एमपी डेस्क. मध्यप्रदेश सरकार से बहुत पहले ही केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था. वहीं एमपी सरकार में ये 42 से बढ़ाकर 46 प्रतिशत पहुंचा है. प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारी और 4 लाख से अधिक पेंशनर्स को अगर इस बात का गम है कि वे DA के मामले में केंद्रीय कर्मचारियों से पीछ हैं, तो बता दें कि प्रदेश के कर्मचारी केवल डीए नहीं बल्कि इसी तरह के 9 अलाउंस यानी भत्तों में केंद्र से पीछे हैं.
इन मामलों में केंद्र से पीछे एमपी के कर्मचारी
दरअसल, जब केंद्र सराकर ने अपने कर्माचारियों का महंगाई भत्ता 46 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया था, उसके बाद मार्च 2024 में DA के साथ-साथ केंद्रीय कर्मचारियों का एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस, सीईए यानी चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस, सीसीए यानी चाइल्ड केयर अलाउंस, हॉस्टल सब्सिडी, ट्रांसफर अलाउंस, ग्रेच्युटी, ड्रेस अलाउंस, वाहन भत्ता और दैनिक भत्ता में वृद्धि की थी. इन सभी मामलों में प्रदेश के कर्मचारी केंद्र से पीछे हैं.
अब बढ़ सकती है केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी
सैलरी कैलक्युलेशन के जानकार बताते हैं कि जब भी महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, तो इसे शून्य कर दिया जाता है और भत्ते की राशि को व्यक्ति की बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाता है. ऐसे में देखें तो केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढ़ाकर 50 प्रतिशत इसी साल की शुरुआत में हो गया था. वहीं जुलाई में फिर सैलरी कैलक्युलेशन में अब 50 प्रतिशत के भत्ते को व्यक्ति की बेसिक सैलरी में सीधा जोड़ दिया जाएगा. एमपी के कर्मचारी फिलहाल इस मामले में भी पीछे रह जाएंगे.
साल में दो बार रिवाइज होता है डीए
आमतौर पर सरकारी व प्राइवेट जॉब्स में साल में दो बार डीए यानी महंगाई भत्ता रिवाइज किया जाता है. बात करें केंद्रीय कर्मचारियों की तो जनवरी में और जुलाई में डीए कैलक्युलेट किया जाता है. क्योंकि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को जनवरी में डीए दे चुकी है, तो अब जुलाई अंत तक फिर कैल्क्युलेशन किया जा सकता है और हो सकता है कि डीए शून्य कर बेसिक सैलरी बढ़ा दी जाए. इतना ही नहीं एआईसीपीआई इंडेक्स से महंगाई भत्ता कैल्क्युलेट करने के साथ अन्य 9 अलाउंस भी बढ़ाए जाते हैं. देखना ये होगा कि एमपी के कर्मचारियों को इस तरह से सभी अलाउंस कब मिलेंगे, फिलहाल तो ज्यादातर कर्मचारी डीए को ही प्रमुख अलाउंस मानते आ रहे हैं और उसे केंद्र के बराबर करने के लिए बार-बार अपनी मांगे रखते हैं.