही झूमने लगे लोग, चुनरी ओढ़ाकर किया स्वागत - monsoon in rajasthan

लोक जीवन की परंपराएं कई बार वक्त के साथ छूट जाती है, तो कई बार हालात उन्हें पीछे छोड़ देता है. जयपुर जिले के फागी कस्बे के नजदीक से बहने वाली बांडी नदी में जब सालों बाद पानी आया, तो स्थानीय नागरिकों ने लोक संस्कृति के लिहाज से उसका वंदन किया.

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जयपुर की बांडी नदी में दशकों बाद आया पानी, महिलाओं ने की पूजा (Photo ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 3, 2024, 4:18 PM IST

जयपुर की बांडी नदी में दशकों बाद आया पानी, महिलाओं ने की पूजा. (ETV Bharat jaipur)

फागी( जयपुर ): जयपुर जिले के फागी कस्बे के बाशिंदों ने शनिवार सुबह बांडी नदी (रेणूका) के सूखे पाट में पानी देखकर अपने ही अंदाज में खुशी जाहिर की. इस दौरान गांव की महिलाओं ने रीति रिवाज से चुनरी ओढ़ाकर नदी रूपी देवी का पूजन और श्रृंगार किया. राजस्थानी परंपरा से ग्रामीण महिला के नदी का पूजन और चुनरी ओढ़ाने का वीडियो सामने आया है. बांडी नदी पहले बारहमासी थी, अब बरसाती भी नहीं रही. जिसके लिए लोग सालों से इंतजार कर रहे थे. इस बार बारिश में नदी में पानी आया तो ग्रामीणों के चेहरे पर चमक आ गई.

बरसाती नदियों के जीवंत होने की उम्मीद: प्रदेश में मानसून अभी अपने चरम पर है. पिछले दिनों लगातार हो रही बारिश से बरसाती नदी नालों में पानी आ जाने सें पिछले कई सालों से सूखे पड़े नदी नाले उफान पर हैंं. राजस्थानी में कहावत के अनुसार मेह और मेहमान का मान हमारी परंपरा रही है. स्थानीय बोलचाल की लोकोक्तियोंं में कहा जाता है मेह और पावणा (मेहमान) दोरा (मुश्किल) आवै है.

पढ़ें: राजस्थान में भारी बारिश की चेतावनी, इन 5 जिलों में आज स्कूल बंद

जयपुर जिले में जगी उम्मीद: बीते 72 घंटे में हुई बरसात और पानी की जोरदार आवक के बाद जयपुर जिले के लोगों को भी उम्मीद जगी है. राजधानी के आसपास के सूखे बांधों में अब पानी की आवक होने लगी है. कानोता बांध पर शनिवार सुबह चादर चलने से लोगों में खुशी देखने को मिली. यहां बहने वाली ढूंढ नदी में भी पानी की अच्छी आवक हुई है, तो मोरेल नदी भी बहाना शुरू हो चुकी है. स्थानीय लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि जमवारामगढ़ स्थित ऐतिहासिक रामगढ़ बांध के पानी का प्रमुख स्रोत बान गंगा और ताला नदी भी जल्द अपने मूल रूप में लौटे, ताकि जल समस्या का समाधान हो सके.

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बांडी नदी की पूजा करते ग्रामीण (Photo ETV Bharat)

पाली में भी नदी का स्वागत: पाली जिले के सोजत में भारी बारिश के बाद केलवाज नदी पूरे परवान पर बहती हुई नजर आई. इस दौरान यहां पहुंची महिलाओं ने पूरे पारंपरिक अंदाज में चुनरी ओढ़ाकर नदी रूपी मां का स्वागत किया. इस दौरान ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी नजर आई.

जयपुर की बांडी नदी में दशकों बाद आया पानी, महिलाओं ने की पूजा. (ETV Bharat jaipur)

फागी( जयपुर ): जयपुर जिले के फागी कस्बे के बाशिंदों ने शनिवार सुबह बांडी नदी (रेणूका) के सूखे पाट में पानी देखकर अपने ही अंदाज में खुशी जाहिर की. इस दौरान गांव की महिलाओं ने रीति रिवाज से चुनरी ओढ़ाकर नदी रूपी देवी का पूजन और श्रृंगार किया. राजस्थानी परंपरा से ग्रामीण महिला के नदी का पूजन और चुनरी ओढ़ाने का वीडियो सामने आया है. बांडी नदी पहले बारहमासी थी, अब बरसाती भी नहीं रही. जिसके लिए लोग सालों से इंतजार कर रहे थे. इस बार बारिश में नदी में पानी आया तो ग्रामीणों के चेहरे पर चमक आ गई.

बरसाती नदियों के जीवंत होने की उम्मीद: प्रदेश में मानसून अभी अपने चरम पर है. पिछले दिनों लगातार हो रही बारिश से बरसाती नदी नालों में पानी आ जाने सें पिछले कई सालों से सूखे पड़े नदी नाले उफान पर हैंं. राजस्थानी में कहावत के अनुसार मेह और मेहमान का मान हमारी परंपरा रही है. स्थानीय बोलचाल की लोकोक्तियोंं में कहा जाता है मेह और पावणा (मेहमान) दोरा (मुश्किल) आवै है.

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जयपुर जिले में जगी उम्मीद: बीते 72 घंटे में हुई बरसात और पानी की जोरदार आवक के बाद जयपुर जिले के लोगों को भी उम्मीद जगी है. राजधानी के आसपास के सूखे बांधों में अब पानी की आवक होने लगी है. कानोता बांध पर शनिवार सुबह चादर चलने से लोगों में खुशी देखने को मिली. यहां बहने वाली ढूंढ नदी में भी पानी की अच्छी आवक हुई है, तो मोरेल नदी भी बहाना शुरू हो चुकी है. स्थानीय लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि जमवारामगढ़ स्थित ऐतिहासिक रामगढ़ बांध के पानी का प्रमुख स्रोत बान गंगा और ताला नदी भी जल्द अपने मूल रूप में लौटे, ताकि जल समस्या का समाधान हो सके.

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बांडी नदी की पूजा करते ग्रामीण (Photo ETV Bharat)

पाली में भी नदी का स्वागत: पाली जिले के सोजत में भारी बारिश के बाद केलवाज नदी पूरे परवान पर बहती हुई नजर आई. इस दौरान यहां पहुंची महिलाओं ने पूरे पारंपरिक अंदाज में चुनरी ओढ़ाकर नदी रूपी मां का स्वागत किया. इस दौरान ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी नजर आई.

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