भोपाल: मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों पर बिजली कंपनियों के करोड़ों रुपए बकाया है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण निकाय बिजली बिलों का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में कई बार बिजली कंपनियों द्वारा संबंधित नगरीय निकायों के कनेक्शन काट दिए जाते हैं. जिससे शहरों में अंधेरा छा जाता है. अब सरकार ने इस समस्या से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है. जल्द ही नगरीय निकायों को बिजली के मामले में आत्म निर्भर बनाया जाएगा. इसके लिए प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.
सरकारी भवनों में लगेंगे सोलर पैनल
बता दें कि नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने निकायों को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि अब नगरीय निकायों के सरकारी भवनों और खाली जमीनों पर सोलर पैनल लगाया जाएगा. जिससे निकायों में बिजली की समस्या को दूर किया जा सके. इसके लिए शुक्ला ने अधिकारियों से संबंधित नगरीय निकायों में सोलर पैनल लगाने के लिए उपयुक्त जमीन का सर्वे करने और इसकी योजना तैयार कराने के निर्देश दिए हैं.
भारी भरकम बिल से निकायों की हालत खराब
बता दें कि प्रदेश के नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में बिजली बिल नहीं चुकाने पर कंपनी के अधिकारी बिजली कटवा देते हैं. इसके पीछे का कारण निकायों में राजस्व की कम वसूली है. वहीं पेयजल आपूर्ति और स्ट्रीट लाइट के नाम पर करोड़ों रुपये का बिल आता है. अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग निकायों के बकाया बिल भरने की योजना बना रहा है. इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृत भी मिल गई है. ये बिल विभाग निकायों को दिए जाने वाले चुंगी क्षतिपूर्ति से चुकाएगा, लेकिन निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति नहीं मिलने से उनकी आर्थिक हालत और खराब होगी.
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बिजली कंपनियों को विभाग देगा 60 करोड़ रुपए
बता दें कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने निकायों के बकाया बिजली बिल चुकाने के लिए 60 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. सबसे अधिक 31 करोड़ रुपये पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को दिए जाएंगे. जिसमें इंदौर नगर निगम का 23 करोड़ रुपये बकाया बिजली बिल समायोजित किया जाएगा. इसके अलावा भोपाल का 5 करोड़, जबलपुर के 5.5 करोड़ और ग्वालियर 2.5 करोड़ रुपये बिजली बिल का भुगतान किया जाएगा. वहीं रीवा, कटनी, सागर, सतना, देवास, खंडवा और रतलाम नगर निगम का बिजली बिल भी एक करोड़ रुपये से अधिक बकाया है. इसकी भरपाई भी नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा की जाएगी.